'महाराष्ट्र की महाभारत' के वो 10 बारीक दाव पेंच जो जानना जरुरी है


महाराष्ट्र/नई दिल्ली. विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र की महाभारत में Political Crisis का सबसे बड़ा उदाहरण देखने को मिला.चुनाव परिणाम से लेकर राष्ट्रपति शासन तक यहां देखने को मिला तो राजनीति में महत्वाकांक्षा और जनादेश के अपमान के बेहतर उदाहरण भी सामने आए. भारतीय लोकतंत्र का दुखद पक्ष भी यहां के राजनैतिक दलों ने पेश किया. जनादेश का अपमान, सिद्धांतों की तिलांजलि के बीच बनते बिगड़ते समीकरणों ने किसी बड़ी राजनीति आपदा का उदाहरण यहां पेश किया. इस बीच हर कोई जानना चाहता है कि आखिर महाराष्ट्र में चल क्या रहा है.

देश के जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक सुभद्र पापड़ीवाल के नजरिए से समझिए 10 वो बड़ी बातें जो आपको महाराष्ट्र की राजनीति को समझने में मदद करेंगे.

 

महाराष्ट्र की राजनीति के 10 बारीक दाव पेंच?

 

1- कांग्रेस हमेशा यह चाहेगी कि सरकार नहीं बना सकने का आरोप उस पर नहीं लगे. वो महाराष्ट्र के किसानों को यह बताने की कोशिश करेगी कि हम आपके दायित्वों के प्रति जागरूक हैं लेकिन शिवसेना ने गंभीरता नहीं दिखाई.

2. पवार मराठा वोटों के अपने समूह को बांधे रखने के लिए सरकार बनाने की भाग-दौड़ का पूरा दिखावा करते रहेंगे लेकिन सरकार नहीं बना सकने की जिम्मेदारी कांग्रेस के पाले में डालने की कोशिश करेंगे.

3. एनसीपी और कांग्रेस अपने कोर वोट बैंक को यह संदेश देने की कोशिश करते रहेंगे कि शिवसेना हमारे लिए आज भी उतनी ही अस्पर्ष्य है जितनी पहले थी. वो तो जनता को पुनः चुनाव के बोझ से बचाने के लिए हम सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

4. एक मोड़ पर पवार कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के साथ खड़े होकर सरकार में शामिल होने का रास्ता बना लेंगे. प्रफुल्ल पटेल की गिरफ्तारी पर रोक का सौदा कर सकते हैं और अपने परिवार की अन्य फाइलों को रोकने का प्रयास कर सकते हैं.

5. मुस्लिम वोटों के असली खैरख्वाह और हकदार के रूप में एआईएमआईएम ( ओवैसी) और कांग्रेस में असली संघर्ष शुरू होगा.

6. शिवसेना हाशिए पर धकेल दी जाएगी और कांग्रेस व पवार अपना दामन साफ दिखाने के लिए स्पर्धा करेंगे लेकिन पवार अपने कोर वोट बैंक के अलावा शिव सेना से छिटकने वाले SC और OBC मराठा वोटर पर ध्यान केंद्रित करेंगे और खुद को बीजेपी के विकल्प के रूप में तैयार करेंगे.

7. यदि किन्हीं कारणों से शिवसेना के साथ कांग्रेस एनसीपी ने सरकार बना भी ली तो सैक्यूलरिज्म की दुहाई देकर ये ही दोनों दल समर्थन वापस लेने के बहाने की तलाश करते रहेंगे और पहले बाज़ी कौन मारेगा इस फिराक में रहेंगे.

8. इस बेमेल गठबंधन की सरकार बन गई तो भी बीजेपी लाभ की स्थिति में होगी. वो यह साबित करने में कामयाब होगी कि हिंदुत्व पर वो ही एकमात्र गंभीर है. उधर जो यह लोग मान रहे हैं कि बीजेपी शांत बैठ गई है यह मानना उन लोगों की सबसे बड़ी राजनीतिक भूल होगी. अमित शाह और मोदी गेम चेंजर है. उन्होंने सोच लिया तो मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में बीजेपी का ही होगा.

9. बेमेल गठबंधन की सरकार यदि बन भी गई तो बनने के एक दो हफ्ते के भीतर बीजेपी वीर सावरकर के भारत रत्न वाले विषय पर देशव्यापी बहस आयोजित करके शिवसेना को पूरी तरह हाशिए पर धकेल देगी और शरद पवार को किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में लाकर राजनीतिक पटकनी देने में कामयाब हो जाएगी.

10. अंतिम विकल्प के रूप में भाजपा 6 महीने बाद होने वाले चुनावों हेतु अधिक आरामदायक स्थिति में होगी तथापि सरकार बनाने की आवश्यकता हुई भी तो BJP एनसीपी को सरकार में शामिल कर, शिवसेना के बाहरी समर्थन (उसके बहु संख्य विधायक जैसा चाहते हैं) से इंकार किए बिना सरकार बना लेगी.

(नोट- यह लेखक के निजी विचारों पर आधारित लेख है)