राजस्थान सरकार ने तैयार की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में


लाल डायरी के पन्नों में जिन अफसरों के नाम, उन पर भी गिरेगी गाज

जयपुर। राजस्थान में एक तरफ जहां नए सीएम भजनलाल की कोर टीम में शामिल होने वाले अफसरों में कौन शामिल होगा, इस लिस्ट को लेकर सब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सीएम अशोक गहलोत के करीबी रहे कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हाॅट सीटों पर रहने वाले अफसरों पर भी सबकी नजरें गड़ी हुई हैं। सब देखना चाहते हैं कि सत्ता का सुख भोगने वाले ऐसे अफसरों को बीजेपी की नई सरकार किस तरह से और कहां कहां पोस्टिंग देगी। लोग अपने अपने स्तर पर कयास लगा रहे हैं। वहीं कुछ ब्यूरोक्रेट्स ऐसे भी हैं जो पिछले कई सालों से कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पावर में रहे अफसरों के शोषण और अनदेखी का शिकार हुए। जिनके नाम बार बार किसी फुटबाॅल की तरह हर तबादला लिस्ट में डाल दिए गए और उन्हें मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। इसमें कई ऐसे काबिल अफसर भी शामिल रहे जिनकी वर्किंग स्टाइल को लेकर हर कोई उनके काम की तारीफ करता हैं, उनकी निर्विवाद छवि से वो ब्यूरोक्रेसी के अच्छे अफसरों की लिस्ट में रहे। लेकिन शायद वो कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बड़े अफसरों और सरकार को अनफिट नजर आते थे इसलिए उनका किसी भी डिपार्टमेंट में सेटल होने से पहले ही तबादला कर दिया जाता था। 

माना जा रहा है कि अब शायद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मानसिक रूप से प्रताड़ित या खुद को अपमानित महसूस करने वाले इन अफसरों के अच्छे दिन आने वाले हैं। ऐसे अफसरों की लिस्ट बीजेपी की नई सरकार बना चुकी है। इसके अलावा उन अफसरों की भी लिस्ट तैयार की गई है जो खुद को मोस्ट पावरफुल अफसर मानकर सत्ता का सुख भोगते रहे लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी। बताया जा रहा है कि अब राजस्थान के साथ साथ पैरलल केन्द्र सरकार में बैठे वरिष्ठ आईएएस भी ब्यूरोक्रेट्स की नई टीम पर होमवर्क पूरा कर चुके हैं। हालांकि गहलोत सरकार के कुछ अफसरों को इस बात का अहसास अच्छे से हो चुका है कि अब उनके अच्छे दिन जा चुके हैं ऐसे में नुकसान कम से कम हो इस जुगत में लगे हैं। यदि ठंड की पोस्ट भी मिले तो किस जिले में और कहां मिले इसके जुगाड़ में लगें हैं। 

अपने अपने बैच के बीजेपी, आरएसएस और सीएम के क्लोज आॅफिसर्स की तलाश में जुटे हैं ताकि समय रहते डैमेज कंट्रोल किया जा सके। माना जा रहा है रजत मिश्र, संजय मल्होत्रा, सुधांश पंत, शुभ्रा सिंह, रोहित कुमार सिंह, राजेश्वर सिंह जैसे कई अफसरों को अहम जिम्मेदारियां दी जाएंगी। इनके अलावा भी कई ऐसे नाम हैं जो चैंकाने वाले होंगे। 

कौन-कौन सबसे ज्यादा निशाने पर?
जिन अधिकारियों को ठंडी पोस्टिंग देने की तैयारी है उनमें सबसे पहला नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख शासन सचिव रहे कुलदीप रांका का नाम का है। बताया जाता है कि कुलदीप रांका का नाम आईटी और ईडी की लिस्ट में भी शामिल रहा है। उन्होंने सीएमओ में रहते हुए स्वनिर्माण पर फोकस किया, बड़े औद्योगिक घरानों से ताल्लुकात बनाने में खूब समय दिया। हालांकि उन्होंने किसी से जुबानी असभ्यता नहीं की लेकिन कई अफसरों की कारसेवा का भी मौका नहीं छोड़ा। उन्हें गहलोत सरकार के कार्यकाल में सीएमओ का मोस्ट डिप्लोमेटिक पर्सन भी कहा गया।  ये इस बार तब ज्यादा चर्चा में आये जब उनके खिलाफ अशोक चांदना ने सोशल मीडिया पर लिखा था "मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए क्योंकि वैसे भी वे ही सभी विभागों के मंत्री हैं."

दूसरा नाम एसीएस अखिल अरोड़ा का है जो लगातार काले धन और भ्रष्टाचार के मामले में बीजेपी के निशाने पर रहे, यहां तक की योजना भवन में मिले सोने और नकदी के मामले में भी उनसे पूछताछ की तैयारी है। तीसरे नम्बर पर सीएम के ओएसडी देवाराम सैनी का नाम शामिल है, जो सीएम के सबसे करीबी अफसर रहे। उनके बारे में चर्चा है कि उन्होंने सिर्फ अपने बैच के आरएएस अफसरों को जमकर मलाईदार पोस्टिंग दिलवाई और अन्य काबिल अफसरों की अनदेखी की, यहां तक की कई अफसरों ने यह भी कहा कि सीएम को भी अफसरों को लेकर अपने फायदे और नुकसान के हिसाब से फीडबैक देने थे, इसमें उनका व्यक्तिगत स्वार्थ हावी था ना कि सरकार और प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को मजबूत करने का विजन था। 
नम्बर 4 पर अशोक गहलोत सरकार में एसीएस रहे सुबोध अग्रवाल भी काफी चर्चा में रहे। जल जीवन मिशन में फैले भ्रष्टाचार के मामले में सुबोध अग्रवाल पर ईडी की रेड किसी से छुपी नहीं है। केन्द्र सरकार ने जल जीवन मिशन के भ्रष्टाचार को काफी गंभीर मानते हुए सुबोध अग्रवाल को इसकी सजा देने का पक्का मन बना लिया है और इसके सख्त परिणाम भी आने वाले दिनों में दिखेंगे। 

