ई.आर.सी.पी. पर राजस्थान में हुई सर्वदलीय बैठक, सीएम ने कहा यह योजना राज्य के लिए महत्वपूर्ण


जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ERCP के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित इस बैठक में विभिन्न दलों के राजनेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) राज्य के 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार 13 जिलों में पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विषय राजनीति से परे है। सरकार इसमें किसी भी तरह से राजनीति नहीं कर रही है। इसीलिए राज्य हित में सभी दलों को मिलकर राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के प्रयास करने चाहिए। इसमें राज्य सरकार द्वारा अपने सीमित संसाधनों से कार्य कराए जाते है तो अधिक समय लगेगा। इसमें केंद्र से राशि मिलेगी तभी यह समय से पूरी हो सकेगी और जनता को पानी मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा केंद्र को 11 बार पत्र लिखकर राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए मांग रखी। इसके बावजूद केंद्र द्वारा किसी भी तरह का जवाब नहीं मिला और जब राज्य सरकार द्वारा ईआरसीपी के लिए राज्य के संसाधनों से ही कार्ययोजना बनाई गई तो उसे रोकने के लिए केंद्र ने पत्र लिख दिया।

उन्होंने कहा ईआरसीपी सभी तकनीकी मापदंडो को पूर्ण करती है। जल जीवन मिशन में घर-घर नल में पानी पहुंचाने के लिए पानी का स्त्रोत होना आवश्यक है। ईआरसीपी नहीं आई तो नलों में पानी कैसे आएगा। सभी दलों के सहयोग से ही इसे लागू कराना अतिआवश्यक है। प्रधानमंत्री तक यह संदेश जाना चाहिए कि सर्वदलीय बैठक में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने की सहमति बनी है। वर्तमान सरकार तो राज्य हित में इसे आगे बढ़ा रही है। इसकी शुरूआत भाजपा सरकार में हुई थी। इसलिए राजनीति से परे हमें आगे बढ़ना चाहिए। तकनीकी पहलुओं के लिए राज्य सरकार तकनीकी विशेषज्ञों को केंद्र में वार्ता के लिए भेजने के लिए भी तैयार है।

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि जल जीवन मिशन की सफलता के लिए ईआरसीपी बेहद जरूरी है, ऐसा नहीं होने पर सारा पैसा व्यर्थ चला जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे राज्य हित में अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करते हुए तकनीकी कमियों को पूरा कराने के लिए नियमों में संशोधन कराएं। हमें पूरी उम्मीद है कि नियमों में शिथिलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि परियोजना पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ईआरसीपी संवेदनशील विषय है। यह 13 जिलों की जीवन रेखा है। इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए केंद्र सरकार नियमों में शिथिलता प्रदान करें। इस परियोजना से जनता की आशाएं जुड़ी है। सबको मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।

जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने कहा कि परियोजना राज्य के 13 जिलों के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार इसकी क्रियान्विति के लिए गंभीरता के साथ कार्य कर रही है। इसे गति देने के लिए 86 अधिकारियों की नियुक्ति भी की जा चुकी है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जताई जा रही आपत्ति निराधार है, उनसे एनओसी प्राप्त करने की भी कोई आवश्यकता नहीं है।

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह न राजनीति का विषय है और ना ही हम परियोजना के खिलाफ है। ईआरसीपी के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा होना जरूरी है। जनता को पानी मिले, इसके लिए हम राज्य सरकार के हर कदम के साथ है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना से आज भी किसानों को लाभ मिल रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि ईआरसीपी को लेकर हमारा सकारात्मक दृष्टिकोण है। राज्य और केंद्र सरकार, दोनों ही अपनी-अपनी जिम्मेदारियां निभाएं।

जल संसाधन राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि इससे 13 जिलों की पेयजल समस्या का निवारण होगा। साथ ही, जल जीवन मिशन योजना की सफलता भी परियोजना पर निर्भर करती है। सभी दलों को साथ मिलकर राजनैतिक मतभेद से ऊपर उठकर केंद्र के समक्ष ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग रखनी चाहिए। राष्ट्रीय लोकदल के प्रतिनिधि व तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि इस परियोजना से प्रदेश की 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। साथ ही, इस परियोजना से भारतमाला प्रोजेक्ट के अन्तर्गत सभी औद्योगिक क्षेत्रों को भी पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से अनुरोध किया कि राज्य के हित के लिए एकजुट होना चाहिए। बीटीपी के प्रतिनिधि व विधायक श्री रामप्रसाद ने कहा कि केंद्र की सहभागिता के बिना पूर्ण नहीं हो सकती। निर्दलीय विधायक श्री रामकेश मीणा ने कहा कि सभी दलों को राजनीति से ऊपर उठकर इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए। निर्दलीय विधायक श्री लक्ष्मण मीणा ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान के लिए कई पेयजल व सिंचाई परियोजनाएं चलाई गईं। मगर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए ईआरसीपी एकमात्र आशा की किरण है। हम सबको के एक साथ एक आवाज में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए। सीपीआई (एम) के प्रतिनिधि श्री बलवान पूनिया ने कहा कि यह मामला राजस्थान की जनता के सुनहरे भविष्य का है। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सर्वसम्मति से इस पर फैसला लेना चाहिए। सीपीआई के सचिव श्री नरेंद्र आचार्य ने भी विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने की मांग दोहराई। साथ ही उन्होंने कहा कि सभी राजनैतिक दल यह चाहते हैं कि राजस्थान के लोगों को उनका हक मिले। किसान महापंचायत के प्रतिनिधि श्री रामपाल जाट ने कहा कि प्रदेश की विषम परिस्थितियों को देखते हुए इस परियोजना का जल्द से जल्द कार्य शुरू होना आवश्यक है। इस परियोजना से पेयजल और सिंचाई के अलावा जल स्तर भी बढ़ेगा। पूर्ण होने पर यह परियोजना राजस्थान की जीवन रेखा कहलाएगी। श्री जाट ने पुरजोर शब्दों में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। मुख्य अभियंता ईआरसीपी श्री रवि सोलंकी ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही योजना बनाई गई है। इसमें मध्यप्रदेश से अनापत्ति लेना आवश्यक नहीं है। उन्होंने बताया कि 20 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी प्रतिवर्ष यमुना नदी के माध्यम से समुद्र में व्यर्थ बह जाता है। जबकि इस योजना में मात्र 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की ही आवश्यकता है।