पूर्व CJI रंजन गोगोई राज्यसभा के लिए नामित, ओवैसी ने उठाए सवाल


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है. केंद्र सरकार की ओर से सोमवार शाम जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. जानकार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति ने किसी मुख्य न्यायाधीश को राज्यसभा के लिए नामित किया हो. रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने ही राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया था.

उधर इस घटनाक्रम के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सवाल उठाते हुए इस फैसले को इनाम बताया है और ट्विटर हैंडल पर लिखा कि 'क्या यह इनाम है? लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर यकीन कैसे करेंगे? कई सवाल हैं.'

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कानूनविद् अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा. (सुभाष चंद्र बोस)'

कांग्रेस नेता संजय झा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया. नो कमेंट्स.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने लिखा, 'मुझे आशा है कि रंजन गोगोई की समझ अच्छी है इसलिए वो इस ऑफर को ना कह देंगे. नहीं तो न्याय व्यवस्था को गहरा धक्का लगेगा.'

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा. इस दौरान उन्होंने कई महत्वूपर्ण फैसलों सहित कुल 47 मामलों के फैसले सुनाए. 18 नवंबर 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने 1978 में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी. शुरुआत गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत से की थी. 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायमूर्ति नियुक्त किया गया. 9 सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हुआ. संवैधानिक, टैक्सेशन, कंपनी मामलात विषयों के दिग्गज वकील माने जाने वाले गोगाई 12 फरवरी 2011 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 23 अप्रैल 2012 को उनको प्रमोट किया गया और सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. जब दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए तो उनकी जगह रंजन गोगोई चीफ जस्टिस बने. 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे.

रंजन गोगोई दो साल पहले जनवरी, 2018 में तब अचानक चर्चा में आए थे जब सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जजों जस्टिस गोगोई, जस्टिस लोकुर, जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर तत्कालीन सीजेआई (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोला था.

देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा में नामांकित किए जाने पर उनके पूर्व सहयोगी जस्टिस (रिटायर्ड) मदन बी लोकुर ने एक प्रमुख अखबार को अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि 'कुछ समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि जस्टिस गोगोई को क्या सम्मान मिलेगा. तो, ऐसे में उनका नामांकन आश्चर्यजनक नहीं है लेकिन जो आश्चर्य की बात है, वह यह है कि यह फैसला इतनी जल्दी आ गया. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता को फिर से परिभाषित करता है. क्या आखिरी किला भी ढह गया है?'