राजस्थान में कर संग्रहण व्यवस्था होगी मजबूत, करदाताओं को भी मिलेगी राहत, सरकार ने लिए 6 महत्वपूर्ण निर्णय


जयपुर. राजस्थान में करदाताओं की समस्याओं के समाधान एवं कर संग्रहण व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए वाणिज्यिक कर विभाग में कई बडे कदम सरकार ने उठाए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के बाद बदले हुए परिदृश्य तथा राज्य में इसके बेहतर एवं प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वाणिज्यिक कर विभाग के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके तहत बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए जोन, नियमित सर्किल एवं वार्डों की संख्या बढ़ाई जा रही है. साथ ही, करदाताओं की सुविधा के लिए अपीलीय प्राधिकारी कार्यालय भी स्वीकृत किए गए हैं. कर अपवंचन रोकने के लिए एन्फोर्समेंट विंग को मजबूत किया जा रहा है.

राज्य सरकार के कर राजस्व संग्रहण में वाणिज्यिक कर विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। राज्य के कर राजस्व में इसका योगदान लगभग 50 प्रतिशत तक है। वित्त वर्ष 2021-22 में कर राजस्व लक्ष्य 60 हजार करोड़ रूपए से अधिक का है। वर्तमान में इस विभाग द्वारा राज्य में आरजीएसटी एक्ट-2017, राजस्थान वैट एक्ट-2003 तथा राजस्थान इलेक्टि्रसिटी (ड्यूटी) एक्ट-1962 का क्रियान्वयन किया जाता है।


महत्वपूर्ण निर्णय


1. राजस्थान वाणिज्यिक कर सेवा और राजस्थान वाणिज्यिक कर (अधीनस्थ) सेवा के 15 अतिरिक्त पद सृजित करने की स्वीकृति दी है। अब विभाग के कैडर की संख्या बढ़कर 1833 हो जाएगी।


2. राज्य में जीएसटी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भिवाड़ी में नया जोन बनाया जाएगा. इससे प्रशासनिक जोन की संख्या 16 हो जाएगी. जोन जयपुर-4 और जोधपुर-2 को कार्यात्मक बनाया जाएगा. नियमित सर्किल की संख्या डेढ गुना तक बढ़ाकर 82 से 135 की जाएगी. नियमित वार्डाें की संख्या भी 296 से 320 की जाएगी. इससे डीलर्स की शिकायतों के पंजीकरण एवं मूल्यांकन के साथ ही राजस्व संग्रहण से जुड़े कार्यों में भी सुगमता आएगी. जीएसटी की शुरूआत के बाद विशेष सर्किल, वक्र्स कॉन्टे्रक्टस एवं लीजिंग टैक्स की प्रासंगिकता नहीं रही है, इसलिए उन्हें समाप्त किया जा रहा है.


3. करदाताओं की सुविधा के लिए कोटा जोन में अपीलीय प्राधिकारी का कार्यालय स्वीकृत किया गया है. इससे करदाताओं को कर मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के विरूद्ध स्थानीय स्तर पर ही अपील करने की सुविधा मिल सकेग. ऑडिट एवं एंटी इवेजन कार्य के सुदृढ़ीकरण के लिए बिजनेस इंटेलीजेंस यूनिट का गठन किया जा रहा है. तकनीक रूप से सक्षम इस यूनिट में विभागीय अधिकारी भी शामिल होंगे और यह यूनिट जीएसटीएन डेटाबेस एवं ई-वे बिल पोर्टल के डेटा का प्रभावी विश्लेषण करेगी.


4. एंटी इवेजन विंग का नाम बदलकर एन्फोर्समेंट विंग किया जा रहा है. साथ ही, कर धोखाधड़ी गतिविधियों में लिप्त वास्तविक व्यक्तियों की पहचान करने के लिए एक साइबर सेल गठित की जा रही है. साथ ही, राज्य, जोन एवं नियमित वृत्त स्तर पर त्रिस्तरीय ऑडिट स्ट्रक्चर बनाया जाएगा. राज्य और जोनल स्तर पर बडे़ और जटिल मामलों की ऑडिट सुनिश्चित होगी.


5.ईमानदारी से अपने कर दायित्व का निर्वहन करने वाले करदाताओं की शिकायतों के समाधान के लिए टैक्सपेयर केयर यूनिट गठित की जा रही है. इसमें योग्य सीए एवं कर व्यवसायी शामिल होंगे. साथ ही, डीलरों के लिए सरल, आसान और त्वरित पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए सेंट्रल रजिस्टे्रशन यूनिट बनाई जाएगी. पंजीकरण का कार्य मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार किया जाएगा.


6. राजस्थान राज्य कर अकादमी (स्टार) को अत्याधुनिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने के लिए इसमें वर्तमान में हो रहे बदलाव को शामिल करते हुए अद्यतन किया जाएगा. साथ ही, ऑथोरिटी फॉर एडवांस रूलिंग एवं जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल की जयपुर में स्टेट बेंच और जोधपुर में एरिया बेंच के लिए आवश्यक पदों को सृजित करने की मंजूरी दी गई है.

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