देश में स्वदेशी आंदोलन की फिर जगी अलख, 10 लाख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल अपनाएंगे स्वदेशी उत्पाद


नई दिल्ली. भारत में एक बार फिर स्वदेशी आंदोलन को बल मिला है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार रात अपने संबोधन में कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अब लोकल प्रोडक्ट्स (भारत में बने उत्पाद) का उपयोग करना होगा. उन्होंने सभी लोगों से अपील की थी कि खादी की तरह वे दूसरे उत्पादों में भी स्वदेशी को महत्व दें. लोकल के लिए वोकल बनें. उनकी इस अपील का सबसे बड़ा और पहला असर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों पर हुआ. इन बलों की कैंटीन और स्टोर्स पर अब केवल स्वदेशी उत्पाद ही मिलेंगे.

गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि अब सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की कैंटीनों पर सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की ही बिक्री होगी. 01 जून 2020 से देशभर की सभी CAPF कैंटीनों पर यह लागू होगा. इससे लगभग 10 लाख CAPF कर्मियों के 50 लाख परिजन स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करेंगे.'

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने और लोकल प्रोडक्ट्स (भारत में बने उत्पाद) उपयोग करने की एक अपील की जो निश्चित रूप से आने वाले समय में भारत को विश्व का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त करेगी.'

इस दौरान अमित शाह ने भी देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढावा देने की अपील करते हुए कहा कि 'एक संकल्प, एक लक्ष्य और आत्मनिर्भर भारत, अब सब लोग इस मुहिम पर काम करेंगे.'

खास बात यह है कि पीएम मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में अपील करते हुए कहा था कि आप देश में बने उत्पादों को अधिक से अधिक उपयोग में लाएं, अन्य लोगों को भी इसके प्रति प्रोत्साहित करें. यह पीछे रहने का समय नहीं बल्कि आपदा को अवसर में बदलने का समय है. हर भारतीय अगर भारत में बने उत्पादों (स्वदेशी) का उपयोग करने का संकल्प ले तो पांच वर्षों में देश का लोकतंत्र आत्मनिर्भर बन सकता है.

बडी बात यह है कि इन कैंटीनों और स्टोर में उत्पादों की कुल खरीद लगभग 2800 करोड़ रुपए है, जिनका एक मोटे अनुमान के मुताबिक 10 लाख सुरक्षा कर्मी और उनके 50 लाख परिजन इस्तेमाल करते हैं. अब ये सब स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे. सरकार के इस नए मिशन का स्वदेशी जागरण मंच ने समर्थन किया है. संस्था की ओर से कहा गया कि इस संकट के दौर में भारत को आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की जरूरत है.

 

स्वदेशी आन्दोलन का इतिहास:

ब्रिटिश शासनकाल में यह भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन का था. स्वदेशी का अर्थ है - 'अपने देश का'. इस रणनीति का मूल उद्देश्य था ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुंचाना और भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था. यह अंग्रेजी हुकुमत को उखाड़ फेंकने और भारत के समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था. वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला.

7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के 'टाउन हाल' में 'स्वदेशी आंदोलन' की घोषणा की गई तथा 'बहिष्कार प्रस्ताव' पास किया गया. यह 1911 तक चला और गांधी जी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल आन्दोलनों में से एक था.

अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक रहे थे. आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया. उन्होने इसे 'स्वराज की आत्मा' कहा था.