राजस्थान के मंत्री और महापौर ने नहीं माने आदेश, मुख्यमंत्री की मेहनत पर पानी फेरने में लगे


जयपुर। राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में बढ़ते हुए कोरोना संक्रमण पर चिंता जताते हुए भले ही 3 मई तक लॉकडाउन जैसे सख्त नियम और आदेश प्रदेश में लागू कर दिए हों लेकिन राजस्थान सरकार के मंत्री ही अपने मुख्यमंत्री के आदेशों को मजाक बनाकर रखे हुए है। और कोरोना संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिन-रात किए जा रहे प्रयासों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं।

एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पूरे राजस्थान सरकार का महकमा इस महामारी से निपटने के लिए आम आदमी की जान बचाने के लिए और संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं, रातों की नींद छोड़कर मेहनत में जुटे हैं और रोज सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं। वहीं हालात यह है कि जिन मंत्रियों और नेताओं को एक आदर्श स्थापित करना चाहिए वही खुद इन नियमों की अवहेलना करके सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

ऐसा ही ताजा मामला सोमवार सुबह सामने आया जहां राजस्थान में जन अनुशासन पखवाड़े की शुरुआत हुई तो सबसे पहले नियम भी सरकार के मंत्री और महापौर ही तोड़ते नजर आए। नगर निगम जयपुर हैरिटेज के वार्ड नंबर 33, सुभाष कॉलोनी की सड़कों का डामरीकरण एवं पार्कों के नवीनीकरण का हुआ शिलान्यास कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास रहे तो कार्यक्रम की अध्यक्षता जयपुर नगर निगम हैरिटेज महापौर मुनेश गुर्जर ने की। दोनों ही कांग्रेस में अपना अच्छा वजूद रखते हैं। पार्षद मनोज मुदगल, उमेश शर्मा, मो. अजहरुद्दीन, वहीद खान, कांग्रेस नेता आलोक पारीक जैसे कई विद्वान भी कर्फ्यू के बीच आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल रहे। अब सवाल यह उठता है कि जब एक ओर सोमवार सुबह से अगले 15 दिनों के लिए नए और सख्त नियम लागू हो चुके हैं। राजस्थान में जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद है। ताकि कोरोना संक्रमण का प्रचार प्रसार ना हो सके। धारा 144 लगी हुई है जहां 5 से ज्यादा लोग एक साथ एकत्र नहीं हो सकते हो, उस बीच इस तरह के उद्घाटन कार्यक्रम की क्या जरूरत थी?

बहरहाल बीजेपी जहां इस पूरे मामले को मुद्दा बनाने में जुटी है तो दूसरी ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मामले को गंभीर माना है।