पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद गहलोत खेमे में खुशी, राजस्थान में अब जल्दबाजी करके रिस्क नहीं लेना चाहेगा कांग्रेस आलाकमान


जयपुर. पंजाब में कई बार कैप्टन अमरिंदर जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता ने कहा कि आलाकमान ने जल्दबाजी में अपरिपक्वता के साथ फैसला लिया है, और सिद्धू स्थिर आदमी नहीं हैं, वह पार्टी और राज्य दोनों के लिए खतरा है. बावजूद इसके आलाकमान ने कैप्टन से पद छीनकर सिद्धू के भरोसे पंजाब कांग्रेस में बदलाव कर दिए लेकिन जैसे ही मंगलवार को सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो कैप्टन फिर से कांंग्रेस आलाकमान को याद आने लगे. और अब लग रहा है मानो को बहुत बड़ा धोखा हो गया है, चुनावों से पहले पंजाब कांग्रेस किसी चौराहे पर आकर खड़ी हो गई है.
कांग्रेस की जगत हंसाई हुई सो अलग. पर इन सबके बीच राजस्थान कांग्रेस में गहलोत खेमा खासा उत्साहित नजर आ रहा है. इस एपिसोड के बाद अब यह तय हो गया है कि राजस्थान में गहलोत को हटाने जैसा फैसला अब आलाकमान के लिए सोचना भी मुश्किल होगा. क्योंकि अब आलाकमान किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगा. राजस्थान में गहलोत को हटाने की तो दूर की बात, कैप्टन जैसे दिग्गज नेता को बैठे बिठाए अपना दुश्मन बना चुका कांग्रेस आलाकमान अब गहलोत जैसे राजनीतिक दिग्गज को कैप्टन की तरह खोने का सोच भी नहीं सकता. वरना कांग्रेस की नैय्या पार लगाने वाला कौन बचेगा यह सोचने वाली बात है. 
बताया जा रहा है ​कि सिद्धू की नाराजगी दूर करने के चक्कर में पंजाब कांग्रेस में सब कुछ चौपट होता नजर आ रहा है. राणा गुरजीत सिंह को नवजोत सिंह सिद्धू के विरोध के बावजूद मंत्री बनाना, सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देना, एपीएस देयोल को एडवोकेट जरनल बनाना, कुलजीत नागरा को मंत्रिमंडल में शामिल न करना, मंत्रिमंडल के गठन ओर मंत्रियों के पोर्टफोलियो बंटवारे में सिद्धू की राय न लिए जाना कुछ ऐसे एपिसोड पिछले दिनों में हुए कि कांग्रेस ने कैप्टन के बाद सिद्धू से भी नाराजगी मोल ले ली. यहां तक कि सिद्धू खुद को सीएम ना बनाए जाने के साथ ही इस इस्तीफे की प्लानिंग कर चुके थे.

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माना यह भी जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कल यानी बुधवार से पंजाब के दो दिवसीय दौरे पर निकल रहे हैं. ये दौरा लुधियाना से शुरू होगा. इस दौरान सीएम केजरीवाल चुनावों के मद्देनजर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं. इस मामले से भी जोड़कर सिद्धू का इस्तीफा देखा जा रहा है.

बहरहाल अब पंजाब कांग्रेस में चाहे कुछ भी हो लेकिन राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान ऐसा कोई एपिसोड क्रिएट नहीं करना चाहता जिससे जगत हंसाई हो और ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे का मजबूत होना तय है. अब पायलट को किस तरह से राहुल और प्रियंका मनाते हैं यह उनका काम है. फिलहाल गहलोत खेमा मजबूत हो गया है, इसमें कोई दो राय नहीं.