जिंदगी जिंदाबाद! कोरोना संकटकाल में 30 डॉक्टर किए एकजुट, दिन-रात मदद के लिए शुरू की निशुल्क हेल्पलाइन, संकट मौचक बन अब तक बचाई सैंकड़ों जिंदगियां


जयपुर (आलोक शर्मा). तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर, सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर, इन्ही गम की घटाओं से खुशी का चांद निकलेगा, अंधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है...इसी सोच, जोश और जुनून के साथ हार की परवाह किए बिना जीत की जिद के कुछ बादशाहों ने ठाना कि चाहे कुछ भी हो जनता को कोरोना संकट में यूं मरता नहीं देखा जा सकता, यही वो वक्त है जब अपना लहू भी देश की सेवा में अर्पण करना पड़े तो भी कोई गम नहीं. 

एक ओर जहां अस्पतालों और चिकित्सकों पर यह आरोप लग रहे हैं कि वो कोरोना संकटकाल में भी लोगों को लूट रहे हैं वहीं दूसरी ओर इससे परे मजबूत इरादों, फौलादी हौसलों के साथ जयपुर के युवा कनिष्क शर्मा और अरस्तु शर्मा ने ठाना ​की पैसा जिंदगी में कभी भी कमाया जा सकता है पर यह वक्त लोगों के लिए निशुल्क सेवा का है. बस फिर क्या था जब लोग सही जानकारी और सही चिकित्सकीय परामर्श और दवाओं के अभाव में दम तोड़ रहे थे तो दोनों ने डॉ. सुंधाशु के मार्गदर्शन में अपने 40 दोस्तों की एक टीम बनाई, जिसमें करीब 30 से अधिक डॉक्टर भी शामिल किए. और उनके साथ एक निशुल्क हेल्पलाइन सेवा शुरू की. जिसके जरिए अब तक सैंकड़ों लोगों की जिंदगियां बचाई जा चुकी है.

 

कैसे काम करती है हेल्पलाइन?


यदि आपको कोरोना का कोई भी लक्षण है तो आप बिना सोचे निशुल्क उपचार परामर्श के लिए तुरंत हेल्पलाइन नम्बर 9829774968 पर कॉल करें. जहां आपकी बीमारी की गंभीरता के मुताबिक डॉक्टर्स को कॉल डायवर्ट की जाती है. हेल्पलाइन से जुड़े करीब 30 विशेषज्ञ डॉक्टर्स लगातार आ रही कॉल्स को धैर्य पूर्वक सुनते हैं फिर मरीज को अपना उपचार परामर्श देते हैं। टैक्सट और व्हाट्स एप पर दवाइयों की जानकारी उपलब्ध करवाते है।


संचालकों का दावा है कि इस टेलीकॉन्सल्टेशन के माध्यम से ज़ीरो वेटिंग टाइम में अभी तक देशभर के क़रीब 994 मरीज़ ठीक हो गए है या उपचाराधीन हैं वो भी ठीक होने की ओर अग्रसर हैं. करीब 200 कॉल्स प्रतिदिन उत्तरित हैं। यह कोविड हेल्पलाइन पिछले करीब तीन सौ से ज्यादा घंटो से निरंतर कोरोना मरीज़ों की देखभाल में लगी है।  

हेल्पलाइन का संचालन कर रहे कनिष्क बताते हैं कि हेल्प लाइन पर सम्पर्क करने वाले मरीज़ या उसके परिजन का जैसे ही डॉक्टर के साथ सम्पर्क होता है तो चैरिटी फ़ील से लबरेज़ डॉक्टर्स सबसे पहले मरीज के भीतर के डर को दूर करते हैं और उन्हें समझाते हैं कि तुरंत उपचार होने से कोरोना प्राण घातक नहीं होता। फिर लक्षण सुन कर एक प्रिस्क्रिप्शन तैयार किया जाता हैं और मरीज को विस्तृत रूप से समझा कर फ़ॉर्वर्ड कर देते हैं। यदि रोगी या उसके परिजन दवा खरीदने की स्थिति में नहीं होते तो हेल्प लाइन उन्हें निशुल्क दवा भी पहुँचाती हैं।

