देशभर में कृषि बिल के खिलाफ सडकों पर किसान और विपक्षी, जानें ऐसा क्यों? क्या है सच. पढें 10 बडे फैक्ट


नई दिल्ली. कृषि बिल (Farm Bills) के खिलाफ देशभर के किसानों का विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. ​राजस्थान में भी कांग्रेस की अगुुआई में किसानों ने अपना विरोध जताया. पंजाब-हरियाणा में भी किसान पिछले कई दिनों से कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. कृषि विधेयक (Agriculture Bills) के विरोध में शनिवार को किसान मजदूर संघर्ष समिति का पंजाब के अमृतसर में 'रेल रोको' आंदोलन हुआ. कई राजनीतिक दल भी विधेयक को 'किसान-विरोधी' बता रहे हैं और किसानों के समर्थन में आ खड़े हुए हैं. हालांकि भारत सरकार ने एमएसपी की दरें बढाकर किसानों के प्रति अपने सकारात्मक रुख का परिचय दिया लेकिन किसान अभी तक बिल का विरोध कर रहे हैं.

 

कांग्रेस क्यों विरोध में


कांग्रेस आरोप लगा रही है कि इससे सरकार मंडी व्यवस्था खत्म कर के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित करना चाहती है. खुद राहुल गांधी का ट्वीट देखें तो उन्होने लिखा कि 'मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था लेकिन मोदी सरकार के ‘काले’ क़ानून किसान-खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाए जा रहे हैं. ये 'ज़मींदारी' का नया रूप है और मोदी जी के कुछ ‘मित्र’ नए भारत के ‘ज़मींदार’ होंगे. कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी.'

 

एक्सपर्ट की राय


नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद का मानना है कि यह कानून काफी हद तक किसानों को राहत देगा. एपीएमसी की जकड़ से आज़ाद करेगा. किसानों को अपना उत्पाद सीधे किसी को भी बेचने की छूट होगी. इससे ख़रीदारों में प्रतियोगिता बढ़ेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे. अब कानूनी रूप से मान्य बिचौलिये के न होने से किसान सीधे ग्राहकों को अपना उत्पाद बेच सकेंगे.

 

ऐसे में जाने माने आर्थिक और राजनीतिक विश्लेषक सुभद्र पपड़ीवाल बता रहे हैं इससे जुडी 10 प्रमुख बातें.


1. किसान भारत में सबसे महत्वपूर्ण घटक माना जाता रहा है. चाहे आर्थिक विषय हों अथवा राजनीतिक. अभी अभी किसान की आमदनी 2022 तक दो गुना करने के वादे को पूरा करने की दिशा में संसद में तीन कानून बनाए हैं.


2. लम्बे नाम के इन कानूनों में से एक मंडी की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए यानि APMC, एक कांट्रेक्ट फार्मिंग को नियोजित करने के लिए और एक भंडारण के लिए यानि EC Act कानूनों के संशोधन के लिए बनाया गया है.


3. APMC कानून सन् 1950 के बाद लागू हुआ और इसमें संशोधन 2003 में किया गया था जिसमें किसानों को अपनी उपज मंडियों के माध्यम से बेचने की अनिवार्यता लागू की गई थी. इसके जितने अच्छे परिणाम मिले उससे अधिक किसानों के शोषण की खबरें मिली.


4. न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP भारत में राजनीति का महत्त्वपूर्ण विषय रहा है. हरित क्रांति करने वाली हो या MSP की दर और दायरा बढ़ाने वाली सरकार हो, सभी स्वं को किसान कल्याणकारी और दूसरे दलों को किसान विरोधी दिखाई देने की जी तोड मेहनत करते रहे हैं. लेकिन यह कानून अब किसानों को खुला बाजार और खरीददार को बड़ी स्पर्धा देने वाला है.


