सावधान! कोरोना वायरस को घातक बनाने के लिए प्रदूषण मुख्य घटक, एक अध्ययन में दावा 


 जयपुर. देश और दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना महामारी के लिए केवल यह वायरस ही नहीं बल्कि प्रदूषण भी मुख्य घटक है जिसने इस साधारण से वायरस को जानलेवा स्तर तक पहुंचाया है. यह दावा किया है जयपुर के जाने माने होम्योपेथी चिकित्सक डॉ. अजय यादव ने. 

डॉ. अजय यादव का दावा है कि उन्होने करीब तीन हजार कोरोना संक्रमित लोगों पर एक अध्ययन के बाद य​ह निष्कर्ष निकाला है. अपनी पुस्तक  "why to blame only virus for pandemic?" में इन्होंने ये बताने का प्रयास किया है कि केवल वायरस ही इस महामारी के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. "प्रदूषण" वो अहम कारक है जो कि एक साधारण से वायरस को जानलेवा स्तर तक घातक बनाने के लिए उत्तरदायी है. प्रदूषण की जनक क्लोरीन, ब्रोमीन, सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, ओजोन जैसी विषैली गैसें इस वायरस के कहर को बढाने में काफी घातक साबित हो रही हैं. 

 डॉ. अजय यादव का मानना है कि ब्रोमियम, कलोरम और ओज़ोनम जैसी कारगर दवाइयों ने महामारी के इस दौर में मरीजों पर बहुत सकारात्मक असर दिखाया है. जब इन्होंने और गहराई तक अध्ययन किया तो कुछ चौंकाने वाले नतीजे सामने आए और अपनी पुस्तक"why to blame only virus for pandemic?" में प्रकाशित किया है. 

इससे पहले महामारी के इस दौर में अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर "COVID-19" से निजात पाने के लिए होम्योपथिक हल ढूंढ़ने का प्रयास किया और इसी कड़ी में अपनी पहली पुस्तक "Mystery of corona" का भी प्रकाशन किया था. 

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अब चूंकि प्रदूषण इस महामारी को बढाने में अहम रोल निभा रहा है तो इस लिहाज से होम्योपैथिक सिद्धांत "सामान का सामान से उपचार" के तहत ब्रोमियम, कलोरम और ओज़ोनम जैसी कारगर दवाइयां मरीजों पर जादुई सकारात्मक असर डालती हैं. ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सम्भवतः ये गैसे ही महामारी के फैलने में मुख्य कारण है. 

अध्ययन में यह भी पाया कि कई वैज्ञानिक खोजों से ये प्रमाणित है कि ओजोन परत के विघटन के लिए भी यही गैसें
उत्तरदाई हैं और इनका प्रदूषण में मौजूद होना इस अनदेखे खतरे का प्रमाण है. और अधिक गहराई तक अध्ययन में डॉ. अजय ने यह पाया कि इन जानलेवा गैसों के हमारे श्वसनतंत्र में पहुंचने के बाद जो नुकसान जनक शारीरिक नतीजे सामने आते हैं वो बिल्कुल उन प्राण घातक नतीजों के समान हैं जो कि एक Corona के मरीज़ में देखने को मिलते हैं. दूसरी ओर उच्च प्रदूषक तत्व जिन्हें हम "2.5 particulate matter" के नाम से जानते हैं, उनके भी श्वसन तंत्र पर वही दुष्प्रभाव होते हैं. जो कि Corona मरीजों में पाए जाते हैं, यानि तकनीकी भाषा में कहा जा सकता है कि PM 2.5 और corona virus की pathology एक समान है. साथ ही ये दोनों ही DNA के स्वरूप को बदलने के लिए समान रूप से उत्तरदाई हैं.

इस आधार पर कहा जा सकता है कि बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने से ही महामारी से बचाव किया जा सकता है. ये भी बताया गया है कि वैक्सीन बनाने मात्र से इससे निजात पाना आसान नहीं होगा क्योंकि वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व फिर से वायरस की जीन सरंचना में बदलाव कर उसका स्वरूप बदल देंगे और हम उसे फैलने से रोकने में असमर्थ होंगे. मात्र कोरोना ही नहीं बल्कि अधिकाधिक बीमारियों का मुख्य कारण प्रदूषण है. अतः हमें बीमारियों का हल ढूंढ़ने के बजाए उसके कारण (प्रदूषण) की तरफ़ ध्यान दे कर इसे कम करने का उपाय देखना होगा.