वसुंधरा की नाराजगी या BJP आलाकमान का आश्वासन या फिर गहलोत सुपर एक्टिव मोड़ पर... अब BJP क्यों बाड़ेबंदी की राह पर!


जयपुर. राजस्थान की सियासत का रोमांच किस दिशा में आगे बढ रहा है यह तो राम ही जाने. पर जो सियासी संग्राम में दाव पेच इस्तेमाल किए जा रहे हैं वैसे राजस्थान की राजनीति में शायद ही कभी देखने को मिले हों. गेम कुछ ऐसा सेट हो रहा है कि हर विधायक मंत्री बनने का सपना देख रहा है और हर बड़ा नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना. एक-एक विधायक को इस पूरे सियासी माहौल में खुद की इम्पोर्टेंस ऐसे नजर आ रही है कि जैसे वो खफा हो गया तो या तो सरकार नहीं बचने देगा या किसी और पार्टी की सरकार नहीं बनने देगा. लोकतंत्र में संख्या का खेले ऐसे हावी है कि हर विधायक इस वक्त अपने आप में खुदा है, खुदा से कम खुद को नहीं आंक रहा.

इसी कड़ी में अब नया खेले बीजेपी ने खेला है. जिस बीजेपी पर अब तक गहलोत सरकार कांग्रेस के विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगा रही थी वहीं बीजेपी अब खुद के विधायकों की खरीद फरोख्त से आशंकित है. माना जा रहा है बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों का मामला जब से कोर्ट में पहुंचा है तो बीजेपी के विधायकों पर गहलोत कैम्प डोरे डालने लगा है. ताकि सरकार बचाने में कोई कसर ना रह जाए. राजनीतिक पर्यटन के नाम पर जहां पहले राजस्थान बीजेपी के करीब 12 विधायकों के बाड़ेबंदी की खबर आई वहीं शनिवार को भाजपा के युवा विधायक निर्मल कुमावत के नेतृत्व में कुल छह और विधायक गुजरात के पोरबंदर में भेज दिए गए.

धर्मेंद्र मोची, गुरदीप सिंह शाहपिनी, गोपीचंद मीणा, जबर सिंह सांखला, गोपाल शर्मा को गुजरात भेज दिया गया. अब गुजरात में बताए जा रहे बीजेपी के करीब 20 विधायक हो गए हैं, कोई यह संख्या 16 भी बता रह है बाकि के चार विधायकों के राजस्थान में ही बाडेबंदी की भी बातें सामने आर रहीं हैं. हालांकि बीजेपी ने किसी भी तरह की बाड़ेबंदी से किया इंकार किया है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आगामी 14 अगस्त को राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाया गया है. और माना जा रहा है कि इसमें फ्लोर टेस्ट होने की पूरी संभावना है. सचिन पायलट गुट के विधायक जहां मानेसर के एक होटल में ठहरे हुए हैं, वहीं गहलोत गुट के विधायक जैसलमेर के होटल में ठहरे हुए हैं. इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा कोई सक्रियता नहीं दिखाई दे रही थी लेकिन अचानक पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बी एल संतोष और राजनाथ सिंह से हुई मुलाकातों के बाद सरगर्मियां तेज हो गई. बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे ने जेपी नड्डा से कह दिया है कि 'वे पार्टी के साथ हैं मगर स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगी. इसके बाद यकायक घटनाक्रम घूम गया. बताया यह भी जा रहा है वसुंधरा राजे भी शिवराज सिंह चौहान की राह पकड़ चुकी हैं. वसुंधरा राजे को फिर से जिम्मेदारी संभालने का कोई मैसेज मिला है. अशोक गहलोत सरकार गिर जाने की सूरत में वसुंधरा को मुख्यमंत्री बनाये जाने का आश्वासन जरुर मिल चुका है और उसके बाद ही वसुंधरा के फीडबैक पर यह बाड़ेबंदी की जा रही है. हालांकि इनकी कोई पुष्टि अभी नहीं हुई है लेकिन दोनों ही सूरत में बाड़ेबंदी जरुरी है यदि राजस्थान में भाजपा को अपने 'ऑपरेशन लॉटस' को सफल करना है तो. गजेन्द्र सिंह शेखावत के ऑडियो कांड मामले में कच्चा गेम खेलने से आलाकमान भी खफा है जिसके बाद राजनीति की मजबूत खिलाड़ी वसुंधरा पर भरोसा जताया गया है. माना जा रहा है उदयपुर, बीकानेर, कोटा, अजमेर के कुछ विधायकों को लेकर बीजेपी को कुछ सूचनाएं मिली हैं जिसके बाद यह एक्टिवनेस बढाई गई है. और वसुंधरा की लीडरशिप क्वालिटी राजनीतिक अनुभव बीजेपी के लिए मील का पत्थर इस मिशन में साबित हो सकती है.  

हालांकि कुछ राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि अभी आलाकमान की तरफ से वसुंधरा राजे को फिर से कमान सौंपे जाने को लेकर ग्रीन सिग्नल नहीं मिला है. पर ये जरूर हो सकता है कि कोई बीच का रास्ता निकाले जाने की कोशिश चल रही हो और उसमें पूर्व मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी हो. क्योंकि राजस्थान में बीजेपी के 72 विधायकों में से कम से कम 45 पर वसुंधरा राजे का पूरा प्रभाव बताया जाता है. बीजेपी नेतृत्व इसी डर से राजस्थान में कोई भी कदम बढ़ाने से संकोच कर रहा है. इसके अलावा बीजेपी में भी गुटबाजी की खबरें सामने आने लगी हैं.

वसुंधरा राजे के हिस्से में क्या आता है, थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा - लेकिन ये तो धीरे धीरे साफ होने लगा है कि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार का काउंट डाउन शुरू हो चुका है.

उधर बीजेपी जानती है अशोक गहलोत को कमजोर आंक लेना सबसे बड़ी मुर्खता होगी यही कारण है कि बीजेपी के लिए अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान में सबकुछ उतना आसान नहीं है. लम्बा राजनीतिक अनुभव रखने वाले गहलोत के सम्पर्क में कुछ बीजेपी विधायक भी हैं जिसका फायदा उठाते हुए गहलोत अपनी सरकार बचा सकते हैं. इन सबके बीच बीजेपी अब डिफेंस मोढ पर है और विधायकों को बचाकर सत्ता पर काबिज होने के लिए 'ऑपरेशन लॉटस' को सफल बनाने में जुट गई है. बताया जा रहा है बीजेपी धीरे-धीरे सभी विधायकों की बाड़ेबंदी कर देगी. यानी आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति और रोचक, रोमांचक होने वाली है क्योंकि पिक्चर अभी बाकि है.