राजस्थान के एक IAS का कमाल, 10 दिन में ही कर दी 20 हजार क्वारंटाइन बेड्स की व्यवस्था


जयपुर (राकेश दाधीच). राजस्थान के जयपुर में कोरोना का लगातार खौफ बढ रहा था. रामगंज इलाके में कोरोना विस्फोट इतना जबरदस्त था कि चाहकर भी काबू करने के हर प्रयास लगातार नाकाम नजर आ रहे थे. उन लोगों की संख्या लगातार बढ रही थी जो या तो कोरोना संक्रमित हो चुके थे या उनके संक्रमित होने की संभावनाएं थी या फिर वो कोरोना संदिग्ध थे. संख्या में अचानक इतना इजाफा हो रहा था कि देश के टॉप हॉटस्पॉट में जयपुर का रामगंज शुमार हो चुका था.

शहर की आबादी क्षेत्र में क्वारंटाइन सेंटर बनाना खतरे से खाली नहीं था तो कई जगह इसका विरोध भी हो रहा था. और तो और लाखों की तादात में कई प्रवासी जयपुर आने वाले थे उनके भी क्वारंटाइन की व्यवस्था करनी थी. प्रशासनिक अमले के हाथ पांव फूले हुए थे कि क्या करें, क्या ना करें. जहां क्वारंटाइन सेंटर बनाओ वहीं पब्लिक का विरोध और झेलो.

ऐसे भयावह हालातों के बीच लॉकडाउन के चलते ऑफिस बंद होने से घर में मौजूद 1998 बैच के इस IAS अधिकारी से रहा नहीं गया. लगा यही वक्त है जब समाज और देश को वो अपना बेहतर दे सकते हैं. अपनी क्षमताओं का उपयोग कर संकट से समाज को निकाल सकते हैं. बस फिर क्या था, राज्य के प्रशासनिक मुखिया को इस बुरे दौर में एक्टिवली फील्ड में काम करने की मंशा जताई, क्योंकि जिस महकमें का वो जिम्मा अभी संभाल रहे थे उससे पहले राजस्थान के कई जिलों में डीएम की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वो संभाल चुके थे, जहां कानून व्यवस्था संभालने का भी अच्छा अनुभव इनके पास था.

यही कारण रहा कि राज्य सरकार ने एक अधिकारी की इस कर्मठता को तुरन्त भांपते हुए एक निर्णय लिया. और जिस वक्त कई अधिकारी इस माहौल से बचना चाह रहे थे, उस वक्त खुद पहल करके कोरोना की इस जंग में कूदने का फैसला करने वाले इस अधिकारी को जयपुर में क्वारंटाइन सेंटर स्थापित करने का बड़ा जिम्मा सौंपा गया.

ताकि भविष्य के संकट को ध्यान में रखते हुए आवश्यक बैड की व्यवस्था करने के साथ-साथ इन सेंटर में खाना, पानी, बिजली, नहाने, धोने और रोजमर्रा से जुड़ी हर जरुरी व्यवस्थाएं कर सकें. साथ ही कोरोना संदिग्धों पर पैनी नज़र रखी जा सके और जहां सेंटर हो वहां स्थानीय लोगों का विरोध भी ना झेलना पड़े.

 जयपुर में क्वारंटाइन सेंटर का नोडल ऑफिसर बनते ही मूलत आंध्रप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले सीनियर IAS टी. रविकांत ने शुरुआती महज पांच दिनों में वो काम कर दिखाया जो इस वक्त पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. रविकांत सौ से अधिक साथी अधिकारियों के साथ मैदान में उतरे और पांच दिनों में ही जयपुर शहर के बाहरी इलाकों में 15 सेंटर्स में सात हजार से ज्यादा लोगों के क्वारंटाइन करने की व्यवस्था कर दी.

