अवैध खनन से दुखी संत के आत्मदाह के बाद धरना समाप्त, प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच समझौता हुआ


जयपुर। प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद बुधवार को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के साथ ही कनकांचल और आदि पर्वत को वन क्षेत्र घोषित करवाने की मांग पर चल रहा धरना समाप्त हो गया है। पसोपा में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री श्री विश्वेन्द्र सिंह की उपस्थिति में प्रदर्शनकारियों ने यह घोषणा की तथा मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का हार्दिक आभार व्यक्त किया। 

जिला कलेक्टर श्री आलोक रंजन ने पसोपा में साधु संतों और ग्रामीणों की उपस्थिति में समझौता पत्र पढकर सुनाया। पर्यटन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत इस मुद्दे पर पहले दिन से ही संवेदनशील हैं तथा इस मुद्दे पर बेवजह की राजनीति कर गुमराह करना गलत है। किसी को गुमराह कर मोबाइल टावर पर चढने या स्वयं को आग लगाने के लिये उकसाना गम्भीर बात है। हर व्यक्ति की जान कीमती है। ऐसे कृत्यों को बढावा न दें। 

समझौते के अनुसार 12 अक्टूबर, 2021 को भरतपुर कलेक्टर द्वारा  राज्य सरकार को भेजे गये प्रस्ताव के अनुसार कनकांचल और आदि पर्वत को 15 दिन के भीतर वन क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जायेगी। यहॉं स्थित खानों की लीज अन्य स्थान पर ट्रांसफर की जायेगी ताकि यहॉं रोजगार प्राप्त कर रहे लोगों का रोजगार प्रभावित न हो। आदि पर्वत व कनकांचल क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जायेगा। 

इससे पूर्व सम्भागीय आयुक्त श्री सांवरमल वर्मा, आईजी, भरतपुर रेंज श्री गौरव श्रीवास्तव, जिला कलेक्टर श्री आलोक रंजन और एसपी श्री श्याम सिंह ने प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमण्डल से कई दौर की वार्ता की, समझाइश की। इसके बाद इन चारों अधिकारियों ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये। प्रदर्शकारियों की ओर से गोपेश बाबा, राधा प्रिय, राधाकान्त शास्त्री, सुनील सिंह, हरीबोल बाबा, महन्त शिवराम दास, भूरा बाबा, मुकेश शर्मा, मोहना, सुल्तान गुर्जर ने हस्ताक्षर किये। 

 

बता दें कि राजस्थान में भरतपुर के पसोपा गांव में संत बाबा विजय दास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा ली। वे साधु-संतों के साथ पिछले 551 दिन से आंदोलन कर रहे थे। आग लगाने के बाद बाबा राधे-राधे कहते हुए दौड़ने लगे। पुलिसकर्मियों ने कंबल डालकर आग बुझाई, तब तक वे करीब 80 फीसदी जल चुके थे।