बिना सोचे समझें आदेश जारी करना पड़ा भारी, RAS अधिकारी आकाश तोमर सस्पेंड


जयपुर। राज्य सरकार ने परिवहन विभाग के आदेश ने गुर्जर शब्द के प्रयोग से उठे विवाद के बाद अपर परिवहन आयुक्त आकाश तोमर को निलम्बित कर दिया। परिवहन विभाग की ओर से पहले निकाले गए आदेश में भी संशोधन कर गुर्जर शब्द हटा दिया गया है। दरअसल हुआ यूं कि आज दिन में परिवहन विभाग की ओर से एक आदेश निकाला गया था। जिसमें वाहनों की नम्बर प्लेट पर प्रधान, सरपंच, गुर्जर आदि लिखा होने पर कार्रवाई की बात कही गई थी।

 

ये आदेश अपर परिवहन आयुक्त आकाश तोमर के हस्ताक्षरों से निकला था। इस आदेश में केवल गुर्जर जाति का उल्लेख होने के कारण सोशल मीडिया पर यह आदेश वायरल हो गया और इस आदेश को लेकर गुर्जर समाज के लोगों ने सरकार को काफी खरी-खोटी सुनाई। यहां तक की सरकार में बैठे खेल मंत्री अशोक चांदना, AICC सचिव धीरज  गुर्जर ने भी आपत्ति दर्ज करवाते हुए मुख्यमंत्री से मामले में कार्रवाई की मांग की, इसे गुर्जर समाज का अपमान बताया।

कई अन्य जातियां भी नम्बर प्लेट पर अपनी जाति का उल्लेख करती है लेकिन उनके बारे में आदेश में कुछ भी नहीं लिखा गया। किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र सहित कई अन्य गुर्जर नेताओं ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अचानक बने इन हालातों को देखते हुए परिवहन विभाग ने अपने पूर्व के आदेशों को संशोधित करते हुए गुर्जर शब्द तो हटा दिया लेकिन लोग माने नहीं, आखिर सरकार को अपर परिवहन आयुक्त आकाश तोमर को निलम्बित करना पड़ा।

हालांकि जानकार बता रहे हैं कि आकाश तोमर एक निर्विवादित ऑफिसर रहे हैं लेकिन यह अनजाने में मातहत पर भरोसा कर जल्दबाजी में आदेश जारी करने के चक्कर में हुई एक मानवीय भूल है। दूसरा एक सीनियर RAS अधिकारी पर इतना जल्दी सस्पेंड करने का एक्शन क्यों हुआ यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे बता दें कि परिवहन विभाग में एडिशनल कमिश्नर एन्फोर्समेंट के पद पर काम कर रहे तोमर पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट के स्पेशल असिस्टेंट (SA) के पद पर काम कर चुके हैं। उन्होंने प्रदेश के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सभी RTO और DTO को यह आदेश दिया था। 31 दिसम्बर 2018 से 25 जुलाई 2020 तक आकाश तोमर PWD, ग्रामीण विकास और पंचायतीराज, साइंस एंड टेक्नोलॉजी और स्टैटिक्स डिपार्टमेंट में पायलट के SA के पद पर कार्यरत रहे हैं। सरकार से फटकार के बाद संशोधित आदेश भी आकाश तोमर ने निकाले। फिर भी उन्हें राहत नहीं मिली। अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। प्रधान, सरपंच जैसे जनप्रतिनिधियों के साथ ही गुर्जर समाज विशेष के लिए टिप्पणी से इन सभी में आदेश को लेकर गहरी नाराजगी है। इसलिए यह एक्शन लिया गया।