5. FCI समर्थन मूल्य पर अनाज, दलहन और तिलहन खरीदकर गोदामों में रखती आई है जिसमें सब्सिडी और किराया देना होता था. कृषि उपज का क्षरण, बर्बादी और चोरी एक आम बात थी. इस व्यवस्था में अब निजी निवेशकों को सीधे ख़रीद कर अपने कोल्ड स्टोरेज या गोदामों में भंडारण और विपणन की छूट होगी. ये छोटे बड़े और बहुत बड़े कारोबारी अब सीधे किसान के खेत से खरीद के लिए आपस में स्पर्धा करेंगे जिससे किसानों को अधिक मूल्य मिलना निश्चित है चाहे समर्थन मूल्य कुछ भी हो.


6. अब बहुत बड़े व्यापारी, नेता और तथाकथित किसान नेता जो छोटी बड़ी मंडियों में अपने आढ़तियों का कार्टेल बनाकर खरीद का मूल्य नियंत्रित कर सकते थे वे देशव्यापी कार्टेल नहीं बना सकते. उसपर भी समर्थन मूल्य कानून यथावत जारी रहेगा. इसपर लगाम लगाने के लिए e-NAM योजना लागू होने जा रही है जिसमें किसान अपने घर बैठे डिजिटल माध्यम से अपनी उपज का सौदा और भुगतान देश में कहीं भी और कहीं से भी कर सकेंगे और कार्टेल के चंगुल से मुक्त रहेंगे.


7. किसान की फसल पर कांट्रैक्ट फार्मिंग को पिछली सरकार ने भी बढ़ावा दिया था और यह व्यवस्था अब भी जारी है किन्तु अब किसानों के दरवाजे पर जाकर खरीददार, प्रोसेसर, भंडारण कर्ता आदि फसल बोने से लेकर उसके परिवहन और विपणन तक की जिम्मेदारी लेंगे और किसान को तकनीक, यंत्र संयंत्र आदि से भरपूर मदद करेंगे क्योंकि यह खरीददार के हित में होगा. इससे कोल्ड चेन में, भंडारण आदि में अभूतपूर्व नियोग, आधुनिकीकरण और बदलाव होगा और field to fork ratio में भारी सुधार होगा.


8. भारत के बहुत से किसान अपने अपने समूह बनाकर सीधे अंतिम उपभोक्ता तक विपणन करने की व्यवस्था आगामी वर्षों में विकसित कर लेंगे जो किसान को पहले से बहुत अधिक आय देगी और उपभोक्ता को पहले से सस्ती सामग्री उपलब्ध होगी. देश के मध्यम दर्जे के आढ़तियों को और अन्य बिचौलियों को नुकसान होना निश्चित है.


9. प्रमुख फसलों के क्षेत्रों के आसपास लघु-मध्यम प्रसंस्करण उद्योग लगाना, वेयरहाउस और कोल्डस्टोरेज लगाना बहुत आसान और फायदे मंद होगा क्योंकि जो व्यवसाई बड़े पैमाने पर कांट्रैक्ट फार्मिंग नहीं कर सकते हैं उनके लिए सीधे खेत से उपज खरीद करना आसान होगा. यह स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभूतपूर्व अवसर उपलब्ध करेगा.


10. इस कानून का सबसे बड़ा प्रभाव उन व्यापारिक प्रतिष्ठानों और प्रभावशाली नामों पर पड़ना निश्चित है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राजनीतिक संरक्षण से संबंधित रहे हैं. इन समूहों ने देश की प्रमुख मंडियों में आढ़तियों के साथ मिलकर मनचाही खरीद व्यवस्था विकसित कर ली थी. इन समूहों ने बहुत बड़ा नियोजन 2.5% की आढ़त की आड़ में, वेयरहाउस और ऊर्जा संयंत्रों पर कर रखा है जो अन्य नामों से खरीद का बड़ा खेल किसान के साथ खेल रहे हैं. यह खेल हर हाल में समाप्त होगा.