देशभर से आ रही कॉल पर जयपुर शहर के अनेक प्रतिभाशाली युवा डॉक्टर जैसे कनिका शर्मा, शिवम् शर्मा, सुश्रुत कालरा, विकेश विज़, बलवीन सिंह, बीबन छाबड़ा, प्रांजल अग्रवाल, सलोनी अग्रवाल, पीयूष जोशी,गोयर,आशा जोशी, नैना अग्रवाल, प्रज्वी जैन, आदि बतौर स्वयंसेवक निशुल्क सेवा दे रहे हैं। इतना ही नहीं देश के कौने कौने में इस हेल्प लाइन सेवा से डॉक्टर जुड़े हुए हैं जो ​नाइट शिफ्ट में भी बिना पैसा लिए काम कर र​हे हैं. कई डॉक्टर ऐसे हैं जो दिन में अपनी नौकरी करके आते हैं तो उसके बाद रात को अपनी सेवाएं यहां दे रहे हैं, जिससे वो खुद भी अपने आप के भीतर एक नई सकारात्मक उर्जा को महसूस कर रहे हैं. 

 

 

तय हैं सबकी जिम्मे​दारियां 


हेल्पलाइन के प्रतिनिधि कनिष्क ने बताया की हेल्पलाइन का उद्देश्य है अस्पताल जाने की स्थिति आने से पहले ही रोगी को तुरंत इलाज दिया जाए ताकि अस्पतालों पर लोड भी कम हो और रोगी भी आइसीयू वेंटिलेटर जैसी मुसीबतों से बचा रहे। उन्होंने बताया कि दूसरी लहर के प्रहार से बने माहौल में लॉक डाउन के दौरान टीम के सदस्य कुछ सकारात्मक कदम उठाना चाह रहे थे। शहर के जाने माने शिक्षाविद, विचारक व उद्यमी डॉ. सुधांशु के मार्गदर्शन में बनी इस हेल्पलाइन का वैचारिक आधार स्वयं डॉ. सुधांशु ने रखा। कनिष्क शर्मा ने हेल्पलाइन से वोलेंटियर डॉक्टर्स को जोड़ने, वर्क फ्लो संभालने और कोऑर्डिनेट करने की जिम्मेदारी ली हैं तो अरस्तू शर्मा ने बैक एंड सपोर्ट और फंड-रेजिंग पर काम करना तय किया, सुप्रिया ने दवा और आक्सिजन में मदद करने का ज़िम्मा लिया. अंकित, मानव और सोमवीर ने हेल्प डेस्क सम्भाल ली। कुछ लोग रोगी से उपचार के बाद खुद ही कॉल करके फीडबैक भी लेने में जुटे रहते हैं ताकि समय रहते स्थिति भांपी जा सके. उन्होंने बताया कि शुरुआत में बनी छोटी सी टीम में अब तक क़रीब 40 लोग जुड़ चुके हैं और अनेक रिक्वेस्ट पेंडिंग है। आरम्भ में हम डॉक्टर फ़ीस की गणना कर रहे थे किंतु सबसे सुंदर क्षण वह था जब डॉक्टर्स ने कहा कि जब ये चैरिटी है तो हम भी फीस नहीं लेंगे और निशुल्क काम करेंगे। 

हेल्पलाइन अब जयपुर में एक फ़्री मोबाइल ऑक्सिजन वैन सेवा भी संचालित करना चाह रही है जो अचानक ऑक्सिजन लेवल गिरने और अस्पताल का इंतज़ाम होने के बीच के मुश्किल पलों में रोगी की मददगार बनेगी और टीम ने इसके लिए प्रशासन से अनुमति माँगी हैं।

ये कह के दिल ने मेरे हौसले बढ़ाए हैं, गमों की धूप के आगे खुशी के साए हैं... इसी उम्मीद के साथ युवाओं की टीम अपनी जान की परवाह किए बिना दिन रात लोगों की सेवा में जुटी है बहरहाल जयपुर के युवाओं की यह पहल किसी बड़ी प्रेरणा से कम नहीं.