राज्य सूचना आयोग ने प्रदेश के सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के दिये निर्देश


जयपुर। राजस्थान राज्य सूचना आयोग ने प्रदेश के सभी पुलिस थानों को सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित करने का निर्देश दिया है। आयोग ने कहा इससे नागरिकों में पुलिस अनुसंधान की निष्पक्षता के प्रति विश्वास बढ़ेगा और शक संदेह से उपजे विवादों पर भी लगाम लगेगी। आयोग ने यह आदेश बीकानेर के मोहम्मद यूनुस की अपील पर सुनवाई के दौरान दिया।

 

इस मामले में बीकानेर के यूनुस ने महिला पुलिस थाने में लगे सी सी टी वी कैमरे का फुटेज माँगा था। लेकिन पुलिस ने पहले महिला थाने का हवाला देकर इसे गोपनीयता भंग होने का अंदेशा बताते हुए देने से इंकार किया और बाद में यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि फुटेज डिलीट हो गए है। इस पर सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने नाराजगी व्यक्त की और कहा पुलिस ने इसमें जल्दबाजी से काम लिया है।

 

आयोग में सुनवाई के दौरान आवेदक ने कहा पुलिस ने जानबूझकर फुटेज डिलीट किया है। क्योंकि इससे एक मामले में सच से पर्दा उठने का खतरा था। पुलिस का कहना था उस वक्त बीस दिन बाद स्वत ही सीसीटीवी फुटेज डिलीट हो जाते थे। क्योंकि भंडारण क्षमता बीस दिन से अधिक नहीं थी।

सूचना आयुक्त बारेठ ने पुलिस प्रतिनिधि से थानों में सीसीटीवी की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछा तो वे तस्वीर साफ़ नहीं कर पाए।

सूचना आयुक्त ने पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बारे में याद दिलाया जिसमे अदालत ने सभी थानों को सीसीटीवी सुविधा से लैश करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर ,2020 में एक मामले में सुनवाई करते हुए सभी पुलिस थानों को सीसीटीवी केमरों से सुसज्जित करने और डेटा भंडारण क्षमता 180 दिन करने का निर्देश दिया था।

सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के उन शब्दों का हवाला दिया है जिसमे स्व पटेल ने कहा था कि इतना काफी नहीं है कि पुलिस अपराध को खोज निकाले और दोषी को कानून के कटघरे में खड़ा करे। बल्कि पुलिस को हर सूरत में जनता का स्नेह सम्मान भी अर्जित करना होगा।सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त बारेठ ने कहा इस तकनीक का इस्तेमाल सूचना अधिकार कानून में अपेक्षित पारदर्शिता और मानवाधिकारो के लिहाज से जरुरी हो गया है। आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य में 894 पुलिस थाने है। यह कानून और वक्त का तकाजा है कि पुलिस अब सी सी टी वी कैमरों से थानों को सुसज्जित करे। आयोग ने अपने आदेश की प्रति गृह विभाग के प्रमुख शासन सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया है।