राधा स्वामी डेरा ब्यास के प्रमुख की पत्नी शबनम ढिल्लों का निधन, शोक की लहर


ब्यास (पंजाब): राधा स्वामी डेरा ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लो की पत्नी शबनम ढिल्लों का लंदन में आज निधन हो गया. पेट की बीमारी से ग्रसित शबनम इलाज के लिए इंग्लैंड गई हुई थीं जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से ना केवल डेरा प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई, बल्कि दुनियाभर में राधा स्वामी सत्संग से जुड़ी संगत में शोक देखने को मिल रहा है. लंदन के बेडफ़ोर्ड अस्पताल में आखिरी सांस ली. उन्हे बचाने के हर संभव प्रयास भी चिकित्सकों की विशेष टीम द्वारा किए गए लेकिन सारे प्रयास असफल रहे. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी, जिसके कारण इलाज के लिए उन्हें वहां ले जाया गया था. भारत में भी शबनम का इलाज चल रहा था लेकिन तबीयत में सुधार ना होने पर लंदन ले जाया गया था. 

जानकारी के मुताबिक 12 नवम्बर को इलाज के लिए शबनम को लंदन ले जाया गया था. 20 नवम्बर को उनकी एब्डोमिनल सर्जरी उनकी की गई थी, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और 27 नवम्बर की अल सुबह 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके दो बेटे हैं गुरप्रित सिंह ढिल्लों और गुरकिरात सिंह ढिल्लों, दोनों बेटों सिंगापुर और इंग्लैंड में कारोबार करते हैं.

उधर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने निधन पर गहरा दुख जताते हुए ट्वीट कर परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की. डेरा ब्यास में शबनम के अंतिम संस्कार की तैयारियां की गई हैं.

गौरतलब है कि गुरिंदर सिंह ढिल्लों अपने अनुयायियों में 'बाबा जी' के नाम से प्रसिद्ध हैं, राधा स्वामी सत्संग ब्यास (RSSB) के वर्तमान आध्यात्मिक प्रमुख हैं'. 'बाबा जी' 1990 में RSSB के आध्यात्मिक प्रमुख के रूप में अपने चाचा चरण सिंह के उत्तराधिकारी बने थे'. राधा सत्संग ब्यास की स्थापना 1891 में की गई थी. इसका उद्देश्य लोगों को धार्मिक संदेश देना है. यह संस्था दुनिया के 90 देशों में फैली हुई है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, अफ्रीका, स्पेन, यूएसए और न्यूजीलैंड समेत कई देश शामिल हैं. बीस लाख से ज्यादा संगत बाबा जी की फॉलोअर है. देशभर में करीब 5,000 केंद्र हैं. 15 फरवरी सन 1861 को स्वामी शिव दयाल सिंह सेठ आगरा से इसकी शुरुआत की थी, जिनके निधन के 11 साल बाद उनके शिष्य जयमल सिंह ने पंजाब आकर यहां ब्यास नदी के किनारे कुटिया बनाई और भक्तों को नामदान देना शुरू कर दिया. डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग दिनोद और सावन कृपाल मिशन तीनों विचारधाराएं इसी से निकली हैं, वहीं मौजूदा वक्त में जालंधर-अमृतसर के बीच ब्यास नदी के किनारे स्थित इस डेर का संचालन बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों कर रहे हैं.

मूल रूप से मोगा जिले के रहने वाले गुरिंदर सिंह ढिल्लों मूल रूप से 1990 में अपने मामा चरण सिंह के निधन के बाद से वह लगातार इस परम्परा को न सिर्फ जारी रखे हुए हैं, बल्कि इतना बढ़ा दिया कि आज देश-दुनिया में जब भी कहीं राधा स्वामी सत्संग ब्यास का नाम आता है तो शीष अदब से झुक जाता है. संगत इस आध्यात्मिक संस्था को साम्प्रदायिक सौहार्द, प्रेमा-भाईचारा, अनुशासन, समर्पण, स्वच्छता, शांति, ईमानदारी की प्रतिमूर्ति के रुप में देखती है.