'जो कमिटमेंट किया गया था वो नहीं निभाया गया, न जाने CM साहब की क्या मजबूरी है' : राजेन्द्र गुढ़ा, गहलोत सरकार के मंत्री


जयपुर। 'सबको पता है कि बसपा विधायकों ने कांग्रेस में विलय कराकर सरकार को बचाया। लेकिन इसके बावजूद जो सरकार को दगा देकर भागे थे उन्हें तो सम्मान मिल गया लेकिन बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को वो सम्मान नहीं मिला। जो कमिटमेंट किया गया था वो नहीं निभाया गया। न जाने गहलोत साहब की क्या मजबूरी है।' यह पीड़ा है बसपा के 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय कराने वाले राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक राजेंद्र गुढ़ा की।

राज्यसभा चुनाव मतदान से ठीक पहले राजेंद्र गुढ़ा की यह पीड़ा सरकार की चिंता बढ़ाए हुए हैं, वहीं भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा की राजेंद्र गुढ़ा के इस बयान के बाद में उम्मीदें बढ़ गई हैं। बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने राज्यसभा चुनावों से पूर्व अपनी पीड़ा पत्रकारों के सामने जाहिर की।

दो दिनों से सरिस्का और आसपास के इलाकों में घूम रहे बसपा विधायकों की अगुवाई कर रहे मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि जो कमिटमेंट किया गया था वो नहीं निभाया गया। दो बार सरकार बचाने के बावजूद बसपा विधायकों को जो सम्मान मिलना चाहिए था वो नहीं मिला। बसपा विधायक राज्यसभा चुनावों के समय नाराजगी जता रहे है।

राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि सबको पता है कि बसपा विधायकों ने कांग्रेस में विलय कराकर सरकार को बचाया। लेकिन इसके बावजूद जो सरकार को दगा देकर भागे थे उन्हें तो सम्मान मिल गया लेकिन बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को वो सम्मान नहीं मिला। न जाने गहलोत साहब की क्या मजबूरी है। 10 जून से पहले पता चल जाएगा? 10 जून को राज्यसभा के लिए वोटिंग होनी है इससे पहले बसपा से कांग्रेस में लौटे विधायक भी पत्ते नहीं खोलेंगे।

गुढ़ा ने कहा कि आपको पता लग जाएगा क्या करना है। जब पार्टी हमारी नहीं सुन रही तो हमें भी सोचना पड़ेगा। गुढ़ा के बयान से साफ है कि कहीं न कहीं वे भी पार्टी में अपने साथियों के साथ उदयपुर होटल में भी नहीं गए। बसपा विधायकों के बयान से भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा भी इनकी टोह ले सकेंगे। चंद्रा और बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी जल्द ही राजेंद्र गुढ़ा और अन्य बसपा विधायकों से संपर्क साधेंगे। वो यह मौका छोड़ना नहीं चाहेंगे। यही उचित समय है जब सरकार से नाराज बसपा विधायकों को किसी भी तरह से अपने समर्थन में लाया जा सके। इसके लिए बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं को लगाया गया है।

उधर मीडिया किंग सुभाष चंद्रा के लिए कई नेताओं के साथ कई बड़े पत्रकार और एक पत्रकारों की बड़ी टीम हर विधायक पर नजर रख रही है। और वह भी सुभाष चंद्रा के पक्ष में लॉबिंग को मजबूत करने के लिए दिन-रात कोशिश में जुटे हैं।

बहरहाल मुकाबला रोचक है लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम अशोक गहलोत है। अशोक गहलोत देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक मजबूत और परिपक्व राजनेता माने जाते हैं। उनकी हर चाल हर व्यक्ति के समझ में आ जाए, ऐसा आसान नहीं है। बसपा विधायकों की यह बयानबाजी कहीं अशोक गहलोत की किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा ही तो नहीं है? इस बात से भी सचेत रहने की जरूरत भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार को होनी चाहिए।