चीन से करीब 7, 562 km दूर इटली को कैसे बना डाला कोरोना ने दुनिया की सबसे बड़ी कब्रगाह? पढें पूरी रिपोर्ट


रोम/नई दिल्ली. हम सब सोच रहे होंगे कि आखिर भारत में इतना डर कोरोना को लेकर क्यों बना हुआ है, कहीं धारा 144 लगाई जा रही है तो कहीं शॉपिंग मॉल, सिनेमाघर, रेस्त्रां बंद किए जा रहे हैं, और तो और अब जनता कर्फ्यू के हालात देखने को मिल रहे हैं. लेकिन इन सब के पीछे क्या आप जानते हैं क्या कारण है? इसके पीछे का एकमात्र कारण है इटली.

इटली ने जो गलती की वो भारत या कोई भी समझदार देश नहीं करना चाहेगा. क्योंकि चीन से करीब 7, 562 किलोमीटर दूर होने के बावजूद इटली में कोरोना वायरस का ऐसा कहर देखने को मिला कि जिस देश में कोरोना का दूर दूर तक नाम नहीं था वो आज दुनिया की सबसे बडी कब्रगाह बन गया है. कोरोना के कहर से चीन में भले ही मौत का सिलसिला थम गया है लेकिन इटली में इस महामारी ने दुनिया की सबसे बड़ी कब्रगाह बना दी है.

चीन में मरने वाले लोगों की संख्या को इटली ने पीछे छोड़ दिया है. चीन में जहां कोरोना का प्रकोप काबू में आता दिखाई दे रहा है वहीं इटली में इससे अब तक 3400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. जबकि चीन में अब तक 3248 लोग कोरोना से अपनी जान गवा चुके हैं. भारत में कोरोना से 5 मौत हो चुकी हैं और 180 लोग संक्रमित हैं. कोरोना से इटली में 24 घंटे में 475 मौत से हाहाकार मचा है क्योंकि एक दिन में किसी भी देख में यह सबसे ज्यादा मौतें हैं.

दरअसल इटली में जनवरी के अंत में कोरोना वायरस के 3 संदिग्ध केस सामने आए थे. इनमें दो चीनी पर्यटक थे जबकि एक इटली का था. प्रशासन ने इन्हें अलग रखा और इनसे मिलने-जुलने वालों को भी ढूंढ लिया गया. हर तरह से कोरोना को ठीक करने में संभव कदम भी उठाए. मगर इसी दौरान इटली से एक गलती हो गई. इटली सरकार को लगा कि उसने इस वायरस पर काबू पा लिया है, लेकिन लॉम्बार्डी प्रांत पर उसका ध्यान ही नहीं गया. यहां अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आना-जाना भी खूब है क्योंकि उत्तरी इटली का लॉम्बार्डी प्रांत देश का आर्थिक केंद्र माना जाता है. इस क्षेत्र में कोरोना वायरस चुपचाप तरीके से फैलता रहा और प्रशासन का इस ओर ध्यान ही नहीं गया. उनका ध्यान सिर्फ उस क्षेत्र में ही रहा जहां यह कोरोना संक्रमित मिले थे. और जब तक इटली को इसके बारे में पता चला तो सब हाथ से निकल चुका था.

सरकार और स्वास्थ्य प्रशासन के बीच समय रहते आवश्यक तालमेल नहीं बैठ पाया. इटली ने इसे बहुत हल्के में लिया. और इसी वक्त लॉम्बार्डी, वेनेटो और एमिलिया रोमागा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इटली के 85 फीसदी संक्रमित मरीज इसी क्षेत्र में मिले और 92 फीसदी मौत के मामले भी यहीं सामने आए. 38 साल का जो एक संक्रमित व्यक्ति था वो फरवरी के मध्य में जाकर डॉक्टर ढूंढ पाए. और उसको आइसोलेशन वार्ड में भेजने में करीब 36 घंटे लगा दिए गए. इस दौरान वह कई अस्पतालों में घूम फिर चुका था, काफी लोगों के सम्पर्क में आ चुका था, उसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया. बताया जाता है कि चूंकि वह चीन नहीं गया था, इसलिए उसकी जांच नहीं हुई, और उसे इटली प्रशासन ने बहुत हल्के में लिया, जबकि वो कोरोना संक्रमित था.

इसके बाद तीन जो सबसे प्रमुख कारण इटली में इसको भयावह बनाने के लिए जिम्मेदार रहे वो यहां की बुजुर्ग आबादी, स्वागत का तरीका और अत्यधिक धूम्रपान रहे.

पहला कोरोना वायरस के चीन में फैलने के साथ ही यह चीज स्पष्ट हो गई थी कि बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते आए. इटली यूरोप का सबसे बुजुर्ग देश माना जाता है, जहां 65 साल से ज्यादा के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में यहां आसानी से कोरोना वायरस फेल गया.

दूसरा कारण इटली में अभिवादन का तरीका दोनों गालों पर चूमा जाता है या किस किया जाता है. यह संक्रमण के फैलने का सबसे बडा कारण रहा.

तीसरा प्रमुख कारण प्रदूषण और स्थानीय लोगों की धूम्रपान करने की आदतें भी काफी हद तक जिम्मेदार रही. ऐसा सामने आया है कि ऐसे लोगों में भी संक्रमण सबसे ज्यादा फैलता है, जो धूम्रपान ज्यादा करते हैं. अध्ययन के मुताबिक इटली में 21 फीसदी लोग धूम्रपान करते हैं. और तो और यूरोप के 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से 24 इटली में हैं, जो अधिकतर उत्तरी इटली के हैं. इन वजहों से स्थानीय लोगों में सांस की बीमारी की समस्या ज्यादा है. और यही कारण रहा कि यहां कोरोना का प्रकोप विकराल रुप ले गया.

7, 562 किलोमीटर दूर होने के बावजूद चीन से इटली में संक्रमण पहुंचने का प्रमुख कारण रहा दोनों देशों के बीच घनिष्ट व्यापार संबंध. चीन में जहां इटली के लोग काफी तादात में रहते हैं वहीं इटली में भी अधिकतर कंपनियों में चीनी काम करते हैं. ऐसे में दोनों देशों में लोगों का आना जाना सामान्य बात है.

इटली के फैशन बाजार में चीन की जबरदस्त पकड़ है. उत्तरी इटली में काम करने वाले करीब सवा लाख लोग वुहान या वेंझोउ से जुड़े हुए हैं. वुहान से इटली के सीधी उड़ान भी संचालित हैं. इसी वजह से वुहान से सैंकड़ों लोगों का इटली आना जाना रहा. जिससे यहां कोरोना वायरस का प्रकोप इतना ज्यादा फैला. समय रहते इटली ने अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक नहीं लगा पाया. निर्णय लेने की देरी से कोरोना ने इटली को दुनिया की सबसे बड़ी कब्रगाह बना डाला.