Right to health बिल के विरोध में संपूर्ण राजस्थान में चिकित्सकों का महाबंद, आंदोलन आगे और तेज करने को एकजुट हुए चिकित्सक


जयपुर। राजस्थान के समस्त चिकित्सक संगठनों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी के आह्वान पर सम्पूर्ण राजस्थान में, सरकार के राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में चिकित्सकीय कार्य को ठप रखा गया। इसके तहत निजी अस्पतालों में इमरजेंसी के साथ साथ आउटडोर मरीजों को भी नहीं देखा गया, और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रदेश के निजी अस्पताल सुबह 8 बजे से 24 घंटे तक बंद रखे गए।

बड़ी बात यह रही कि इनसर्विस सरकारी चिकित्सकों के साथ सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुडे चिकित्सको ने भी सुबह 9 बजे से 11 बजे तक पेन डाउन स्ट्राइक कर निजी चिकित्सको की हड़ताल में सहयोग किया। राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में सरकार की हठधर्मिता से रोष में आए प्रदेश के विभिन्न जिलों से चिकित्सक आज जयपुर के जेएमए हॉल में एकत्रित हुए। बिल के विरोध में चिकित्सकों द्वारा एसएमएस हॉस्पिटल से त्रिमूर्ति सर्किल तक शांतिपूर्ण रैली निकाली गई।

करीब 1000 से भी अधिक चिकित्सकों ने जिसमे जयपुर, जोधपुर, सीकर, दौसा, झुंझुनूं,अलवर, चुरू, भरतपुर, अजमेर, उदयपुर आदि से आकर आज जयपुर के इस आंदोलन में भाग लिया और सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी बिल के प्रति नाराज चिकित्सको ने अपने अपने अस्पताल बंद रखे। फार्मासिस्ट और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स के संगठनों ने चिकित्सको के इस आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया।

 

इस बीच राजस्थान के समस्त चिकित्सक संगठनों की ज्वाइंट एक्शन कमिटी के चेयरमैन डॉ. सुनील चुघ ने बताया कि राइट टू हेल्थ बिल की कोई आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि पहले से ही प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवा, जांच और इलाज उपलब्ध है और निजी अस्पताल भी RGHS और चिरंजीवी के तहत सरकारी दरों पर इलाज मुहैया करा रहे हैं। यदि सरकार ने चिकित्सकों की “नो टू RTH” की मांग नहीं मानी तो प्रदेश के निजी चिकित्सक आने वाले दिनों में सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं को बना करने को निर्णय लेने को मजबूर हो जाएंगे। जयपुर मेडिकल एसोशियेशन के अध्यस्क्श डा तरुन ओझा ने सरकार को चिकित्सकों के हितों को नजरंदाज करके इस प्रकार का असंवैधानिक प्रावधानों से युक्त बिल लाने को गलत बताया सचिव डा अनुराग शर्मा ने बोला कि इस बिल मे निजी चिकित्सकों को निशुल्क इलाज के भुगतान की प्रक्रिया का कोई वर्णन है, और ना ही बिल के तहत बनने वाले प्राधिकरणों के निर्णय की कोर्ट में अपील करने का ही अधिकार है।

वहीं इंडियन मेडिकल एसोशियेशन के मीडिया प्रभारी डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि राजस्थान मे आल रेडी निजी चिकित्सको के उपर 54 कानून बने हुए है निजी अस्प्ताल खोलने के लिये 54 लाइसेंस लेने होते है , ये सभी लाइसेंस भारी भरकम फीस चुकाने पर ही मिलते है 55 वां कानून जो कि विसंगतियों से भरा है लाने से सरकार का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।