कोरोना सामुदायिक प्रसार की ओर, राजस्थान सरकार ने तुरंत नहीं किए यह 10 काम तो समझो सारी मेहनत पर फिरा पानी


जयपुर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण अब किस कदर बढ रहा है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. लोगों में एक भय का माहौल है तो कई बडे राजनेता, चिकित्सक, प्रशासनिक-पुलिस अधिकारी, पत्रकार भी इसकी चपेट में हैं. कई लोग रोजाना अपनी जान गवा रहे हैं और अस्पतालों में बेड फुल हैं. अस्पताल कोरोना मरीजों से अटे पडे हैं. सरकारी हों या निजी अस्पताल सब अपनी ताकत झौंक कर भी अब इस संकट का सामना करने में कहीं ना कहीं पस्त नजर आ रहे हैं.

सबसे पहली जरुरत जहां आमजन को मानसिक तौर पर मजबूत रहने की है, धैय रखने की है, सावधानी रखने की है और सरकारी गाइडलाइन्स की सख्ती से पालना करने की है वहीं सरकार को भी तुरंत कुछ सख्त और प्रभावी कदम उठाने होंगे.

बडी बात यह है कि देश के जो ग्रामीण इलाके अब तक इससे बचे हुए थे वो भी चपेट में आ गए हैं. भले ही इस बात को अधिकारिक तौर पर नहीं कहा जा रहा हो कि सामुदायिक स्तर पर यह संक्रमण फैल गया है लेकिन हालात कुछ ऐसा ही बयां कर रहे हैं. हाऊ इंडिया लिव्स बेवसाइट के मुताबिक देश के 714 जिलों में कोरोनों वायरस का संक्रमण है. और इससे 94.70 आबादी खतरे का सामना कर रही है.

राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है. ऐसे में राजस्थान में तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरुरत है, कदम भी ऐसे की जो इस संक्रमण को फिलहाल कुछ माह तक और नियंत्रण रख सकें. वरना राजस्थान सरकार ने अब तक जो भी दिनरात मेहनत की है उस पर पानी फिर जाएगा.

तुरंत किए जाएं यह 10 काम


1. सप्ताह में दो दिन के लिए लॉकडाउन की लगाया जाए. फाइव डे वर्किंग को बढावा दिया जाए ताकि कोरोना संक्रमण की चेन को तोडने या बढने से रोकने में मदद मिल सके. सरकारी और निजी कार्यालयों में तुरंत पचास फीसदी स्टाफ के साथ ही काम करने की व्यवस्था फिर से लागू हो, वर्क फ्रॉम होम को बढावा दिया जाए.


2. पिछले कुछ दिनों में अचानक राजस्थान में राजनीतिक रैली, धरने, प्रदर्शन, स्वागत कार्यक्रमों, राजनीतिक शक्तिप्रदर्शनों की भरमार आ गई है. अब यही आयोजन कोरोना कैरियर बन रहे हैं, जिसका उदाहरण साफ है कि राजस्थान में कई राजनेता और कार्यकर्ता कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. ऐसे में तुरंत ऐसे राजनीतिक आयोजनों पर रोक लगाई जाए. धारा 144 को प्रभावी किया जाए.


3. कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए निजी अस्पतालों को तुरंत अधिगृहित किया जाए. कुछ बडे निजी अस्पतालों में कोविड डेडिकेटेड केयर सेंटर स्थापित किए जाएं. अस्थाई कोविड केयर सेंटर तैयार किए जाएं. और तो और इनमें होने वाले इलाज, मरीजों की देखभाल की मॉनिटरिंग का जिम्मा उन प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा जाए जिन्हें स्वास्थ्य सेवाएं और जिला प्रशासन से जुडी प्रशासनिक सेवाएं संभालने का लंबा अनुभव हो.


4. कोविड इलाज के लिए वीआईपी या वीवीआईपी कलचर पर तुरंत रोक लगे. इलाज की प्राथमिकता रोगी की गंभीर स्थिति होनी चाहिए ना कि उसका पद, कद और प्रभाव. क्योंकि ऐसे भी केस सामने आए हैं जहां सामान्य, अहसाय या गरीब लोगों ने इलाज ना मिलने पर दम तोड दिया हो या उनकी हालत और बिगड गई हो. इसके लिए हेल्प डेस्क बने या समन्वय अधिकारी नियुक्त हो.


5. सरकार ने कोरोना के इलाज के लिए निजी अस्पतालों की जो दरें निर्धारित की हैं उनके मुताबिक इलाज हो रहा है या नहीं, बिलिंग हो रही है या नहीं, इसकी प्रभावी मॉनिटरिंग का जिम्मा डे-बाइ-डे आधार पर प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा जाए. ऐसा देखने में आया है कि कुछ अस्पतालों ने मरीजों को दो दिन में डेढ से दो लाख रुपए तक के भी बिल थमाए हैं. जबरदस्ती या बहुत ज्यादा पैसा जिन अस्पतालों द्वारा वसूला जा रहा है उन पर सख्त एक्शन लिया जाए. क्योंकि यह वक्त पैसे कमाने का नहीं मानवीयता के आधार पर नैतिक दायित्व निर्वहन का भी है. कई अस्पताल ऐसे भी हैं जिन्होंने सरकार से बडी रियायतें ले रखी हैं इस लिहाज से भी उनका सहयोग करना नैतिक धर्म है.


6. सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में जितना जल्दी हो सके वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड की संख्या बढाई जाए. अभी अलार्मिंग स्थिति में राजस्थान के कई जिलों की स्थिति है. खासकर जयपुर की ताकि हालात समय रहते काबू में आ सकें.


7. सरकार लोगों में यह विश्वास पैदा करे की जो सामान्य या कम या फिर बिना लक्षण वाले मरीज हैं उनको लेकर भी सरकार गंभीर है. उनका सरकार घर पर आइसोलेशन में हों या क्वारन्टीन सेंटर में पूरी गंभीरता से देखभाल और इलाज की व्यवस्था करेगी. ताकि अस्पतालों में अनावश्यक मरीजों की भीड ना बढे, अनावश्य बेड रिजर्व ना हों और इन बेड का लाभ गंभीर रोगियों को मिल सके, समय रहते उनका इलाज हो सके. लोगों में अब जो मानसिक रुप से तनाव इस बीमारी के कारण बढ रहा है उसको लेकर भी सरकार जागरुकता कार्यक्रम चलाए, ताकि इस माहौल में लोगों को अवसाद से बचाया जा सके. कोरोना संक्रमण होने पर मानसिक रुप से उन्हे तैयार रखा जाए.


8. हालांकि राजस्थान सरकार ने इस बात के आदेश जारी कर दिए हैं कि सामान्य या कम लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत नहीं है, फिर भी अस्पतालों में ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग के लिए तुरंत प्रशासनिक अधिकारियों की टीम लगाई जाए जो तुरंत गंभीर रोगियों के इलाज को प्रभावी बनाने में मदद कर सकें. उनको कहीं कोई परेशानी हो तो आवश्यक दिशा निर्देश दे सकें. यानी कॉर्डिनेशन के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की यहां प्रभावी भूमिका हो सकती है.


9. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोविड के इलाज के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम और कोरोना टेस्ट सैम्पल लेने के लिए टीम तैनात की जाए ताकि कुछ चुनिंदा अस्पतालों पर ही कोरोना संक्रमितों का भार ना रहे. जांच की विकेन्द्रीत व्यवस्था हो. और सामान्य रोगियों को तुरंत स्थानीय स्तर पर ही इलाज मिल जाए.


10. तुरंत सीरो सर्वे कराया जाए ताकि समय रहते किस एरिया में कितनी गंभीर स्थिति है इसका पता लगाया जा सके, और उसी के मुताबिक आवश्यक रणनीति पर काम किया जा सके. चिकित्सा व्यवस्था की जा सके.