सैनिकों ने इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बंधक बनाया, पूरी दुनिया चिंता में


माली (पश्चिम अफ्रीका). देश और दुनिया में इस वक्त माली सबसे बड़ी चर्चा का केन्द्र बना हुआ है. राजधानी बामाको में विद्रोही सैनिकों ने राष्ट्रपति निवास और प्रधानमंत्री भवन को घेरकर बड़े पैमाने पर फायरिंग की, दहशत फैलाई. इतना ही नहीं राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता और प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को बंधक बना लिया. पश्चिम अफ्रीकी देश माली में यह पूरा घटनाक्रम सेना ने देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के खिलाफ विद्रोह के तहत किया. पूरे देश में इस समय उथल-पुथल मची हुई है. माली में राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता के खिलाफ लंबे समय से प्रदर्शन हो रहे थे, जिसके बाद प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति से पद से हटने की मांग कर रहे थे. लेकिन अब हालात बेहद चिंताजन और हिंसक हो चुके हैं. विद्रोही सैनिकों ने माली के राष्ट्रपति का निजी आवास घेरकर गोलियां चलाई. सुरक्षा का जिम्मा जिन लोगों का था वो ही विद्रोह की राह पर आ गए. यह विद्रोह आर्मी का केंद्र रहे काटी शहर से शुरू हुआ.

सबसे पहले यहां सैनिक शास्त्रागार में घुस गए और हथियार अपने कब्जे में ले लिए. इसके बाद उन्होंने तुरंत सीनियर मिलिट्री अधिकारियों को बंदी बना लिया. यह घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि देखते ही देखते पूरे शहर में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए, प्रदर्शन करने लगे और जमकर नारेबाजी की. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने माली के न्याय मंत्री के घर को आग लगा दी. हालांकि इस बीच प्रधानमंत्री ने सैनिकों से हथियार रखने और देश का सम्मान करने की अपील भी की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी. प्रधानमंत्री ने बातचीन के जरिए भी समस्या को सुलझाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन देखते ही देखते इससे पहले सशस्त्र सैनिक सरकारी दफ्तरों में घुस गए और वहां कब्जा करने लगे.

गौरतलब है कि माली के राष्ट्रपति को लोकतांत्रिक रूप से चुना गया था और उन्हें पूर्व उपनिवेशवादी फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों से व्यापक समर्थन प्राप्त है. माली कभी फ्रांस का उपनिवेश रह चुका है. माली में 2012 में भी एक तख्तापलट हुआ था, तब से यहां आतंकवाद की घटनाएं बढ़ी हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने विद्रोही सैनिकों से अपील की है कि वे बिना शर्त राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिहा करें. दुनिया के कई देशों ने भी इन हालातों पर चिंता जताते हुए तुरंत राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिहा करने की अपील की है. माली के सरकारी टीवी चैनल (ortm mali) भी बंद कर दिया गया है. अमेरिका ने इस पूरे घटनाक्रम पर कहा कि 'वह माली में बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंतित है. अमेरिका सरकार सभी असंवैधानिक परिवर्तनों के विरोध में है चाहे वह सड़कों पर हो या सुरक्षा बलों द्वारा.'

मई से ही राष्ट्रपति को जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. उस समय देश की सर्वोच्च अदालत ने विवादित संसदीय चुनावों के नतीजों को पलट दिया था.