'DM का फोकस सिर्फ कपड़ों पर रहता है, ऐसे अधिकारी को तुरंत जिले से रवाना कर देना चाहिए' CM गहलोत के सामने क्यों बोले मंत्री ऐसी बात, पढें पूरी खबर


जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के DM अंतर सिंह नेहरा का व्यवहार राज्य सरकार के मंत्रियों को रास नहीं आ रहा है। जिस कोरोना संकटकाल में DM को सुपर एक्टिव होना चाहिए उस वक्त DM की सुस्ती को लेकर मंत्री ने भरी राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सीएम के सामने कलेक्टर की शिकायत भी कर डाली। और ऐसे आरोप लगाए जो किसी भी DM के लिए अच्छे नहीं कहीं जा सकते हैं। हालांकि इस मामले में DM अंतर सिंह नेहरा की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

दरअसल परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जिला कलेक्टर अतर सिंह नेहरा के खिलाफ कैबिनेट मीटिंग में मोर्चा खोलते हुए कहा कि 'जिला कलेक्टर अब तक के जयपुर के सबसे निष्क्रिय कलेक्टर हैं। कोरोना संकट के दौर में भी जयपुर जिला कलेक्टर अपने AC रूम से बाहर नहीं निकले। उनका फोकस केवल अपने कपड़ों पर रहा। इसी कारण कोरोना कंट्रोल से बाहर हो गया। यहां तक कि वह मेरा फोन भी नहीं उठाते।'

इतना ही नहीं मंत्री प्रताप सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि 'लोगों को उनसे (DM से) जो उम्मीदें थी उस पर भी खरे नहीं उतर पाए हैं। ऐसे कलेक्टर को तुरंत जिले से रवाना कर देना चाहिए'

उधर प्रताप सिंह खाचरियावास कि इस बात पर खेल मंत्री अशोक चांदना ने भी सहमति जताते हुए कहा कि बूंदी कलेक्टर रहने के दौरान भी अतर सिंह की कार्यशैली ऐसी ही थी. कैबिनेट की बैठक में अचानक DM के खिलाफ बने इस माहौल से एक बारगी तो बैठक में शामिल अधिकारी की बगल झांकते रहे।

वैसे बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब कोरोना संकटकाल में डीएम की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी कोरोना की भयावह स्थितियों के दौरान डीएम पर सिर्फ AC कमरों में बैठकर मॉनिटरिंग करने और निर्देश देने की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं। उन पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं एक डीएम की भूमिका में उनका जो प्रभावी एक्शन होना चाहिए था, उसकी कमी जयपुर में साफ तौर पर देखने को मिली। यही कारण रहा कि जयपुर में कोरोना अनकंट्रोल होता गया और समय पर निर्णय नहीं लिए गए। DM द्वारा संकटकाल में भी कई जरूरतमंदों के कॉल नहीं उठाने के आरोप लगे। जब लोगों को ऑक्सीजन, रेमेडिसिवर, ICU और ऑक्सीजन बेड जैसे जरूरी मामलों में उनकी जरूरत थी तो उनका 'नो रिप्लाई' आम चर्चा में था। उनके कई मातहत अधिकारियों का भी यही रवैया देखने को मिला।