एससी-एसटी एक्ट तभी लागू होगा जब सार्वजनिक स्थान पर गालियां दी गई हों: HC


कर्नाटक। SC/ST एक्ट के मामले में झूठे मुकदमे दर्ज कराने वाले और उसका दुरुपयोग करने वाले लोग अब जरा सावधान हो जाएं। कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने एससी एसटी एक्ट को लेकर एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) तभी लागू होगा जब सार्वजनिक स्थान पर गालियां दी गई हों।

HC ने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थान पर होने के बाद ही उसे कानून के अंतर्गत लेते हुए दोषियों के खिलाफ सजा सुनाई जाएगी। कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने यह फैसला सुनाते कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जातिवादी सूचक शब्द का इस्तेमाल (गालियां) पब्लिक प्लेस पर होना चाहिए।

कोर्ट ने इसी आधार पर साल 2020 से जुड़े एक लंबित मामले को रद्द कर दिया जिसमें रितेश पियास नामक एक शख्स ने मोहन के लिए तहखाने में जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल किया था। हालांकि, उस वक्त मौके पर पीड़ित और उसके सहकर्मी मौजूद थे। इन सब लोगों को भवन मालिक जयकुमार आर नायर ने काम पर लगाया था।

10 जून को दिए अपने फैसले में हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा था, ‘बयानों को पढ़ने से दो चीजें सामने आती हैं। पहला यह कि इमारत का तहखाना सार्वजनिक स्थान नहीं था और दूसरी बात ये कि वहां केवल शिकायतकर्ता, उसके मित्र या जयकुमार आर. नायर के अन्य कर्मचारी उपस्थित थे। कोर्ट ने कहा, ‘अपशब्दों का प्रयोग स्पष्ट रूप से सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया गया है। इसलिए इसमें सजा का प्रावधान नहीं है।’ साथ ही हाई कोर्ट ने आरोपी पर धारा 323 लगाने की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि साधारण खरोंच के लिए यह धारा नहीं लगाई जा सकती।

साथ ही अदालत ने निचली अदालत में लंबित मामले को भी खारिज करते हुए कहा कि पेश किए साक्ष्य में अपराध के मूल तत्व नहीं जिस वजह से अदालत की कार्यवाही जारी नहीं रखी जा सकती। इससे अदालत का समय बर्बाद होगा और कानून का दुरुपयोग होगा।