बैकफुट पर 'सरकार', हॉर्स ट्रेडिंग मामले में SOG ने राजद्रोह की धारा हटाई, केस अब ACB को ट्रांसफर


जयपुर. राजस्थान की सियासी रंगत बहुत रोमांचक होती जा रही है, अब जिस राजद्रोह की धारा के तहत नोटिस जारी करने पर सचिन पायलट ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी वो धारा हटा दी गई है. राजस्थान के सियासी संकट से जुड़ी इस बड़ी खबर के बाद राजनीतिक गलियारों में एक नई हलचल देखने को मिल रही है. कोई इसे कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर सरकार द्वारा लिया गया फैसला बता रहा है तो कोई इसे सरकार बचाने के लिए रुठों को मनाने के लिए उठाया गया कदम बता रहे हैं.

मंगलवार को खुद एसओजी ने कोर्ट में कहा कि यह मामला राजद्रोह का नहीं बनता. यानी साफ है कि अब एसओजी भी बैकफुट पर आ गई है. और अब स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग यानी खरीद-फरोख्त की कोशिशों का केस एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को ट्रांसफर कर दिया है. इतना ही नहीं इसमें से राजद्रोह की धारा भी हटा ली गई है. सचिन पायलट और उनके गुट के विधायकों को एसओजी ने राजद्रोह की धारा के तहत ही नोटिस दिया था. पायलट खेमे को जो नोटिस भेजा गया था, उसमें आईपीसी की धारा 124ए और 120बी का साफ जिक्र था.

धारा 124ए से देशद्रोह से जुड़ी है. कोई भी नागरिक सरकार विरोधी बात लिखता या बोलता है या फिर उसका समर्थन करता है या राष्ट्रीय चिह्नों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उस पर इस धारा के तहत केस दर्ज होता है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा से लेकर उम्र कैद तक हो सकती है.

पायलट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई थी. पायलट और उनके खेमे का विधायकों को आरोप था कि जिस 124 ए धारा को हटाने की मांग अब तक कांग्रेस द्वारा की गई है उसी का इस्तेमाल खुद कांग्रेस के ही विधायकों पर करना कितना जायज है.

जानकार सूत्रों का यह भी कहना है कि यह धारा हटाना भी सरकार की एक रणनीति का ही हिस्सा है. क्योंकि यदि यह धारा नहीं हटाई जाती तो मामला केन्द्रीय एजेंसी NIA को ट्रांसफर हो सकता था, और यदि ऐसा होता तो पायलट खेमा मजबूत हो जाता. इस मामले में राज्य सरकार के हाथ में फिर कुछ नहीं रहता.

राजस्थान के सियासी संकट पर शिवसेना ने तंज कसते हुए  पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा, 'कोरोना की वजह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आइसोलेशन में हैं, इस बात से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुश नहीं होना चाहिए. शाह कहीं से भी पॉलिटिकल ऑपरेशन कर सकते हैं. शाह भी आइसोलेशन में हैं, उधर गहलोत भी अपने विधायकों को आइसोलेशन में ले गए हैं. यानी गहलोत सरकार के लिए खतरा बरकरार है.'

उधर चर्चा इस बात की भी है कि पायलट गुट के कुछ विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान को मैसेज भेजा है कि वे पार्टी से बाहर नहीं जाना चाहते, लेकिन प्रदेश में सीएम का चेहरा बदलना चाहिए. सीएम के लिए अशोक गहलोत और पायलट के अलावा किसी तीसरे विकल्प पर विचार किया जाता है तो वे फिर से पार्टी का मजबूत स्तंभ बनकर काम करने को तैयार हैं. हालांकि ऐसे किसी मैसेज की बात से राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने इनकार किया है. पर सियासत में चलने वाली चर्चाओं के भी अपने मायने होते हैं देखना होगा अब राजनीति किस करवट बैठती है.