डीआईपीआर डायरेक्टर सीनियर आरएएस पुरूषोत्तम शर्मा का नाम भी बीजेपी सरकार की लिस्ट में शामिल है। माना जा रहा है कि बीजेपी नेताओं के पास डीआईपीआर की कार्यशैली को लेकर पहले भी लगातार शिकायतें पहुंचती रही हैं। अब वो जातीय कार्ड के आधार पर बीजेपी सीएम के करीबी बनने और डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। 


सीनियर आईएएस रवि जैन भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। कमिश्नर कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट और जेडीसी रहते हुए उनके कार्यकाल से जुड़ी शिकायतें भी उपर तक पहुंची थी जिस पर बीजेपी सरकार अपना सख्त रवैया दिखा सकती है। हालांकि बीजेपी सरकार हो या कांग्रेस सरकार रवि जैन के लिए अच्छी पोस्टिंग की व्यवस्था हो ही जाती है। 

सीएम के सचिव रहे आईएएस गौरव गोयल हालांकि मुख्यमंत्री का आधा कार्यकाल होने के बाद सीएमओ में आए लेकिन उनकी कार्यशैली को लेकर नाराजगी अफसरों में देखने को मिली। जेडीसी रहते हुए उपजे विवादों को लेकर वो चर्चा में भी रहे। खुद CM गहलोत के OSD रहे लोकेश शर्मा ने CMO के आईएएस ऑफिसर्स पर सवाल उठाए।

माना यह भी जा रहा है कि काफी अधिकारियों के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में कांग्रेस कार्यकाल में शिकायतें मिलीं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया। ACB को कई अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति तक नहीं दी गई। जानबूझकर ऐसे मामलों को ठंडे बस्ते में डाला गया। ऐसे अफसरों के खिलाफ भी भाजपा सरकार एक्शन लेगी और उनकी पोस्टिंग से पहले विचार किया गया जाएगा। 

IAS नीरज के. पवन भी इस लिस्ट में 

बीजेपी की हिट लिस्ट में सीनियर आईएएस नीरज के पवन भी पीछे नहीं है। कुछ समय पहले लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा ने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर वाद विवाद में विधानसभा में सरकार को पानी, शिक्षा, बिजली व भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेरा।लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा ने सदन में कहा कि राजस्थान में जो टॉप 5 भ्रष्टाचार आईएएस की सूची है उसमें नीरज के. पवन का नाम आता है, जिसको आपने बीकानेर संभागीय आयुक्त लगाया हुआ है जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है। विधायक सुमित गोदारा ने सदन में भास्कर व पत्रिका में छपी खबरों की प्रतियों को दिखाते हुए कहा था कि जब कौशल विकास निगम में चेयरमैन आईएएस नीरज के. पवन को एसीबी ने पकड़ा तो सत्यापन में उनके दो आईफोन जब्त किए तथा उन्होंने चैट डिलीट की। उनके मैनेजर कहते हैं कि साहब रंगीन मिजाज के हैं इनके लिए दिल्ली में व्यवस्था कीजिए, इससे बड़ी शर्मनाक बात राजस्थान के लिए क्या हो सकती है। 25 जनवरी को राजस्थान पत्रिका में आता है कि आईएस नीरज के पवन को भ्रष्टाचार में पकड़ा परंतु सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी, इससे बड़ी शर्मिंदगी क्या होगी। बीकानेर में संभागीय आयुक्त लगाकर पिछले 1 वर्ष से भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड उन्होंने तोड़ दिए। मेरे क्षेत्र में नापासर के लोगों को बेघर व उनके रोजगार को नष्ट किया गया, ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को किस का संरक्षण मिला हुआ है सरकार यह जवाब देवें। माना जा रहा है कि ऐसे में बीजेपी नीरज के पवन की पोस्टिंग भी सोच समझ कर ही करेगी। क्योंकि सरकार एक स्पष्ट मैसेज भ्रष्टाचार के खिलाफ देना चाहती है। 


एसीबी के पूर्व डीजी भी कह चुके बड़ी बात
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीबी रहे वरिष्ठ आईपीएस ऑफिसर बीएल सोनी ने बड़ा खुलासा किया है। बीएल सोनी डीजी एंटी करप्शन ब्यूरो के पद से हाल में ही रिटायर होते के बाद कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती रही, लेकिन ये बात झूठी है। गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता रहा। बीएल सोनी ने बताया कि मेरे एंटी करप्शन ब्यूरो का डीजी रहते अभी हाल में ही कई बड़ी मछलियों को पकड़ा गया, लेकिन जब वो ट्रैप होते थे तो कार्रवाई के वक़्त ऊपर से कोई ख़ुशी ज़ाहिर नहीं होती थी, बल्कि नाराज़गी होती थी।

बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ राजस्थान के इतिहास में एसीबी डीजी रहते हुए बीएल सोनी ने जबरदस्त एक्शन लिया जिसके बाद कई अफसर पकड़े गए। आईएएस हो या आईपीएस किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं गया। ऐसे में बीएल सोनी खुद कई अधिकारियों के निशाने पर आ गए और उनके राजस्थान पुलिस के डीजीपी बनने की राह में रोड़े डाले गए। इसमें कुछ सीएमओ से जुड़े बडे अधिकारी भी शामिल थे जिन्होंने एक अच्छे आॅफिसर को राजस्थान पुलिस का डीजीपी बनने से रोका।