महाराष्ट्र की सियासत में अब आगे क्या होने वाला है? 10 फैक्ट से समझिए


महाराष्ट्र (सुभद्र पापड़ीवाल). राजनीति संभावनाओं का खेल है. और यहां बाप बड़ा है ना भैया सबसे बड़ा रुपैया का गेम चलता है. शायद इसीलिए कहा जाता है यह लोकतंत्र की सड़कें हैं इन पर जरा संभल कर चलिए कब आपके साथ क्या हादसा हो जाए पता नहीं. जो चीज आपको दूर से बहुत बेहतर नजर आ रही हो बाद में पता चलता है वही सबसे बड़ी मृग मरीचिका थी. ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र की राजनीति में देखने को मिला जहां बीजेपी को मुख्यमंत्री की रेस से लोगों ने बाहर समझ लिया था वहीं मोदी और अमित शाह के मास्टर स्ट्रोक ने राजनीति का सबसे बड़ा खेल करके ना केवल खुद को साबित कर दिया, बल्कि यह भी साबित कर दिया की राजनीति में इस दिग्गज जोड़ी का कोई मुकाबला नहीं. इसे 'पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक' कहा जाए तो कम नहीं होगा. अब यह समझना बहुत जरूरी है क्या आगे क्या होने वाला है. क्योंकि किसी ने खूब कहा है कि 'सियासत की अपनी अलग इक जुबां है,लिखा हो जो इक़रार, इनकार पढ़ना'

10 फैक्ट, अब आगे क्या?

1. अब महाराष्ट्र की राजनीति का दूसरा अध्याय शुरू हो रहा है. पहला अध्याय ठीक वैसे ही संपन्न हुआ जैसा निर्धारित था.

2. जो लोग ऐसा मानते हैं कि अजित पवार ने शरद पवार की सहमति के बिना भाजपा के साथ सरकार बना ली है तो वे लोग भोले हैं.

3. अजित पवार ने पहले ही उपमुख्यमंत्री बनने से इंकार कर दिया था. इसी समय यह स्पष्ट हो गया था कि पवार के पास इससे भी बेहतर विकल्प है.

4. आगामी अध्याय भी कमजोर दिल वालों को देखने का नहीं होगा क्योंकि नारायण राणे अपना काम बखूबी कर रहे हैं. शिवसेना में टूट होना अवश्यंभावी है, आप दिल थाम के देखिए.

5. कांग्रेस अब भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप अवश्य लगाएगी लेकिन अमित शाह-मोदी की इस सर्जीकल स्ट्राइक ने इतना समय नहीं दिया है कि वे कोई तार्किक वक्तव्य दे सकें.

6. आज ही से कांग्रेस एनसीपी और बीजेपी पर आरोप प्रत्यारोप की नई खेप जारी होने लगी है. शिवसेना आनन-फानन में कुछ और भी अराजनीतिक बातें एवं कार्य करेगी.भाजपा ने इस खेल से शिवसेना को एक मैसेज भी दिया है कि राजनीति इमोशन से नहीं दाव पेचों से चलती है.उधर कांग्रेस में फूट परवान चढेगी.

7. भाजपा के साथ सरकार बना कर एनसीपी ने एक तरह से अपने लोगों का लोंगटर्म इंश्योरेंस करवा लिया है जो आफर बीजेपी के मेन्यू में शुरू से था.

8. महाराष्ट्र कांग्रेस में आंतरिक मनमुटाव अब खुल कर सामने आएंगे और वो समूह अधिक मुखर हो जाएगा जो शिवसेना के साथ गठबंधन के खिलाफ था.

9. बैठक दर बैठक करके कांग्रेस और पवार ने यह संदेश तो स्पष्ट लिख दिया था कि वे शिवसेना के साथ सरकार नहीं बनाने का बहाना तलाश कर रहे हैं. शिवसेना यह इबारत पढ़ने में असफल रही. लेकिन अब कांग्रेस को भी face saver की तलाश है. उधर शिवसेना जल्दी ही एक बली का बकरा तलाश कर उसे कुर्बान कर, वापस बीजेपी के साथ पूरी तरह शामिल होंगी लेकिन अब बराबरी बात करने में समय लगेगा.

10. इस गठबंधन के स्थाइत्व पर अधिक विश्वास इसलिए किया जा सकता है कि यह बार्टर सिस्टम पर टिका है यानी अन्योन्य सुविधा संतुलन के सिद्धांत पर.