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अब वेंटिलेटर की आवश्यकता है या नहीं, ऐसे रोगियों की पहचान करेगा विशेष सॉफ्टवेयर

नई दिल्ली. कोरोना संकटकाल में एक और नया इनोवेशन देखने को मिला है. एक सॉफ्टवेयर अब उन रोगियों की पहचान कर सकता है जिन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है. समय रहते मरीज को रेफर करने से आपात स्थिति से पहले आवश्यक व्यवस्था करने में मदद मिलेगी. कोविड सेविरिटी स्कोर (सीएसएस) सॉफ्टवेयर नामक सॉफ्टवेयर में एक लेएल्गोरिथ्म है जो कारोना मरीजों को मापदंडों के एक सेट से मापता है. यह प्रत्येक रोगी के लिए एक पूर्व-निर्धारित डायनेमिक एल्गोरिथ्म के सहारे कई बार स्कोर करता है और एक ग्राफिकल ट्रेंड में इसे मैप करने के लिए एक कोविड सेविरिटी स्कोर (सीएसएस) देता है. इस सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी का उपयोग कोलकाता और उपनगरों में तीन सामुदायिक कोविड देखभाल केंद्रों में किया जा रहा है, जिसमें कोलकाता के बैरकपुर में एक 100-बेड का सरकारी कोविड देखभाल केंद्र भी शामिल है. कोरोना महामारी के दौरान अचानक आई...

नहीं रहे शौर्य, साहस के प्रतीक देश के लाल बिग्रेडियर रघुवीर सिंह राजावत, 98 साल की उम्र में निधन, युद्ध में पाकिस्तानी टैंकर्स को कब्रगाह में कर दिया था तब्दील 

टोंक. अपने अदम्य साहस के दम पर दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने वाले महावीर चक्र से सम्मानित बिग्रेडियर रघुवीर सिंह का निधन हो गया है. टोंक जिले की मालपुरा तहसील के सोडा गांव के निवासी थे. 98 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद ना केवल टोंक जिले में बल्कि पूरे राजस्थान और देश में शोक की लहर है. साहस, पराक्रम, दृढ निश्चय से लबरेज व्यक्तित्व के धनी रघुवीर सिंह राजावत का जन्म सोडा ग्राम में 2 नवम्बर 1923 हुआ था और 19 साल की उम्र के बाद ही यानी 1942 को सेना मे भर्ती हुए थे. उनके साहस और शौर्य का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि महावीर चक्र के साथ उन्हे कई बार बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया. उन्होेंने सेना के कई ट्रेनिंग कोर्स एवं सिविल कोर्स भी सफलतापूर्वक पूरे किए थे. ना केवल भारत और भारत की सीमाओं पर बल्कि दक्षिण कोरिया, उतरी कोरिया, जापान, हांगकांग, सिंगापुर, गाजा...

राजस्थान में अफसरों और नेताओं में नहीं बैठ रही पटरी, पढें कौन से 8 SP और 6 कलेक्टर निशाने पर, और किसके साथ मारपीट की आई नौबत

जयपुर. राजस्थान में अफसरों और नेताओं के बीच की खींचतान जगजाहिर होती जा रही है. आलम यह है कि जनप्रतिधि चाहते हैं कि अफसर उनकी अनदेखी ना करें तो अफसर चाहते हैं उनको भी पूरा सम्मान मिले. अब इसी कशमकश में हालात ऐसे हो चले हैं कि राजस्थान के आठ एसपी और छह  कलेक्टर जनप्रतिनिधियों के निशाने पर आ गए हैं. नेशनल दुनिया की ​एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह सब इसलिए हो रहा है कि एक तरफ जहां जनप्रतिनिधियों को दरकिनार कर जिलों के कलेक्टर-एसपी अपनी मनमर्जियां कर रहे हैं तो कोई राजधानी तक अपनी पहुंच तो कोई अफसरी की धौंस में स्थानीय नेताओं को तवज्जो नहीं दे रहे. यह सब उस वक्त हो रहा है जब कोरोना संकटकाल में सबको मिलकर एकजुटता के साथ काम करना है, पर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा. ऐसे में अब जनप्रतिनिधि खुलकर विरोध में सामने आ गए हैं. कहीं जन प्रतिनिधि उनके खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं तो कभी सोशल मीडिय...

