कोरोना के खिलाफ DRDO की भारतीय संजीवनी '2DG' दवा कल होगी लॉन्च . जानें क्यों कारगर है यह दवा


दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत ने एक मजबूत संजीवनी तैयार कर ली है। शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचाने वाले कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के सहयोगी संस्थान आइएनएमएस (इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर मेडिसीन एंड एलाइड साइंसेज) के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार 2डीजी (2 डीआक्सी-डी ग्लूकोज) 17 मई की सुबह लांच की जाएगी। माना जा रहा है इस दवा के प्रयोग से कोरोना संक्रमित मरीज तेजी से ठीक होता है। और यह कोरोना के खिलाफ जंग में एक बड़ी गेम चेंजर भारत के लिए साबित होगी। इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की ऑक्सजीन पर निर्भरता काफी कम हो जाती है। बस इसे पानी में घोल कर लेना होता है।

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दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंस (INMAS) ने हैदराबाद के डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर तैयार किया है।

दावा किया जा रहा है कि यह कोरोना के हर स्ट्रेन पर कारगर है। इस दवा का मैकेनिज्म वायरस के प्रोटीन के बजाय, मानव कोशिकाओं के ही प्रोटीन में बदलाव कर देता है, जिससे वायरस कोशिका के अंदर पनाह ही नहीं पाता। वहीं बाकी की एंटी वायरल दवाएं वायरस के ही प्रोटीन पर ही वार करतीं हैं और जब वायरस में म्युटेशन हो जाता है तो दवाइयां काफी हद तक निष्प्रभावी हो जाती हैं। इससे वायरस किसी भी स्ट्रेन का हो वह बेकार साबित होता है।

इसके अलावा खास बात यह है कि जब वायरस कोशिका के अंदर प्रवेश कर जाता है तो उसे कोशिकाओं में अपनी संख्या वृद्धि के लिए अधिक मात्रा में ग्लूकोज की जरूरत होती है। जब यह दवा दी जाती है तो वायरस इसे ग्लूकोज (ग्लूकोज से एक आक्सीजन कम होता है) समझने की भूल कर बैठता है और संक्रमित कोशिका को ग्लूकोज की आपूर्ति नहीं हाे पाती, जिससे वायरस की वृद्धि थम जाती।

बता दें कि 2डीजी दवा कैंसर के इलाज के लिए बनाई गई थी। और बाद में इसे कोरोना मरीजों पर ट्रायल किया गया। भारत में वर्ष 1972 से इस दवा पर दिल्ली एम्स के पूर्व चिकित्सक प्रो. विनय जैन शोध कर रहे थे। वहीं डीआरडीओ के प्रमुख प्रो.जी. सतीश रेड्डी और आइएनएमएस के निदेशक प्रो. अनिल मिश्रा के ही निर्देशन में इस दवा को अमल में लाने का कार्य किया गया।