World Suicide Prevention Day -2019, हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या, जानें 10 बड़े फेक्ट


भारत. कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या के बाद हाल में सवाल फिर उठ खड़ा हुआ कि आखिर वो कौन सी वजहें होती हैं, जिनसे लोग आत्महत्या करने तक का फैसला कर डालते हैं. आर्थिक स्थिति, व्यापार घाटा, मानसिक तनाव, अकादमिक परेशानियां, काम का अत्यधिक दबाव, रिलेशनशिप की उलझनें, पारिवारिक झगड़े, विवाहेत्तर संबंध आदि कुछ ऐसे कारण है जो दुनियाभर में आज सुसाइड का प्रमुख कारण बन गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में प्रतिवर्ष लगभग 8,00,000 लोग आत्महत्या करते हैं, यानी प्रति 40 सेकेंड में एक व्यक्ति खुद की जान ले लेता है. सुसाइड यानी आत्महत्या की इसी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए प्रतिवर्ष आत्महत्या रोकथाम दिवस भी मनाया जाता है ताकि जागरूकता बढ़ाई जा सके और सुसाइड के बढते आंकड़े को कम किया जा सके. गहरी निराशा की चरम अवस्था ही आत्महत्या के लिए प्रेरित करती है. अंग्रेजी में एक शब्द है- होपलेसनेस, यह गहरी निराशा से जन्म लेता है कि अब तो मेरा कुछ हो ही नहीं सकता, इसलिए मर जाना ही बेहतर है. लोग अक्सर इस बारे में बात करने से हिचकते हैं. ऐसे में होता यह है कि जो लोग खुदकुशी करने के विचारों या जज़्बात से जूझ रहे होते हैं, वो किसी से बात नहीं कर पाते और खुद को अकेला महसूस करते हुए खुदकुशी के विकल्प को आखिरी हल मान बैठते हैं. हालांकि इस दुनिया में कई ऐसे मजबूत इंसान भी हैं जो बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी घबराते नहीं और सुसाइड जैसे ख्याल तक उनके आसपास नहीं भटकते. इंसान अपने आपको मजबूत रखे तो इस परिस्थिति से बचा जा सकता है.

आत्महत्या, जानें 10 बड़े फेक्ट

1 - विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की स्थापना साल 2003 में हुई थी जिसका मकसद बढ़ते सुसाइड को रोकना, पीडित को तुरंत तनाव से मुक्त करना था, ताकि ऐसी परिस्थिति को टाला जा सके.

2 - भारत के हालात इस मामले में बहुत खराब हैं. पूरी दुनिया में शीर्ष 20 देशों में शुमार था और अब 21वें नंबर पर है. यहां से बेहतर स्थिति पड़ोसी देशों की है. डब्ल्यूएचओ की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या की दर में श्रीलंका 29वें, भूटान 57वें, नेपाल 81वें, म्यांमार 94वें, चीन 69वें, बांग्लादेश 120वें और पाकिस्तान 169वें पायदान पर हैं. नेपाल और बांग्लादेश की स्थिति जस की तस है. भारत ने मामूली सुधार किया है. जबकि बाकी पड़ोसी देशों में हालात खराब हुए हैं. चीन इस मामले में बहुत खराब स्थिति में आया है, 103 से सीधे 69वें पायदान पर.

3- खुदकुशी करने वाले ज्यादातर लोग लो एंड मिडिल इनकम देशों से ताल्लुक रखते हैं. यानी जिन देशों में लोगों की प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा कम है, वहां खुदकुशी के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं. खुदकुशी करने वाले इस वर्ग के लोगों की तादाद 79 प्रतिशत है.

4- एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में खुदकुशी करने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 15 से 29 बताई गई थी.

5- पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले साउथ-ईस्ट एशिया से सामने आते हैं. यहां करीब 12 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की मौत सुसाइड की वजह से होती है. यूरोप में भी सुसाइड के मामले कुछ कम नहीं है, लेकिन यहां सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या बाकी देशों मुकाबले काफी अधिक है.

6- दुनिया में सुसाइड करने वाली 10 महिलाओं में 4 भारत की. सुसाइड करने वाली महिलाओं में 71.2 फीसदी की उम्र 15 से 39 के बीच है. भारत में मर्जी के खिलाफ और कम उम्र में शादी, कम उम्र में मां बनना, निम्न सामाजिक स्तर, घरेलू हिंसा और आर्थिक आत्मनिर्भरता से जुड़े मसलों के चलते सबसे ज्यादा शादीशुदा महिलाएं सुसाइड करती हैं.

7- स्टडी में पाया गया है कि साल 1990 में जहां विश्व की महिलाओं के सुसाइड में भारत की महिलाओं का प्रतिशत 25.3 रहता था, वह साल 2016 तक बढ़कर 36.6 हो गया. दुनिया भर में होनेवाली आत्महत्याओं में भारतीय महिलाओं की संख्या एक-तिहाई से अधिक और पुरुषों की संख्या लगभग एक-चौथाई है. हमारे देश में ऐसी घटनाओं की दर वैश्विक औसत से भी ज्यादा है.

8- साल 1990 से तुलना करें तो ग्लोबल जनसंख्या में भारत ने 16.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है तो महिलाओं के सुसाइड के मामले में भी 25.3 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. खुदकुशी करने वाले लोगों की संख्या पूरी दुनिया में युद्ध और नरसंहार में मारे गए लोगों से भी कहीं ज्यादा है.

9- राज्यवार की गई एक स्टडी में सुसाइड डेथ रेट में कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सबसे आगे हैं. इसमें जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, दिल्ली, पंजाब, झारखंड और बिहार कम सुसाइड वाले राज्यों में से एक है.

10- सही लाइफस्टाइल का चुनाव हो, हेल्दी फूड खाया जाए, व्यायाम को रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाया जाए, जिंदगी के प्रति संतुलित नजरिया बनाया जाए, अपनी गलतियों से सीखा जाए, नकारात्मक सोच से दूर रहा जाए, अपने भीतर बच्चपने को जिंदा रखा जाए, अपनी क्षमता के हिसाब से करियर और रिश्तों का चुनाव किया जाए तो आत्महत्या जैसे विचार से बचा जा सकते है.