क्यों कहा जा रहा है कत्लेआम मचाने वाली कोरोना की दूसरी लहर ​पर फिलहाल लगा ब्रेक? जानें 10 बड़े फैक्ट्स 

नई दिल्ली. भारत में पिछले कई दिनों से कत्लेआम बचा रही कोरोना की दूसरी लहर फिलहाल कमजोर पड़ती नजर आ रही है. अब जहां लगातार कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन मिलने वाले नए मामले कम हो गए हैं वहीं दैनिक रिकवरी भी बढ गई है. इसके अलावा प्रतिदिन होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम हो गया है. अस्पतालों में जहां वेंटिलेटर, आईसीयू, आॅक्सीजन बेड उपलब्धता बहुत कम हो गई थी, वहीं अब यह उपलब्धता बढ गई है.   10 बडे फैक्ट 1. भारत में पिछले 24 घंटों में 1.20 लाख दैनिक नए मामले दर्ज हुए लगभग दो महीनों में सबसे कम हैं.  2. लगातार 9 दिनों से संक्रमण के दैनिक नए मामले 2 लाख से कम आ रहे हैं.  3. 15,55,248 सक्रिय मामलों के साथ लगातार 5 दिनों से सक्रिय मामले 20 लाख से कम बने हुए हैं.  4. और तो और लगातार 23 दिनों से दैनिक नए मामलों की तुलना में दैनिक रिकवरी अधिक रही है.  5. महामारी...

World no tobacco day: भारतीय युवाओं में तंबाकू की वजह से बढ़ रहे सात तरह के कैंसर

दिल्ली/जयपुर (सचिन शर्मा). 31st May को हर साल World no tobacco day मनाया जाता है। तंबाकू के नशे की गिरफ्त में बढ़ती भारतीय युवाओं की संख्या का दुखद पहलू यह है कि इससे सात तरह के कैंसर बढ़ रहे हैं। 'केसेज ग्लोबल बर्डन ऑफ डीजीज कोलेबोरेशन में हाल ही में विश्व विख्यात लेन्सेट जर्नल में तीन शोध प्रकाशित किये हैं जिनके अनुसार 15 से 24 वर्ष की उम्र के तंबाकू के सेवन करने वालों की संख्या में पूरे विश्व में दुर्भाग्य से भारत दूसरे नंबर पर है। यह संख्या 2 करोड़ है। 1990 के बाद 2019 तके युवा लड़कों में सर्वाधिक भारत में देखी गई। वर्ष 2019 में हदयघात से 17 लाख, फेफडों की बिमारी से 16 लाख व तंबाकू जनित कैंसर से 10 लाख लोग मृत्यु का शिकार हुए।'यह कहना है भगवन महावीर कैंसर हॉस्पिटल एन्ड रिसर्च सेंटर की कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ निधि पाटनी का । डॉ निधि ने बताया की बदलती जीवनशैली और वातावर...

क्यों माना जा रहा है कि कुछ भी हो इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन ही है ब्लैक फंगस का बड़ा कारण. क्या सच में बड़े स्तर पर हुई लापरवाही?

दिल्ली(सचिन शर्मा)। कहीं इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन तो नहीं ब्लैक फंगस का कारण? या मनचाहे तरीके से किसी भी सिलेंडर में ऑक्सीजन भरकर उसे मरीज तक पहुंचाना रहा ब्लैक फंगस का एक बड़ा कारण? यह इस वक्त देश में सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है कि आखिर जहां पहली कोरोना लहर में ब्लैक फंगस के कोई मामले सामने नहीं आए थे, वहीं अचानक दूसरे वेव में इसने महामारी का रूप कैसे ले लिया?   जानकार इसलिए भी इसके पीछे एक तर्क देते हैं कि पहली लहर में चूंकि ऑक्सीजन की कमी नहीं थी और इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन का इस्तेमाल नहीं किया गया था इस लिहाज से ब्लैक फंगस के मामले भी सामने नहीं आए और दूसरी लहर में किल्लत के बीच इसका जमकर इस्तेमाल हुआ। जिससे मामले सामने आए। देश में यह सवाल प्रमुखता से उठाया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के बाद एक नई महामारी ब्लैक फंगस जिसे म्यूकोरमायकोसिस भी कहा जाता है के अचानक फैलने की वजह आखिर क्या है...

जहां दो वक्त की रोटी का संकट था, वहां कोरोना से बदली आदिवासियों की किस्मत. डाबर, हिमालया जैसी कंपनियों से मिला 1.57 करोड़ का ऑर्डर

ठाने(आलोक शर्मा). यह कहानी महाराष्ट्र के ठाने की है. जहां शाहपुरा गांव के आदिवासियों के लिए कुछ वक्त तक दो वक्त की रोटी का जुगाड़ सही से कर पाना भी किसी बड़े सपने से कम नहीं था. लेकिन अब गांव अचानक करोड़​पति बन गया है. कोरोना संकटकाल जहां हर किसी के लिए अभिशाप बना हुआ है वहीं इस पूरे गांव के आदिवासियों ने इस अभिशाप को अवसर में बदल दिया.  दरअसल कोरोना संकटकाल में औषधिय पौधे गिलोय की मांग बढ़ी और लोगों को इसके चमत्कारी गुण पता चले तो गांव ने अपने क्षेत्र में पैदा होने वाली गिलोय की खेती का बेहतर प्रबंधन किया, जिसका नतीजा यह  रहा कि यहां के जनजातीय लोगों को 1 करोड़ 57 लाख रूपए की गिलोय का बम्पर ऑर्डर मिला, ऑर्डर भी किसी छोटे मोटे ब्रांड का नहीं बल्कि डाबर, वैद्यनाथ और हिमालया जैसी बड़ी कंपनियां का. इतना ही नहीं अब गांव वालों को इससे भी बड़ा ऑर्डर जल्द और मिलने वाला है.&nb...

कोरोना के खिलाफ DRDO की भारतीय संजीवनी '2DG' दवा कल होगी लॉन्च . जानें क्यों कारगर है यह दवा

दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत ने एक मजबूत संजीवनी तैयार कर ली है। शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचाने वाले कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के सहयोगी संस्थान आइएनएमएस (इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर मेडिसीन एंड एलाइड साइंसेज) के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार 2डीजी (2 डीआक्सी-डी ग्लूकोज) 17 मई की सुबह लांच की जाएगी। माना जा रहा है इस दवा के प्रयोग से कोरोना संक्रमित मरीज तेजी से ठीक होता है। और यह कोरोना के खिलाफ जंग में एक बड़ी गेम चेंजर भारत के लिए साबित होगी। इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की ऑक्सजीन पर निर्भरता काफी कम हो जाती है। बस इसे पानी में घोल कर लेना होता है। ​​​​​​ दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंस (INMAS) ने हैदराबाद के डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर तैयार कि...

भारत में रहने वाला यह शख्स 38 पत्नियों, 94 बच्चों के साथ 181 सदस्यों के परिवार का है मुखिया, जी रहा है खुशाल जीवन!

मिजोरम। भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र रहा है वसुधैव कुटुंबकम। परन्तु आज 'विश्व परिवार दिवस' जैसे मौके पर यह याद दिलाना भी जरूरी है कि अब धीरे-धीरे नई पीढ़ी इस संस्कार को, इस संस्कृति को भूलती जा रही है या भुला चुकी है। आज के युग में जहां परिवार के दो सदस्य भी सही से एक घर में रहकर रिश्तो को नहीं निभा पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी प्रेरणा बना है मिजोरम के जिओना चाना का परिवार। जहां दुनिया की सबसे बड़ी फैमिली के 181 सदस्य आज भी एक साथ रहते हैं। जिओना चाना इस परिवार के मुखिया हैं। वह अपनी 38 पत्नियों, 94 बच्चों, 14 बहुओं और 33 पोते-पोतियों के अलावा एक नन्हें पड़पोते के साथ बड़े प्यार से यहां 100 कमरों के घर में रहते हैं। हमारे परिवारों में शादी ब्याह या किसी बड़े फंक्शन में जितने लोगों का खाना बनता है उतना तो इस परिवार में रोजाना बनता है। यदि...

जिंदगी जिंदाबाद! कोरोना संकटकाल में 30 डॉक्टर किए एकजुट, दिन-रात मदद के लिए शुरू की निशुल्क हेल्पलाइन, संकट मौचक बन अब तक बचाई सैंकड़ों जिंदगियां

जयपुर (आलोक शर्मा). तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर, सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर, इन्ही गम की घटाओं से खुशी का चांद निकलेगा, अंधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है...इसी सोच, जोश और जुनून के साथ हार की परवाह किए बिना जीत की जिद के कुछ बादशाहों ने ठाना कि चाहे कुछ भी हो जनता को कोरोना संकट में यूं मरता नहीं देखा जा सकता, यही वो वक्त है जब अपना लहू भी देश की सेवा में अर्पण करना पड़े तो भी कोई गम नहीं.  एक ओर जहां अस्पतालों और चिकित्सकों पर यह आरोप लग रहे हैं कि वो कोरोना संकटकाल में भी लोगों को लूट रहे हैं वहीं दूसरी ओर इससे परे मजबूत इरादों, फौलादी हौसलों के साथ जयपुर के युवा कनिष्क शर्मा और अरस्तु शर्मा ने ठाना ​की पैसा जिंदगी में कभी भी कमाया जा सकता है पर यह वक्त लोगों के लिए निशुल्क सेवा का है. बस फिर क्या था जब लोग सही जानकारी और सही चिकित्सकीय पराम...