जयपुर में अब गायों में सता रहा कोरोना का खतरा! पशु प्रबंधन समिति की मांग पर तुरंत गौशाला में गायों और स्टाफ की सैंपलिंग के निर्देश


मांग के बाद महापौर सौम्या गुर्जर ने हिंगोनिया गौशाला में जांच और वैक्सीनेशन तुरंत कराने के निर्देश दिए हैं।

जयपुर। ग्रेटर नगर निगम की पशु प्रबंधन समिति को अब गायों और गौशालाओं में भी कोरोना फैलने का खतरा सताने लगा है। समिति का मानना है कि महामारी का प्रकोप इंसानों में बुरी तरह फैला हुआ है। ऐसे में अब जानवर भी इससे अछूते नहीं हैं। जयपुर नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क में त्रिपुर नामक शेर कोरोना संक्रमित हो गया है जिसके पीछे की वजह संक्रमित व्यक्ति द्वारा उसे खाना खिलाने से संक्रमण की चपेट में आना बताया जा रहा है, इससे यह स्पष्ट है कि पशुओं में भी फैल सकता है। ऐसे में अब जयपुर ग्रेटर नगर निगम का पशु संरक्षण एवं नियंत्रण विभाग हरकत में आ गया है।

पशु संरक्षण एवं नियंत्रण समिति के चेयरमैन अरुण वर्मा ने जयपुर महापौर सौम्या गुर्जर को पत्र लिखकर व विभागीय नोटशीट जारी कर जयपुर ग्रेटर नगर निगम के संचालन में आने वाली हिंगोनिया गौशाला में पुनर्वासित गायों की रेंडम सेंपलिंग द्वारा कोरोना जांच के लिए पत्र लिखा है।

उधर महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि पशु प्रबंधन समिति द्वारा लिखा गया पत्र मुझे प्राप्त हो चुका है और पशु प्रबंधन शाखा को संबंधित कार्रवाई के लिए तुरंत प्रभाव से निर्देशित कर दिया है।

हिंगोनिया गौशाला में जांच और वैक्सीनेशन तुरंत कराने के निर्देश दे दिए गए हैं।

पशु प्रबंधन समिति के चेयरमैन अरुण वर्मा ने बताया कि जयपुर ग्रेटर अधिकार क्षेत्र में आने वाली हिंगोनिया पुर्नवास केंद्र मैं लगभग 12 हज़ार गोवंश है साथ ही वहां लगभग 300 लोगों का स्टाफ कार्यरत है। इस पत्र के माध्यम से हमने रेंडम सेम्पलिंग के माध्यम से गायों की कोरोना जांच की मांग की है,जिससे यह पता लग सके कि संक्रमण गाय में भी फैल रहा है या नहीं। और यदि फैल रहा है तो तुरंत संबंधित आवश्यक कदम उठाए जा सकें , साथ ही वहां कार्यरत सभी कर्मचारियों की भी जांच कराई जाए, इसी के साथ वहां के समस्त स्टाफ के लिए वैक्सीनेशन कैंप भी लगाया जाए।

 

प्रबंधन समिति की प्रमुख मांगें


1. हिंगौनिया गौशाला में पदस्थापित सभी अधिकारी/कर्मचारियों का वैक्सीनेशन कराया जावें।

2. यह सुनिश्चित किया जावे कि कोई भी संक्रमित अधिकारी/कर्मचारी या व्यक्ति गौशाला में प्रवेश नहीं करें।

3. क्षेत्र से पकडकर ले जायी जाने वाली आश्रयहीन गायों को गौशाला में प्रथम 15 दिवस तक अलग से एक बाडे में रखा जावें। जहां उनके स्वास्थ्य का परीक्षण भी कराया जावे की कोई गाय संक्रमित तो नहीं है। इनमें संक्रमण नहीं पाने पर ही 15 दिवस उपरान्त इन्हे अन्य बाडों में शिफ्ट किया जावे।

 4. गौशाला की सभी गायों की रेण्डमली संक्रमण की जांच करायी जावे।

5. संक्रमण को ध्यान में रखते हुए गौशाला में पहले से ही संक्रमित गौवंश को पृथक से रखने एवं इलाज के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं विकसित की जावे। जिससे की यदि कोई गौवंश संक्रमित हो तो समय रहते उसके जीवन की रक्षा की जा सके।