राजनीतिक आपदा के बीच CM गहलोत का सभी विधायकों को पत्र, लिखी यह 10 बड़ी बातें


जयपुर. राजस्थान में राजनीतिक आपदा के बीच राहत और बचाव कार्य में जुटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के सभी विधायकों को एक खुला पत्र लिखा है. पत्र लिखकर जहां सरकार बचाने के लिए समर्थन की मांग की है वहीं 3 पेज इस पत्र में सरकार अस्थिर करने के मंसूबे कामयाब न होने देने की भी अपील की है. वर्तमान में सियासी हालात और कोरोना संकट के बारे में पत्र में लिखा गया है.

 

पत्र की 10 बड़ी बातें:


1- मेरी आप सभी से अपील है कि लोकतंत्र को बचाने, हम में जनता का विश्वास बरकरार रखने एवं गलत परंपराओं से बचने के लिए आपको जनता की आवाज सुननी चाहिए.


2- आप चाहें किसी भी राजनीतिक पार्टी के विधायक हों, आप अपने अन्य साथियों, परिवारजनों और अपने क्षेत्र के मतदाताओं की भावनाओं को समझकर यह सुनिश्चित करने का फैसला करें कि किस प्रकार राजस्थान के हितों के लिए जनता द्वारा चुनी हुई बहुमत प्राप्त सरकार मज़बूती के साथ कार्य करती रहे और सरकार को अस्थिर करने के मंसूबे कामयाब न हो सकें.


3- मुझे विश्वास है कि प्रदेशवासियों के व्यापक हित में आप सच्चाई के साथ खड़े रहेंगे और राज्य के विकास और समृद्धि के लिए जनता से किए वादों को पूरा करने में अपना सहयोग करेंगे.


4- मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि दिसंबर 2018 में कांग्रेस सरकार के चुने जाने के साथ ही पिछले डेढ़ साल में राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास एवं अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का हर संभव प्रयास किया है.-


5- गहलोत ने पत्र में लिखा कि 'सरकार ने संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रशासन देते हुए शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी, सड़क और आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ-साथ पंचायत समिति व उपखंड स्तर पर उल्लेखनीय फैसले किए, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई.'


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6- गहलोत ने पत्र में कोरोना महामारी पर राज्य सरकार की ओर से किए गए प्रयासों का जिक्र करते हुए ऐसे समय में सरकार अस्थिर करने पर चिंता जाहिर की.


7- चुनाव में हार-जीत होती रहती है, जनता का फैसला हमेशा सबसे ऊपर होता है. चुनी हुई सरकार को गिराना लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है और मैं इसे महापाप की श्रेणी में मानता हूं.


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8- सीएम ने लिखा- राज्य को खरीद-फऱोख्त की राजनीति से बचाएं. वरना इससे राज्य में गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. 1993-96 के दौरान भैरोसिंह शेखावत की सरकार गिराने के प्रयासों का भी जिक्र किया. गहलोत ने लिखा कि 'मैंने उस वक्त पीएम और राज्यपाल से मिलकर इस तरह की कार्रवाई का विरोध किया था.'


9- राजीव गांधी जी के समय 1984 में दल बदल विरोधी कानून लाया गया और बाद में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने यह प्रावधान किया कि किसी भी राजनीति दल के कम से कम दो तिहाई चुने हुए सदस्यों द्वारा नया दल बनाया जा सकता है अथवा दूसरा दल विलय हो सकता है. 6 बसपा विधायकों का कानून के दायरे में रहते हुए राज्य में स्थिर सरकार के लिए यह विलय किया गया. परंतु तोड़फोड़, खरीद फरोख्त करके सरकार को अस्थिर करना किसी भी दृष्टि से न्यायोचित नहीं है.


10- मुझे विश्वास है कि प्रदेशवासियों के व्यापक हित में आप सच्चाई के साथ खड़े रहेंगे और राज्य के विकास और समृद्धि के लिए जनता से किए गए वायदों को पूरा करने में अपना सहयोग करेंगे.