राजस्थान में बजरी का सबसे बड़ा विकल्प बनेगी एम. सेण्ड, मुख्यमंत्री गहलोत ने एम. सेण्ड नीति जारी की


जयपुर. राजस्थान में एम.सेण्ड नीति जारी कर दी गई है. अब प्रदेश के आर्थिक और औद्योगिक विकास के साथ आमजन को भी एम. सेण्ड के रूप में बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प उपलब्ध हो सकेगा. एम. सेण्ड को बढावा देने के लिहाज से राजस्थान में एम.सेण्ड नीति का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोकार्पण किया. मुख्यमंत्री गहलोत ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुए एम.सेण्ड नीति के लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि 'लम्बे समय से राजस्थान में एम. सेण्ड नीति के बारे में विचार विमर्श चल रहा था और अब खुशी है कि आज इसका लोकार्पण हुआ है. यह नीति और यह पूरी प्रक्रिया गेम चेंजर साबित होगी. पर्यावरण संरक्षण और रोजगार की दृष्टि से भी यह ऐतिहासिक कदम होगा.'

माना जा रहा है कि नदी, वन, खनिज जैसी अमूल्य प्राकृतिक सम्पदा के संरक्षण और संवर्धन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण कदम है. इस नीति के बाद निर्माण कार्य में नदियों से निकलने वाली बजरी एकमात्र विकल्प नहीं रह जाएगी. निर्माण कार्यों में दीर्घकालीन विकल्प के रूप में एम. सेण्ड यानी मेन्युफेक्चर्ड सेण्ड उपलब्ध हो सकेगी.

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही एम. सेण्ड नीति को केबिनेट ने मंजूरी दी थी.  इसके तहत राज्य में 200 से ज्यादा उद्योग लगने की बात कही गई है. सीएम गहलोत ने ये भी कहा कि 'इस नीति के तहत राज्य सरकार निवेशकों को आगे आने के लिए सहूलियतें देगी.' उन्होंने अधिकारियों से निवेशकों को एम. सेण्ड नीति के बारे में गाइड करने के निर्देश भी दिए. गहलोत ने कहा कि एम सेण्ड की नई यूनिट लगाने के लिए ज़मीन अलॉट की प्राथमिकता खान विभाग की ओर से तय की जाएगी. यूनिट लगाने के लिए अलग से इन्वेस्टर्स मीट कराने पर विचार किया जाएगा.

इस लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया, विभाग प्रमुख सचिव अजिताभ शर्मा, विभाग के निदेशक कुंज बिहारी, उप सचिव नीतू बारूपाल भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मौजूद रहे.