Covid-19: चीन की स्पेन से डील पर उठे सवाल, क्या चीन सच में अपनी साजिश में कामयाब!


न्यूयॉर्क ( निमिषा सिंह, TEN) यूरोप में COVID-19 (कोरोना) का क़हर जारी है. लोग दहशत में हैं सड़के सुनसान हैं. यूरोप के कई देश संकट के दौर से गुजर रहे हैं. चीन दुनिया की नजरों में सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है. ऐसे में स्पेन और चीन के बीच एक समझोते ने नई बहस छेड़ दी है. स्पेन ने चीन से 432 मिलियन यूरो ( करीब 3.55 हजार करोड़ रू.) की चिकित्सा सामग्री खरीदने के लिए एक सौदा किया है. इसके तहत स्पेन को 55 करोड़ मास्क, 1.1 करोड़ दस्ताने, 55 लाख जांच किट और 950 रेसपीरटोर प्राप्त होंगे. यह सब कोरोना की रोकथाम में प्रयोग में आएंगे.

ऐसे में इस समझोते ने विश्व भर में इस बीमारी के पीछे चीन की साज़िश होने की आशंकाओं को और प्रबल कर दिया है और एक बार फिर बहस का मुद्दा बना दिया है. सोशल मीडिया पर इस खबर को चीन की साजिश के सबूत के जैसे पेश किया जा रहा है. 'तो ये है चीन का असल खेल', 'आ गया चीन अपनी पर', 'अब चीन वो करेगा जो उसका मकसद था' और ऐसे ही कई अन्य शीर्षक के साथ समझोते की खबर को सोशल मीडिया पर खूब साझा किया जा रहा है. साज़िश की धारणा को मानने वालों के अनुसार चीन ने एक सामरिक और आर्थिक साजिश के चलते इस बीमारी को फैलाया है और अब इसका फायदा उठाने की शुरुआत कर दी है.

दरअसल, इस बीमारी की शुरुआत चीन के वुहान प्रांत से हुई थी. सिलसिलेवार मौतों और कई कड़े प्रयासों के बाद चीन अब इस बीमारी पर काबू करने का दावा कर रहा है. वहीं, इटली और स्पेन में ये बेक़ाबू हो रही है. कोरोना से होने वाली मौत के अधिकारिक आंकड़ों में ये दोनों देश आज चीन से आगे हैं और अन्य देश भी अभी इस समस्या से जूझ रहे हैं. भारत, यू॰के॰ और अमेरिका सहित कई देश लॉक डाउन में हैं और चीन अपने वुहान राज्य में फिर से हवाई सेवा शुरू करने की तैयारी में है. चीन के उद्योग-धंधे ज़ोर-शोर से चालू हैं. और यह सब तब हो रहा है जब अमेरिका जैसे आर्थिक सम्पन्न देश भी चिकित्सा संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. जबकि चीन बड़ी मात्रा में ये बचाव के समान और अन्य उत्पाद दूसरे देशों को बेचने में लग गया है. ऐसे में बहुत से लोगों को ये लगने लगा है कि चीन सरकार को पहले से इस बीमारी का पता था और उन्होंने इस से बचाव के साधनों का पहले से उत्पादन शुरू कर दिया था और अब उन्हें बेच के लाभ उठा रहा है.

दूसरी तरफ खुद को दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति साबित करने के लिए Covid-19 जैविक हथियार का बड़े ही स्मार्ट तरीके से इस्तेमाल किया है. हालांकि चीन यह कह रहा है कि "वह किसी भी तरह का जैविक हथियार नहीं बना रहा था. यह महज एक संयोग मात्र है. ऐसे में कोरोना वायरस को 'वुहान वायरस' या 'चीनी वायरस' जैसे शब्दों से संबोधित करना भी ठीक नहीं है. बल्कि चीन के द्वारा इसको रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों की दुनिया को सराहना करनी चाहिए." लेकिन साजिश की ये धारणा महज़ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं हैं.

पूर्व में चीन और अमेरिका एक दूसरे पर इस बीमारी को फैलाने का आरोप लगा चुके हैं. हालांकि अन्य देश संकट के बीच इस छींटाक्शी से दूर ही रहे, लेकिन अब जब सब देशों की अर्थव्यवस्था इस बीमारी से चरमरा रही है, ऐसे में चीन की मज़बूत होती आर्थिक स्थिति लोगों के मन में संशय पैदा कर रही है. एक तबका ऐसा भी है जो मानता है के दूसरे देशों को चीन से चिड़ना छोड़ के बीमारी से लड़ने का सबक़ सीखना चाहिए.

कुछ ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि चीन में भी कोरोना से होने वाली मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है लेकिन वो असलियत दुनिया के आगे नही आने दे रहा. कोरोना के पीछे का सच शायद हम कभी न जान पाएं लेकिन इस बीमारी ने दुनिया को अपने आर्थिक और स्वास्थ्य तंत्र को लेकर एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है.

इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कभी दुनिया को Covid-19 की असल उत्पत्ति फैलने का कारण, फैलाव का असल केंद्र के बारे में पता लग पाएगा या यह दुनिया को कब्रगाह बना देने वाला Covid-19 एक संयोग मात्र ही है.

(अमेरिका से TEN संवाददाता निमिषा सिंह की रिपोर्ट)