अंतिम क्षण में चांद पर हिंदुस्तान का सम्पर्क टूटा, लेकिन ISRO के हौसले नहीं


बेंगलुरु. भारत के महत्‍वाकांक्षी मून मिशन Chandrayaan-2 का चांद पर लक्ष्य के ठीक नजदीक पहुंचते ही सम्पर्क टूट गया.  चांद पर उतरने को लेकर सस्‍पेंस बन गया. इसरो के मुताबिक विक्रम लैंडर से उनका संपर्क टूट गया. चांद से महज 2.1 किमी दूरी तक चंद्रयान-2 से संपर्क था, लेकिन फिलहाल संपर्क टूट गया. इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि लैंडर 'विक्रम' को चंद्रमा की सतह पर लाने की प्रक्रिया सामान्य देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क स्टेशन से टूट गया. डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है. उधर मौके पर इसरो मुख्‍यालय में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया. उन्‍होंने कहा, 'उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, देश आप पर गर्व करता है, सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करें, हौसला रखें. हमें उम्मीद है, अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में हम कठिन परिश्रम करना जारी रखेंगे.'

इस दौरान एक बेहद भावुक क्षण भी देखने को मिला जब पीएम के बेंगलुरु सेंटर से लौटते वक्त ISRO चीफ के सिवन उन्हें सी ऑफ करने आए. इस दौरान इसरो चीफ की आंखे नम हो गईं. हालांकि पीएम मोदी ने उन्हें गला लगाकर उनका हौसला बढ़ाया. इस दौरान पीएम मोदी भी बेहद भावुक नजर आए. चंद्रयान-2 मिशन पर ISRO ने बयान जारी किया और कहा हर फेज के लिए सफलता का मानक तय था. 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को पूरा किया जा चुका है और यह चांद से जुड़ी जानकारी हासिल करने में मदद करेगा. विक्रम से अलग हुआ ऑर्बिटर साढ़े सात साल तक चंद्रमा में सफलतापूर्वक काम कर सकता है. सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क करने के प्रयास किए जा रहे हैं, अगले 14 दिनों में संपर्क करने की कोशिश की जाएगी. हमें ऑर्बिटर से काफी आकंड़े मिलेंगे, जो वैज्ञानिक शोध के लिए उपलब्ध होंगे. के. सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क करने की कोशिश जारी है. सिवन ने कहा कि वैज्ञानिक अब भी मिशन चंद्रयान-2 के काम में जुटे हुए हैं. चंद्रयान-2 मिशन के नतीजों का हमारे आगे के प्रॉजेक्ट्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा. न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉशिंगटन पोस्ट, बीबीसी, द गार्डियन जैसे कई प्रमुख विदेशी मीडिया संस्थानों ने भारत के मिशन मून पर प्रकाशित और प्रसारित कीं. अमेरिकी पत्रिका 'वायर्ड' ने कहा कि चंद्रयान-2 कार्यक्रम भारत का अब तक का सबसे महत्त्वकांक्षी अंतरिक्ष मिशन था. ब्रिटिश समाचार पत्र 'द गार्डियन' ने लिखा 'इंडियाज मून लैंडिंग सफर्स लास्ट मिनट कम्यूनिकेशन लॉस' में कहा, 'भारत वहां जा रहा है जहां अगले 20, 50, 100 सालों में संभवत: मनुष्य का भावी निवास होगा.'