नहीं रहे शौर्य, साहस के प्रतीक देश के लाल बिग्रेडियर रघुवीर सिंह राजावत, 98 साल की उम्र में निधन, युद्ध में पाकिस्तानी टैंकर्स को कब्रगाह में कर दिया था तब्दील 


टोंक. अपने अदम्य साहस के दम पर दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने वाले महावीर चक्र से सम्मानित बिग्रेडियर रघुवीर सिंह का निधन हो गया है. टोंक जिले की मालपुरा तहसील के सोडा गांव के निवासी थे. 98 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद ना केवल टोंक जिले में बल्कि पूरे राजस्थान और देश में शोक की लहर है.

साहस, पराक्रम, दृढ निश्चय से लबरेज व्यक्तित्व के धनी रघुवीर सिंह राजावत का जन्म सोडा ग्राम में 2 नवम्बर 1923 हुआ था और 19 साल की उम्र के बाद ही यानी 1942 को सेना मे भर्ती हुए थे. उनके साहस और शौर्य का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि महावीर चक्र के साथ उन्हे कई बार बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया. उन्होेंने सेना के कई ट्रेनिंग कोर्स एवं सिविल कोर्स भी सफलतापूर्वक पूरे किए थे. ना केवल भारत और भारत की सीमाओं पर बल्कि दक्षिण कोरिया, उतरी कोरिया, जापान, हांगकांग, सिंगापुर, गाजापट्‌टी, मिस्र सहित कई बाहरी देशों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं और शांति मिशन के साथ दुश्मनों को सबक सिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ी.

 

22 जनवरी 1945 को सवाईमान सिंह गार्ड जयपुर से सेना में कमीशन लिया. 1943 से 1974 तक द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया. 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान पंजाब के खेमकरन-लाहौर सैक्टर में असल उतर की लडाई में राजपूताना राइफल्स की एक बटालिन के कमाण्डर के रूप में लेफ्टिनेन्ट कर्नल रघुवीर सिंह ने टैंकों के बीच गोलों की बौछार झेलते हुए दुश्मन के सशस्त्र डिवीजन पर निर्णायक हमला किया और युद्ध भूमि को 20 पैटन टेंकों का कब्रिस्तान बनाकर दुश्मन की हालत पतली कर दी थी. इस बहादुरीपूर्ण कार्य के नेतृत्व के लिए उन्हें 7 सितम्बर 1965 को राष्ट्रपति द्वारा  गैलण्ट्री अवार्ड के रूप में महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. इतना ही नहीं 1971 मे बांगलादेश युद्ध के एक लाख बन्दियोें के निगरानी केंम्पों की देख रेख का उत्तरदायित्व भी बड़ी उन्होंने बडी ही कुशलता से संभाला था.

बिग्रेडियर रघुवीर सिंह ने रिटायरमेंट के बाद भी समाज सेवा का कार्य निस्वार्थ भाव से जारी रखा. आज भी सोडा गांव के युवाओं के लिए वो किसी बडी प्रेरणा स्त्रोत से  कम नहीं हैं. स्थानीय निवासी राजाराम शर्मा बताते हैं कि वो जब भी उनसे मिले तो उन्होंने हमेशा देश सेवा और निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें प्रेरित किया. वो हमेशा अनुशासित जीवन जीवन के लिए युवाओं को प्रेरित करते रहे. 

ब्रिग्रेडियर रघुवीर सिंह के दो पुत्र मेजर संग्राम सिंह एवं नरेन्द्र सिंह है. ब्रिग्रेडियर रघुवीर सिंह की पोती एवं नरेन्द्र सिंह की पुत्री छवि राजावत ने भी सोडा ग्राम की दो बार सरंपच बनकर अपनी सेवाएं ग्रामवासियों को दीे। सरपंच बनकर छवि राजावत को भी अनेक बार अपनी प्रशंसनीय सेवा कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है. छवि राजावत ने रघुवीर सिंह के निधन को उनके जीवन की व्यक्तिगत क्षति बताया है और कहा कि उनके आदर्श हमेशा उन्हें निस्वार्थ देश सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे.