मनरेगा के बजट में कटौती पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जारी किया स्पष्टीकरण


नई दिल्ली। मीडिया की विभिन्न रिपोर्टों में यह चिंता व्यक्त की गई है कि केंद्रीय बजट 2023-24 में मनरेगा योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कि 2022-23 के 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमानों से 18 प्रतिशत कम है। रिपोर्टों में कहा गया है कि यह ग्रामीण रोजगार योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को प्रभावित कर सकता है, जिसका उद्देश्य गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना देना है, जबकि यह सच्चाई से कोसों दूर है। महात्मा गांधी नरेगा एक मांग आधारित योजना है। रोजगार की मांग करने वाले किसी भी परिवार को योजना के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का अकुशल शारीरिक श्रम प्रदान किया जाता है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, कुल 99.81 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को काम की मांग के बदले में मजदूरी रोजगार की पेशकश की गई है। योजना के अंतर्गत अगर किसी आवेदक से रोजगार आवेदन की प्राप्ति के पंद्रह दिनों के अंदर ऐसा रोजगार प्रदान नहीं किया जाता है, तो वह दैनिक बेरोजगारी भत्ता का हकदार होता है।