आगामी गर्मी और राहत उपायों के लिए तैयारियों की समीक्षा करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बैठक आयोजित


नई दिल्ली। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने आज आगामी गर्मी और राहत उपायों की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिव और उन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इस अवसर पर उपस्थित थे जो हर साल भीषण गर्मी या लू से त्रस्‍त रहते हैं। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने मार्च से मई, 2023 तक की अवधि के लिए वैश्विक मौसम की घटनाओं और तापमान परिदृश्य पर एक प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मार्च 2023 के दूसरे पखवाड़े के लिए पूर्वानुमान भी प्रस्‍तुत किया गया। मार्च से मई 2023 तक की अवधि के लिए अपने तापमान परिदृश्‍य में आईएमडी ने सूचित किया कि पूर्वोत्‍तर, पूर्व और मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से ज्यादा अधिकतम तापमान रहने की संभावना है। आईएमडी ने यह भी बताया कि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत को छोड़ देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, जबकि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्‍य से लेकर सामान्य से कम तापमान रहने की संभावना है। आईएमडी ने यह भी बताया कि मार्च 2023 की शेष अवधि के दौरान तपती गर्मी रहने या लू चलने की संभावना नहीं है। हालांकि, मार्च के अंतिम सप्ताह के दौरान भारत-गंगा के मैदानी इलाकों और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री सेल्सियस अधिक रह सकता है। सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीओएएंडएफडब्ल्यू) ने बताया कि आज की तारीख में रबी फसल की स्थिति सामान्य है और गेहूं का उत्पादन लगभग 112.18 एमटी रहने की उम्मीद है, जो कि अब तक का सर्वाधिक है। उन्होंने यह भी बताया कि डीओएएंडएफडब्ल्यू ने गेहूं में दाने आने के दौरान तपती गर्मी की निगरानी करने और इसके असर को कम करने के लिए कृषि आयुक्त की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इसके अलावा फसल मौसम निगरानी समूह (सीडब्ल्यूडब्ल्यूजी), जो कि एक अंतर-मंत्रालय समिति है, हर हफ्ते फसल की स्थिति की समीक्षा करता है। सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने बताया कि जुलाई 2021 में एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा जारी गर्मी से संबंधित बीमारी पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी-एचआरआई) में लू, एवं लू से संबंधित बीमारियों से उत्पन्न चुनौतियों और प्राथमिक से तृतीयक स्तर तक इसके उचित प्रबंधन को रेखांकित किया गया है। उन्होंने राज्यों को आवश्यक दवाओं, अंतःशिरा तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस और पेयजल के मामले में स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करने की सलाह दी। उन्होंने आवश्यक आईईसी/जागरूकता सामग्री का समय पर प्रचार-प्रसार करने के महत्व पर भी बल दिया, जिसका अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में भी किया जाए।