भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे यह लगातार 10वीं बार 6.50% पर स्थिर बनी रही। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद, RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस फैसले की घोषणा की। फरवरी 2023 से अब तक रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य देश में महंगाई को नियंत्रण में रखना है, जो कि पिछले कुछ महीनों में एक चुनौती बनी हुई है।
महंगाई नियंत्रण में RBI की प्राथमिकता
RBI की यह नीति भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और महंगाई के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए है। पिछले वर्ष मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच, RBI ने रेपो रेट में कुल 2.50% की वृद्धि की थी, जिससे यह 6.5% तक पहुंच गई थी। उस समय बढ़ती महंगाई के दबाव के चलते यह कदम उठाया गया था। तब से अब तक इस दर को स्थिर रखा गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, रेपो रेट में बदलाव न करने का निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि महंगाई पर कड़ी निगरानी रखी जा सके। वैश्विक घटनाओं जैसे कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता का भारतीय महंगाई पर प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही, घरेलू बाजार में कुछ क्षेत्रों में महंगाई के फिर से बढ़ने की संभावना है। इसलिए RBI किसी भी जल्दबाजी में निर्णय लेने से बच रहा है और सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहा है।
उम्मीद के बावजूद कोई बदलाव नहीं
कई लोगों को उम्मीद थी कि जुलाई और अगस्त 2023 में महंगाई के आंकड़े 4% से नीचे आने के बाद RBI रेपो रेट में कटौती करेगा, जिससे आम लोगों के लिए लोन की ईएमआई में राहत मिलेगी। अमेरिका और यूरोप के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे यह संभावना और मजबूत हुई थी कि भारत भी इस दिशा में कोई कदम उठाएगा। हालांकि, RBI ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी नीतियां अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों के फैसलों पर निर्भर नहीं करतीं, बल्कि भारत की अपनी आर्थिक स्थिति और चुनौतियों के आधार पर बनाई जाती हैं।
आगे का रास्ता
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वित्तीय वर्ष में RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती की संभावना कम है। वैश्विक राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और बाजार में अनिश्चितता को देखते हुए, केंद्रीय बैंक फिलहाल सतर्कता के साथ कदम उठा रहा है। हालाँकि, अगले वित्तीय वर्ष में ब्याज दरों में कमी की उम्मीद बनी हुई है, जिससे लोगों को कुछ राहत मिल सकती है।
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिर से यह स्पष्ट किया कि मौद्रिक नीतियों का मुख्य उद्देश्य देश में स्थिरता बनाए रखना और महंगाई पर काबू पाना है। रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का यह फैसला इसी दिशा में एक और कदम है।