श्री प्रेमभाया महोत्सव, साकार हुई ढूंढ़ाड़ की विरासत, घर घर‌ रोशनी, केसरिया पताकाओं से सजा रास्ता 


जयपुर। ढूंढाड़ की विरासत का पर्याय बना श्री प्रेमभाया महोत्सव सोमवार शीतला सप्तमी से शुरू हुआ। त्रिदिवसीय भक्ति संगीत समारोह का श्रीगणेश चांदपोल बाजार के जयलाल मुंशी का रास्ता स्थित युगल कुटीर में प्रेमभाया सरकार के पंचामृत अभिषेक के साथ हुआ। विद्वानजनों व भक्तों द्वारा वेद मंत्रोच्चार और जयकारों के साथ अभिषेक किया गया। इस शुभ अवसर पर शाम को दीपावली की तरह सजे जयलाल मुंशी का रास्ता में भव्य पंण्डाल व खुले आसमान के नीचे भक्ति संगीत समारोह प्रारंभ हुआ। जिसमें श्री प्रेमभाया सरकार का भव्य श्रृंगार किया गया। भक्ति संगीत समारोह में 
दीपक शर्मा ने रिद्धि सिद्धि रा भरतार नित की लाडू खावै छै,  गढ़ गणेश छै नाम बैठ्या मौज उड़ावै छै, गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम का मंगलाचरण किया। शास्त्रीय गायन शैली में किशोरी आकांक्षा राव ने  पार लगाज्यो जी सांवरिया म्हाने भूल बिसर मत जाज्यो, सुनाकर भक्त की भगवान से करुण पुकार को स्वर दिया। 

गोपाल सिंह राठौड़ और पूजा राठौड़ ने म्हारी लैरा लाग्यो आवै छै यो मुरली हालों श्याम भजन से ठाकुरजी की भक्त वत्सलता का शाब्दिक चित्रण किया। परवीन मिर्जा ने ओ रे नन्द बाबा ने खीज्यो रे बैठ‌ कदम की डार‌ कान्हो  चीर चुरावे‌ रे, प्रमोद त्रिपाठी, रामस्वरूप दास, अभिषेक नामा सहित अन्य भजन प्रवाहकों ने ढूंढ़ाड़ी भाषा में भक्त युगलजी की भक्ति रचनाओं को अपनी आवाज में सुनाकर जयपुर की आठ दशक पुरानी विरासत को साकार कर दिया। समाज के सभी क्षेत्रों के आम और खास लोगों ने एक जाजम पर बैठकर भक्ति सरिता में डुबकी लगाई। वहीं, विभिन्न मंदिरों के संतों महंतों ने आयोजन की गरिमा बढ़ाई। दूधिया रोशनी में भजन संध्या का दौर पूरी रात चला। 

समिति के अध्यक्ष विजय किशोर शर्मा के निर्देशन में इसका आयोजन हो रहा है।