हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू मुठभेड़ में ढेर, कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी


जम्मू-कश्मीर. हंदवाड़ा में अपने जवानों की शहादत का बदला सुरक्षाबलों ने ले लिया है. बदला भी ऐसा कि मोल्टवांटेड आतंकी हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू को मार गिराया गया. पुलवामा जिले के अवंतीपोरा के बेगपोरा इलाके में मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने 40 किलो आईईडी से एक घर को उड़ा दिया. इस घर में ही रियाज नायकू छिपा था. विस्फोट के दौरान वह मारा गया.

सेना की हिट लिस्ट में रियाज नायकू A++ कैटिगरी का आतंकवादी था, जिसके सिर पर 12 लाख का इनाम था. नायकू किसी वक्त में मैथ टीचर हुआ करता था लेकिन खुद ही सेना के घेरे की गणित में ऐसा उलझा कि मौत ही उसके लिए आखरी रास्ता बचा. इससे पहले भी उसे कई बार घेरा गया था लेकिन वह बचकर निकलने में कामयाब हो जाता था.

जम्मू-कश्मीर में कर्नल-मेजर समेत 8 जवानों की शहादत के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन की शुरुआत की थी. इस ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों को बुधवार को बड़ी कामयाबी मिली.

रियाज अहमद नायकू 35 साल का था और बेहद कम वक्त में ही हिज्बुल जैसे आतंकी संगठन का अहम हिस्सा बन गया था. पुलिस अफसरों के परिवार के लोगों का अपहरण करने, आतंकी के मरने पर बंदूकों से सलामी देने चलन इसी के शुरू किए हुए थे. जिससे हिज्बुल और खतरनाक होता जा रहा था. यह युवाओं को बरगलाकर कश्मीरी युवाओं को आतंक की राह पर ले जाता था.

रियाज के पिता के मुताबिक उसके आतंकी बनने का सफर साल 2010 में शुरू हुआ, जब एक प्रदर्शन में 17 साल के अहमद मट्टो की आंसू गैस का गोला लगने से मौत हो हुई. यह नायकू के साथ प्रदर्शन में था, ऐसे में जब कई लोग पकड़े गए तो नायकू भी उनमें से एक था. 2012 में उसे छोड़ा गया लेकिन तब तक वह बिल्कुल बदल चुका था. जेल से रिहाई के बाद वह 2012 की ही एक रात भोपाल यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला लेने की बात कहकर 7 हजार रुपए लेकर निकला था. लेकिन इसके बाद वो कभी नहीं दिखा, एक महीने बाद पता चला कि वो आतंकी बनकर कश्मीर में दहशत फैलाने में जुट गया है.

इससे पहले गणित में अच्छी रुचि रखने वाला नायकू गणित का टीचर था. 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद स्थानीय लोगों के लिए 30 साल का रियाज नायकू आतंक का नया चेहरा बन गया था. वह अवंतीपोरा का ही रहने वाला था. पिछले साल ही आतंकी सबजार भट की मौत के बाद उसे हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर और मुखिया की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए अपहरण दिवस की शुरुआत नायकू ने ही की थी.