क्या चाहते हैं हूती विद्रोही? जो यमन में एयरपोर्ट पर 26 लोगों को हमला कर मार डाला, क्यों रची पूरी सरकार को मारने की साजिश? पढें


सना."हम और सरकार के अन्य सदस्य अदन में हैं और हम सुरक्षित हैं. कायर चरमपंथियों ने अदन हवाई अड्डे को निशाना बनाया जो कि यमन के लोगों और यमन के ख़िलाफ़ छेड़े गए युद्ध का ही हिस्सा है." हमले के बाद प्रधानमंत्री मइन अब्दुल मलिक सईद ने यह बात कही. बता दें दक्षिणी शहर अदन एयरपोर्ट (Aden Airport) पर बुधवार शाम भीषण धमाका हुआ. सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि यह धमाका (Terrorist Explosion) नव गठित कैबिनेट के सदस्यों को लेकर आए विमान के उतरने के कुछ देर बाद हुआ. विस्फोट के कारण कम से कम 26 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हो गए. एक मिसाइल ने टरमैक को हिट किया और विस्फोट हुआ.

इससे पूर्व भी अगस्त, 2019 में अदन में एक सैन्य परेड पर हूती विद्रोहियों के मिसाइल हमले में 36 लोगों की मौत हो गई थी. और यह हमला भी हूती विद्रोहियों की साजिश बताया गया.

गौर करने वाली बात यह है कि सऊदी की राजधानी रियाद में शनिवार को ही यमनी राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी से पहले यमन की नई सरकार ने शपथ ली. तुर्की ने भी नई सरकार के गठन का स्वागत किया. यमन सरकार और अलगाववादी Southern Transitional Council (STC) के बीच रियाद समझौते के तहत प्रधान मंत्री मईन अब्दुल मलिक की अध्यक्षता में कैबिनेट का गठन किया गया था, जिसे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का समर्थन प्राप्त है.

अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार हूती विद्रोहियों ने हमला क्यों किया? तो बता दें कि यमन 2014 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद से लगातार बर्बादी की कगार पर है. आए दिन देश मे हमले, हिंसा आम बात हो चली है. इसका सबसे बड़ा कारण है ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा देश के अधिकतर पश्चिमी हिस्सों पर नियंत्रण कर लेना, और वहां अपना आधिपत्य स्थापित करना. सऊदी अरब समर्थित राष्ट्रपति अब्दूरब्बू मंसूर हादी को देश छोड़कर भागने पर मजबूर करने के बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने यमन के युद्ध में हस्तक्षेप किया था. इसके बाद से यमन के हालात और बिगड़ते होते चले गए. इस लड़ाई के कारण अब तक 1 लाख 10 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा कई हज़ार नागरिकों की मौत कुपोषण, बीमारी और भुखमरी से हो गई.

बता दें कि सेना के ही कुछ लोगों की मिलीभगत से हूथियों की सैन्य ताकत बढ़ी है. इसे अंसर अल्लाह के रूप में जाना जाता है. इतना ही नहीं यमनी सेना के करीब 60 प्रतिशत सैनिक हूथी समूह के साथ जुड़े हैं.

2019 में जारी पीटर सैलिसबरी और रेनाड मंसूर ने एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि हूथी विद्रोहियों के पास एक लाख 80 हजार से लेकर दो लाख लोगों की सेना है. सेना के ये जवान टैंक चलाने, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल चलाने, लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल चलाने से लेकर तकनीकी वाहन तक को चलाने में सक्षम हैं. समूह का दावा है कि 2014 में राज्य पर कब्जा करने के बाद उनके शस्त्रागार में से कई उन्नत हथियारों को जब्त कर लिया गया था. हूथी विद्रोहियों के पास सऊदी की तरह आर्थिक और उन्नत मिलिट्री संसाधन नहीं हैं. फिर भी प्रमुख आबादी वाले जगहों सहित यमन के लगभग एक तिहाई क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. यहां तक की सऊदी से लगे सीमा क्षेत्र का भी उल्लंघन किया है. 

आपको बता दें कि हूथियों की राजनीतिक विचारधारा शाही शासन के खिलाफ है. ये इजराइल, अमेरिका और सऊदी अरब को दुश्मन मानते हैं. हालांकि कुछ हूथियों ने सऊदी सीमा के उत्तर में क्षेत्रों के दावे किए हैं लेकिन वे जिस तरह से काम कर रहे हैं, ऐसे में यह साफ संकेत है कि उनका लक्ष्य यमन के अन्य क्षेत्रों पर भी अपना नियंत्रण स्थापित करना है. और यहीं से इस देश में अशांति का वातावरण उत्पन्न होता है और उसी की परिणिति यह हमला रहा जिसमें 26 नागरिकों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए.