भारत और चीन के सैनिकों की वापसी: पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम, डेमचोक और देपसांग में शांति की बहाली की ओर बढ़ा सामरिक संवाद


पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में भारत और चीन के सैनिकों की वापसी प्रक्रिया शुरू हो गई है। हाल ही में, दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ, जिसके बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति सुधारने की उम्मीद बढ़ गई है। यह कदम पिछले चार वर्षों से चल रहे सीमा तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद, भारतीय और चीनी सेनाएं पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे हटने लगी हैं। इस समझौते के तहत, भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर और चीनी सैनिक नाला के पूर्वी हिस्से की ओर वापस लौट रहे हैं।

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने पहले ही इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि भारत और चीन ने टकराव वाले क्षेत्रों पर गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक सफल समझौते पर पहुंच गए हैं। यह निर्णय दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडरों की दिन की योजनाओं पर चर्चा के बाद लिया गया था, जिसमें सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता का समर्थन किया गया था।

इसके अतिरिक्त, दोनों पक्षों के बीच 22वें दौर की वार्ता की भी योजना बनाई गई है। वार्ता के दौरान, दोनों पक्ष अस्थायी ढांचों को पूरी तरह से हटाने और गश्त को फिर से शुरू करने के बारे में चर्चा करेंगे। यह संवाद और सहमति दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण में मददगार साबित होगी।

बीते दिनों, भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेत मिलते रहे हैं, और दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसके तहत, पहले से स्थापित तंत्रों को मजबूत किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी भी तरह की बढ़ोतरी को रोका जा सके।

इस प्रकार, डेमचोक और देपसांग में सैनिकों की वापसी एक सकारात्मक कदम है, जो न केवल सीमा पर शांति की दिशा में मदद करेगा, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को भी बेहतर बनाने में सहायक होगा।