ये क्या हो रहा है? शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में राहुल के नेतृत्व पर सवाल, UPA को बताया NGO


मुम्बई. क्या शिवसेना और कांग्रेस का महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए जो गठबंधन हुआ था इस गठबंधन के बीच राजनीतिक तलाक होने वाला है? यह सवाल इस वक्त राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि पिछले कुछ समय से ऐसा देखने में आ रहा है कि शिवसेना लगातार कांग्रेस के नेतृत्व के खिलाफ मुखर सी होती जा रही है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं वहीं, यूपीए काेेे NGO करार देते हुए शिवसेना ने इसका नेतृत्व NCP के मुखिया शरद पवार को सौंपने की वकालत की है. हालांकि राहुल पर सवाल उठाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना के इस कदम का प्रभाव महाराष्ट्र की महाविकास अघाडी सरकार पर पड़ता है या नहीं. बता दें, महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार का गठन किया है.

सामना में लिखा गया है कि यूपीए की हालत एनजीओ जैसी हो गई है। संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि किसान आंदोलन के 30 दिन बीत जाने के बाद भी सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर सरकार बेफिक्र है क्योंकि विपक्ष कमजोर है. विपक्ष की हालत बंजर गांव के मुखिया का पद संभालने जैसा है. दिल्ली सीमा पर बैठे किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. सामना में लिखा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व में एक यूपीए नाम का राजनीतिक संगठन है. लेकिन यूपीए की हालत एनजीओ की तरह होती दिख रही है. यूपीए में शामिल पार्टियां किसानो के असंतोष को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. यूपीए में शामिल दल कौन हैं और वे क्या करते हैं इसे लेकर भ्रम की स्थिति है. राहुल गांधी पर्याप्त काम कर रहे हैं लेकिन उनके नेतृत्व में कुछ कमी है. कांग्रेस को पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत है.