पुतिन की आक्रमता से डरे नाटो देश! यूक्रेन की सुरक्षा दूर की बात खुद की सीमाओं की सुरक्षा बढाने में लगे


कीव: यू्क्रेन जिस नाटो संगठन के दम पर लगातार रूस से खतरा मोल ले रहा था उसने पहले ही जहां अपने हाथ खड़े कर दिए थे, वहीं अब नाटो की खुद की हालत पतली हो चली है. नाटो के देशों ने यूक्रेन में सेना भेजकर रूस से उसकी रक्षा करना तो दूर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आक्रमकता को देखकर खुद ही अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए लगातार हथियारों और सेनाओं का प्रबंध करने में जुट गए हैं.

नाटो देशों ने यूक्रेन और रूस के पास अपने पूर्वी हिस्से में थल, समुद्र और वायु सेना को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है. नाटो के राजदूतों ने आपातकालीन वार्ता के बाद एक बयान में कहा, “हम गठबंधन के पूर्वी हिस्से में अतिरिक्त रक्षात्मक भूमि और वायु सेना, साथ ही अतिरिक्त समुद्री जहाज तैनात कर रहे हैं.” बयान में कहा गया कि, “हमने सभी परिस्थितियों का जवाब देने के लिए अपने बलों की तैयारी बढ़ा दी है.”

हालांकि कई देशों का मानना है कि नाटो को छेड़कर पुतिन ने बड़ा पंगा जरूर ले लिया है लेकिन पुतिन की आक्रमकता, आत्मविश्वास के आगे अब नाटो को खुद की सुरक्षा का खतरा सताने लगा है. नाटो यूक्रेन पर रूस के हमले के पहले रोम के नीरो की तरह चैन की बांसुरी बजा रहा था, वहीं अब पुतिन के आगे उनकी भी हालत पस्ता होती नजर आ रही है. पुतिन के इस रवैये के बाद खुद नाटो की शक्ति पर भी सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार पुतिन अकेला इतने देशों से पंगा कैसे ले रहे हैं. 
नाटो अपनी सुरक्षा को लेकर अपनी इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा सक्रिय और चिंतित नजर आ रहा है. क्योंकि नाटो में 30 देश शामिल हैं, जिसमें से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और जर्मनी ही सक्रिय दिखाई देते हैं. कुछ मामलों में बेल्जियम और स्वीडन को भी नाटो की सहायता में मिशन को अंजाम देते हुए देखा गया है. इसके अलावा हकीकत यह है कि बाकी के देश इन सक्रिय देशों की सैन्य मदद पर पूरी तरह से निर्भर हैं.
ऐसे में रूस के आक्रमण ने नाटो को फिर से अपनी रणनीति पर विचार करने और सदस्य देशों को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है.

यूक्रेन पर अमेरिका का स्टेण्ड देखने के बाद य​ह साफ हो गया है कि कोई भी देश किसी दूसरे के लिए खुद के सैनिकों को मरवाने का रिस्क नहीं लेना चाहता. ऐसे में अभी तक सुरक्षा को लेकर बड़े देशों के भरोसे सुस्त पड़े नाटो के सहयोगी छोटे देश भी अब जाग गए हैं. उन्हें अपनी सुरक्षा का खतरा सता रहा है. क्योंकि यूक्रेन पर अमेरिका का रुख उनको अमेरिका पर विश्वास करने से डराने लगा है.

 

उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है. उन्होंने लिखा है कि उन्होंने पीएम मोदी को रूस के हमले की जानकारी दी और बताया कि "100,000 से ज़्यादा हमलावर उनकी ज़मीन पर चले आए हैं और रिहाइशी इमारतों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे हैं". उन्होंने साथ ही लिखा, "हम भारत से आग्रह करते हैं कि वो हमें सुरक्षा परिषद में राजनीतिक समर्थन दे. हम मिलकर हमलावर को रोकें."

भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी फ़ोन पर बात की थी. पीएम मोदी ने इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन से यूक्रेन में तुरंत हिंसा रोकने की अपील की थी.