राजस्थान की पहली हस्तशिल्प नीति और एमएसएमई नीति-2022 जारी


जयपुर। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि प्रदेश में प्रदेश की पहली हस्तशिल्प नीति और राजस्थान एमएसएमई नीति-2022 के जारी होने से न केवल प्रदेश में औद्योगिक विकास होगा, बल्कि शिल्पकार, दस्तकार और कारीगरों के रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों नीति प्रदेश के सर्वांगीण विकास में मील का पत्थर साबित होंगी।

 रावत शनिवार को जयपुर में एमएसएमई दिवस के मौके पर आयोजित उद्योग रत्न एवं निर्यात पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर प्रदेश में निर्यात संवर्धन के प्रोत्साहन के लिए 29 निर्यातकों को निर्यात प्रोत्साहन अवार्डस् और विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए 13 उद्यमियों को उद्योग रत्न अवार्डस् से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा इन्वेस्ट राजस्थान समिट के लिए 29 उद्यमियों के साथ 14 हजार करोड़ के निवेश एमओयू का भी आदान-प्रदान हुआ। वाणिज्य मंत्री ने इस अवसर पर राजस्थान की हस्तकलाओं पर तैयार की गई कॉफी टेबल बुक ‘राजस्थानी कारीगरी’ का विमोचन भी किया। इस अवसर पर खादी बोर्ड अध्यक्ष बृजकिशोर शर्मा, माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष डूंगाराम गेदर, व्यापार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुशील कुमार मोदी, अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष और आदर्श नगर विधायक रफीक खान, रीको चेयरमैन  कुलदीप रांका, पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़, रीको प्रबंधक शिवप्रसाद नकाते सहित औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधि, दस्तकार, कलाकार और विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।

उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्य की प्रथम हस्तशिल्प नीति लागू होने से टेक्सटाइल, मेटल एंड वुड, कारपेट, दरी, नमदा, सेरेमिक एवं क्लेआर्ट, पेन्टिंग, लेदर क्राफ्ट, ज्वैलरी आदि के दस्तकारों को लाभ होगा एवं हस्तशिल्प के क्षेत्र में आगामी 5 वर्षों में 50 हजार से अधिक नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान हस्तशिल्प नीति-2022 का उद्देश्य हस्तशिल्पियों के उत्थान के लिए बेहतर मार्केटिंग की व्यवस्था, परम्परागत कलाओं एवं विलुप्त होती कलाओं को पुनर्जिवित करना और रोजगार के नए अवसर सृजित करना है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के साथ-साथ निर्यात में एमएसएमई के योगदान को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए एवं अनुकूल नियामक वातावरण के साथ वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु राजस्थान एमएसएमई नीति-2022 जारी की गई।

इस नीति में 10 हजार करोड़ के संचयी निवेश और 1,00,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजन के साथ 20,000 नई एमएसएमई इकाइयां स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। नीति में शून्य दोष शून्य प्रभाव (जेडईडी) प्रमाणन प्राप्त करने के लिए 9,000 एमएसएमई उद्यमों को सुविधा देना प्रस्तावित है। राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमेाशन काउंसिल और राजसिको चेयरमैन श्री राजीव अरोड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार की सुगम नीतियों के चलते पिछले 3 वर्षों में प्रदेश में निर्यात का प्रतिशत 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। प्रदेश में सोलर, विंड और रिन्यूएबल एनर्जी में नए कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है।

प्रदेश में एक जिला-एक उत्पाद को बढ़ाने पर व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इनलैंड कंटेनर डिपो बनाए जा रहे हैं और उदयपुर में एयर कार्गो कॉम्लेक्स बनाने के लिए भी विमानन मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सरल और सहज औद्योगिक नीतियों के चलते प्रदेश देश भर में मिसाल कायम कर रहा है।