जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर हुई पीएम मोदी की बैठक, महबूबा मुफ्ती ने फिर पाक से बातचीत की मांग दोहराई, बाकी नेताओं ने कही यह बात


नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें विभिन्न 8 राजनीतिक दलों के 14 नेता शामिल हुए. इस बीच जम्मू-कश्मीर और एलओसी पर 48 घंटे का अलर्ट जारी किया गया.

बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वो वचनबद्ध हैं. दिल्ली की दूरी और दिल की दूरी कम होगी. परिसीमन की प्रक्रिया के बाद चुनाव होंगे.

पीएम मोदी के साथ बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बहुत ही अच्छे माहौल में बात हुई. 5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के लोग बहुत मुश्किल में हैं. 370 को गैरकानूनी तरीके से हटाया गया. उन्होंने कहा, “जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल हो. मैं फिर कह रही हूं कि पाकिस्तान से बातचीत हो. लोगों की भलाई के लिए पाकिस्तान से भी बात हो.” महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर के सुकून के लिए पाकिस्तान से बातचीत हो. हमारा जो व्यापार रुक गया है उसको लेकर भी पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए.

 

कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने चर्चा के दौरान बताया कि जिस तरह से स्टेस डिजॉल्व हुआ वो नहीं होना चाहिए था. चुने गए प्रतिनिधियों से पूछे बगैर ये सब किया गया, जो ठीक नहीं था. लेकिन सभी चीजें कहने के बाद हमने पांच बड़ी मांगे सरकार के सामने रखीं. हमने मांग रखी कि स्टेटहुड जल्दी देना चाहिए. हमने ये भी मांग की कि कश्मीर के पंडितों को वापस लाएं और उनके पुर्नवास में मदद करें. राजनीति से जुड़े हुए जो लोग (पॉलिटिक प्रिजनर्स) बंद हैं उन्हें छोड़ने की मांग की. हमने सरकार से कहा कि ये पूर्ण राज्य का दर्जा देने का माकूल वक्त है. विधानसभा चुनाव तत्काल हो ये बात भी रखी.

उधर बैठक में शामिल होने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला बोले, हमने प्रधानमंत्री से कहा कि अच्छा होता इस तरह की बैठक अगर 5 अगस्त 2019 से पहले भी बुलाई गई होती, क्योंकि जो फैसले लिए गए थे वो वहां के लोगों और चुने हुए नुमाइंदों की राय लिए बिना किए गए. लेकिन जो हुआ सो हुआ. हमें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने अपनी बात रखने का मौका मिला. क्योंकि इस मीटिंग में कोई एजेंडा नहीं था इसलिए खुलकर हमने अपनी बातें सामने रखीं. हमने प्रधानमंत्री के सामने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जो फैसला किया गया हम उसके साथ नहीं हैं. हम उस फैसले से समहत नहीं हैं. हम उसे कबूल करने के लिए तैयार नहीं हैं. लेकिन उस फैसले की मुखालफत में हम कानून को हाथ में लेने के लिए भी तैयार नहीं हैं. इस मुल्क से संविधान की तरफ से हमें जो इजाजत दी जाती है, अदालत का इस्तेमाल करने की, हम अदालत जाकर इस फैसले के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ेंगे, और वो लड़ाई जारी रहेगी.