पिक्चर अभी बाकी है, राजस्थान के सियासी ड्रामे में नया पेंच, संयुक्त मोर्चा क्या गुल खिलाएगा?


जयपुर. राजस्थान में पल पल बदलते सियासी समीकरणों, आशाओं और निराशाओं के बीच अब एक और नई पिक्चर अभी देखनी बाकी है. अभी तक राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट खेमा ही था वहीं अब सरकार के समर्थन में खड़े निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने एक नया खेमा तैयार करने का फैसला किया है.
सियासी उठापटक और जोड़-तोड़ के बीच यह नया समीकरण गहलोत और पायलट दोनों ही खेमों के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है. लेकिन राजनीति के जानकार इसे किसी राजनीतिज्ञ की जादूगरी का एक और नया कदम बता रहे हैं, जिसका साफ मकसद है आने वाले दिनों में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमण्डल​ विस्तार में पायलट खेमे के विरोध में इस खेमे को खड़ा करना और खुद को सेफ जोन में रखना.

माना जा रहा है कि मानेसर घटनाक्रम के बाद गहलोत की तल्ख बयानबाजी जायज थी  लेकिन कुछ राजनीतिक मित्रों ने गहलोत को अभी ऐसी तल्ख बयानबाजी से बचने को कहा है. गहलोत भी कोई अपना माइनस पोइंट किसी को नहीं देना चाहते. और एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर राजनीतिक परिवक्वता से इस मामले को हैंडल करना चाह रहे हैं. 


माना यह भी जा रहा है कि गहलोत ने पायलट के साथ मानेसर गए कई विधायकों को अपने खेमे में कर लिया है, वो अपने राजनीतिक अनुभव के दम पर सरकार को बचाने में तो सक्षम हैं ही लेकिन उन पर एक बड़ा दबाव मानेसर कांड के बाद सरकार को सेफ जोन में लाने के लिए मदद करने वाले विधायकों को इनाम देने का है. ऐसे में संयुक्त मोर्चा में जाने वाले निर्दलीय विधायक और बसपा से कांग्रेस में आए विधायक खासी उम्मीदें उनसे लगाए बैठे हैं. 

अब गहलोत भी ऐसा कुछ नहीं करना चाह रहे जिससे उनकी छवि को नुकसान हो, क्योंकि बहरहाल उन्हें सरकार सेफ जोन में नजर आ रही है. 

पायलट खेमे (Pilot Camp) को जवाब देने के लिए नए मोर्चे का मास्टर प्लान अब सामने आया है. अब आगामी 23 जून को इनकी संयुक्त बैठक प्रस्तावित की गई है जिसमें प्रदेश के सियासी हालातों को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी. और इन विधायकों के हितों की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा. 

बताते चलें कि 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में 13 निर्दलीय विधायक हैं और  6  विधायक ऐसे हैं जो डेढ वर्ष पूर्व बीएसपी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए.
माना जा रहा है कि फिलहाल पायलट के पास इस नए मोर्चे से भी कम विधायक हो गए हैं, ऐसे में अब गहलोत कैंप इन नए मोर्चे के 19 विधायकों के जरिए प्रेशर पॉलिटिक्स की कोशिश करेगा ताकि पायलट खेमा ज्यादा शक्तिमान ना रहे. 

यह सारा घटनाक्रम शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन का एक बयान सामने आने के बाद शुरू हुआ जिसमें उन्होंने सचिन पायलट को पार्टी का एसेट और स्टार प्रचारक बताने के साथ ही कहा था कि प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं की सचिन पायलट से लगातार बात हो रही है. माकन ने राज्य में मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द होने की भी बात कही थी. बहरहाल जो पिक्चर अभी बाकी है उसे देखने का हर किसी को इंतजार है.