महाराष्ट्र की सियासत में 'महाभारत कथा', राष्ट्रपति शासन लागू, जानें राष्ट्रपति शासन से जुड़े 10 फैक्ट


महाराष्ट्र/नई दिल्ली.महाराष्ट्र में सियासत की महाभारत का अंत कैसे होगा यह सबके लिए बड़ा सवाल बन गया. द ग्रेट इंडियन पॉलिटिकल शो का सबसे बड़ा नजारा महाराष्ट्र में देखने को मिला. इस बीच मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की.

जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासी अनिश्चितता का फिलहाल पटाक्षेप हो गया. राज्यपाल की सिफारिश पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सिफारिश पर मुहर लगाई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी, जहां यह फैसला लिया गया. कैबिनेट की बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई थी, जब महाराष्ट्र में पिछले महीने विधानसभा के लिये हुए चुनाव के बाद अब तक कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना पाई है और इसके कारण प्रदेश में राजनीतिक संकट की स्थिति बन रही है.

 

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि NCP के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं. राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. ऐसे में अब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. भारत के संविधान का अनुच्छेद-356, केंद्र की संघीय सरकार को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में उस राज्य की सरकार को बर्खास्त कर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है.

जानें राष्ट्रपति शासन से जुड़े 10 फैक्ट-

1- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन उपबंधों के बारे में प्रावधान दिए गए हैं.

2- भारत में 1950 से 2018 तक 125 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है.

3- भारत में राष्ट्रपति शासन सबसे पहले पंजाब में 1951 में लगाया गया था. अब तक लगभग सभी राज्यों में 1 या एक से अधिक बार इसका प्रयोग किया जा चुका है.

4- भारत में सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन केरल और उत्तर प्रदेश में 9-9 बार लगाया गया है. इसके बाद पंजाब में 8 बार जबकि बिहार और मणिपुर में 7 -7 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है.

5- भारत के अरुणाचल प्रदेश में 4, असम में 4, बिहार में 8, दिल्ली में 1, गोवा में 5, गुजरात में 5, हरियाणा में 3, हिमाचल प्रदेश में 2, जम्मू कश्मीर में 6, झारखंड में 3, पंजाब में 8, राजस्थान में 4 बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी राष्ट्रपति शासन लग चुका है.

6- जम्मू कश्मीर में अधिकतम राष्ट्रपति शासन 6 साल 264 दिन चला है तो वहीं न्यूनतम कर्नाटक राज्य में 7 दिनों के लिए चला है.

7- आमतौर पर राष्ट्रपति शासन उन राज्यों में लगाया जाता है जहां केन्द्र में विराजमान पार्टी सत्ता में नहीं होती लेकिन दो ऐसे भी मौके आए हैं जब इंदिरा गांधी सरकार ने कांग्रेस शासित राज्यों में भी राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. पंजाब में सन् 1983 और आंध्र प्रदेश में 1973 में ऐसा हुआ था.

8- राष्ट्रपति शासन को दो अन्य नामों से भी जाना जाता है. पहला संवैधानिक आपातकाल और दूसरा राज्य आपातकाल. लेकिन संविधान में किसी राज्य में संवैधानिक संकट पैदा होने की दशा में 'आपातकाल' शब्द का प्रयोग नहीं किया है.

9- राज्य की विधानसभा अपना मुख्यमंत्री नहीं चुन पाती, गठबंधन का ढह जाना, एसेंबली में बहुमत का न होना, किन्हीं अपरिहार्य कारणों से चुनाव का न हो पाना राष्ट्रपति शासन लगाने की शर्तों के तहत अहम है.

10- 90 के दशक तक ऐसा अक्सर देखा जाता था कि केन्द्र की सरकारें राज्यपाल की मदद से ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देती थीं. हालांकि सन् 1994 में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद इसका अनुचित इस्तेमाल कम हो गया.

 

जानें राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या होता है?

- राष्ट्रपति द्वारा मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रीपरिषद् को भंग कर दिया जाता है. राष्ट्रपति राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग संसद द्वारा करने की घोषणा कर सकता है.

- राज्य सरकार की शक्तियां राष्ट्रपति द्वारा अपने हाथ में ले ली जाती है, उसे राज्यपाल और अन्य कार्यकारी अधिकारियों की भी शक्तियां प्राप्त हो जातीं हैं.

- राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति के नाम पर राज्य सचिव की सहायता से अथवा राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी सलाहकार की सहायता से राज्य का शासन चलाता है. इसलिए ही अनुच्छेद 356 के अंतर्गत की गयी घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है.

- संसद; राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारित करती है.

- संसद को यह अधिकार है कि वह राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति राष्ट्रपति अथवा उसके किसी नामित अधिकारी को दे सकती है.

- जब संसद नही चल रही हो तो राष्ट्रपति, 'अनुच्छेद 356 शासित राज्य' के लिए कोई अध्यादेश जारी कर सकता है.