अब शुरू हुई एलोपैथी वर्सेज आयुर्वेद की जंग! IMA के विरोध में NIMA,आयुर्वेद व बाबा रामदेव पर सवाल उठाने वालो के विरुद्ध कार्रवाई की मांग


नई दिल्ली। कोरोना की जंग को जीतने के लिए एक ओर जहां पूरा देश दिन-रात जूझ रहा है वहीं अब आयुर्वेद वर्सेस एलोपैथी की लड़ाई तेज हो गई है। योग गुरु रामदेव (Ramdev) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) विवाद में हुए अब आयुर्वेदिक डॉक्टरों की संस्था नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (NIMA) भी शामिल हो गई है।

पहले जहां IMA ने केंद्र के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पत्र लिखकर बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी वही अब NIMA ने देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) के नाम पत्र लिख कर आयुर्वेद व बाबा रामदेव पर सवाल उठाने वाले एलोपैथी चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर डाली है। साथ ही पूछा है कि, 'देश में कोरोना संक्रमण से जो रिकवरी रेट ज्यादा है और मौत की दर कम है उसमें क्या सिर्फ एलोपैथिक डॉक्टरों की ही मेहनत है? क्या आयुर्वेदिक डॉक्टरों का कोई योगदान नहीं है?'

आयुर्वेदिक डॉक्टरों की संस्था ने शुक्रवार को लिखे अपने पत्र में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) पर भी जमकर निशाना साधा.नीमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. बी तेम्मूरनीकर, महासचिव डा. यूएस पांडे और कोषाध्यक्ष डा. आशुतोष कुलकर्णी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की उपेक्षा पर गहरी चिंता और नाराजगी जाहिर की है।

उधर नीमा ने कहा कि 'भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद पर आधारित और कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब लोगों से लेकर शहरी क्षेत्रों के साधन संपन्न लोगों तक ने आयुर्वेद के जरिये उपचार हासिल किया है। कोरोना का इलाज करने में एलोपैथी भी काम आई, लेकिन साथ में सहयोग के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से भी इलाज चलता रहा। एलोपैथिक चिकित्सक स्वामी रामदेव पर अनपढ़ होने के गंभीर आरोप लगाते हुए आयुर्वेद पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं और अनावश्यक रूप से सरकार पर दबाव बनाने की मंशा से हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहे हैं। यह सात लाख 80 हजार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों का अपमान है।'

पत्र में यह भी कहा गया कि आयुर्वेद देश की संस्कृति से जुड़ा और जनमानस के अनुकूल है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करते हुए न केवल बोलना चाहिए, बल्कि आयुर्वेद व बाबा रामदेव पर सवाल उठाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई भी करनी चाहिए। नीमा ने यहां तक कहा कि एलोपैथिक तरीके से हुए इलाज के बाद इसके प्रतिकूल प्रभाव भी सामने आए हैं। यह गंभीर शोध का विषय है। इसलिए केंद्र सरकार को एलोपैथिक चिकित्सकों के विरुद्ध किसी तरह के दबाव में आने की बजाय राष्ट्र विरोधी बात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।