इतना ही नहीं इस दौरान मिशन में जुट गए कि यदि आने वाले दस दिनों में बीस हजार लोगों को क्वारंटाइन करना पड़े तो कहा रखा जाए इसकी भी चिंता ना रहे. क्योंकि ईटली, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान जैसे हालातों पर भी लगातार नजर बनाए रखी गई, वहां के हालात क्यों बिगड़े पर लगातार अपडेट रहे. इस लिहाज से सात हजार एक्टिव क्वारंटाइन सेंटर्स के अलावा एक दर्जन से ज्यादा ऐसे और क्वारंटाइन सेंटर स्थापित करने का काम तेज कर दिया जहां 11 हजार और लोगों को रखा जा सके. इसमें लम्बे समय से खाली पड़े जयपुर विकास प्राधिकरण के बीएस यूपी 3600 आवास और नायला स्थित राजस्थान आवासन मंडल के करीब 2000 हजार आवासों को भी इस क्वारंटाइन सेंटर्स के लिए तैयार करवा दिया गया. बताया जा रहा है कि जिस हिसाब संक्रमण बढ़ रहा है और सरकार तैयारी में जुट में भी जुट गई है उस हिसाब से महलां में साढ़े चार हजार फ्लेट बने हुए हैं. अगर रोगी बढ़े तो यहां एक के बाद एक सभी ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किए जाएंगे.

माना जा रहा है यदि ऐसा हुआ तो यह देश के सबसे बड़े क्वारंटाइन सेंटर में शुमार होगा. एक फ्लैट में करीब 3-4 लोग क्वारंटाइन किए जा सकते हैं. इस हिसाब से करीब 13 से 18 हजार लोगों को यहां क्वारंटाइन किया सकता है. यानी महज 10 दिनों में ही करीब 20 हज़ार लोगों को क्वारंटाइन करने की व्यवस्था कर डाली.

बड़ी बात यह रही कि इतना जबरदस्त समन्वय स्थापित किया गया कि जिस तरह के बड़े विरोध होने की आशंका थी, वैसा कहीं विरोध भी नहीं हुआ. कोई स्थानीय लोग विरोध की वजह इसमें सहयोगात्मक रूप में खड़े दिखाई दिए. टी. रविकांत को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस उम्मीद से जिम्मा सौंपा उससे कहीं ज्यादा तारीफ-ए-काबिल काम कर एक बार फिर यह अधिकारी देशभर में अन्य अधिकारियों के लिए रोल मॉडल बना हुआ है. यही कारण है कि आज राज्य सरकार और आमजनता ने भी राहत की सांस ली बुरे दौर के लिए हर अच्छी व्यवस्था करने में राजस्थान कामयाब हुआ.

 

 

IAS टी. रविकांत कहते है, 'मुझे लगता है कि मुसीबतों के बीच घिरने के बाद भी आपका हौसला बढाया जाता है तो रुकावटों की ईमारत हिलते समय नहीं लगता, शुरुआत में जो लक्ष्य बहुत दूर नजर आ रहा था वो मजबूती के साथ कदम बढाते ही बहुत पास आ गया. राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री खुद इस गंभीर महामारी से निपटने के लिए दिनरात काम कर रहे हैं, ऐसे में हमारा भी फर्ज बनता है कि हम अपने जीवन की सबसे बेहतरीन क्षमताओं का उपयोग करते हुए हर वो प्रयास करें जो मानवता की रक्षा कर सके. यह कार्य रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए नहीं बल्कि मानवता की रक्षा के लिए सर्वोपरी रखकर किया गया. जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री ने जिस तरह से हमारा उत्साहवर्धन किया उससे हमारी कार्यक्षमता और ज्यादा बढ गई. वैसे भी मुश्किलें अक्सर आपके आत्मविश्वास को आजमाती हैं.'

इस काम को सफल करने में राजस्थान के UDH मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचिव DB गुप्ता, CM प्रमुख सचिव कुलदीप रांका का भी पूरा मार्गदर्शन रहा वहीं हाउसिंग बोर्ड चेयरमैन पवन अरोडा और जयपुर कलेक्टर जोगाराम का भी साथ मिला.

 

काम का है लंबा अनुभव:

बड़ी बात यह है कि IAS टी. रविकांत के पास मेडिकल क्षेत्र का पुराना और अच्छा तजुर्बा है. लिहाजा कोरोना के संकटकाल में उनका पुराना अनुभव भी काम आया. इसके साथ ही श्रम विभाग, कौशल विकास विभाग, वाणिज्य कर विभाग, DOP जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों का अनुभव हैं.

कोटा, झुंझुनूं, भरतपुर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा सहित राजस्थान की राजधानी जयपुर में बतौर DM लंबी सेवाएं दे चुके हैं. राजस्थान सरकार में यह क्रिएटिव और विज़नरी यंग IAS टी.रविकांत CM के सचिव के तौर पर भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं.