राजस्थान के RTO में मासिक बंधी का खेल, ACB जांच में अभी कई बड़ी मछलियों के नाम!


राजस्थान (THE END NEWS). सूबे में भ्रष्ट्राचार का खेल कुछ ऐसे चल रहा था कि हजारों वाहन मालिकों को डरा धमकाकर मासिक बंधी ली जा रही थी. राजस्थान के अन्य जिलों की छोड़िए जिस राजधानी से सरकार चल रही है, हर बड़ा अधिकारी और खुद परिवहन विभाग के मंत्री जहां बैठते हैं वहीं गुलाबी नोटों का यह खेल चरम पर था.

भ्रष्टाचार के इस अक्क्ड़-बक्कड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान में एंटी करप्शन ब्यूरो के 18 दलों ने जब एक साथ ताबड़तोड़ कार्रवाई कि तो परिवहन विभाग के 8 अधिकारी, 7 दलाल तुरंत रडार पर आ गए. कस्टडी में लेकर अचानक सर्च अभियान चलाया तो बचे अधिकारी और दलाल भनक लगते ही तौबा-तौबा करने लगे और इधर-उधर फरार हो गए. ऐसा होना भी लाजमी था क्योंकि ACB का यह मास्टर प्लान ही कुछ ऐसा था, जहां किसी को संभलने और समझने का मौका तक नहीं दिया गया. एसीबी ने चार माह से दलालों और अफसरों के मोबाइल सर्विलांस पर ले रखे थे और करीब 35 ऑफिसर्स रडार पर थे.

रविवार के अवकाश के दिन परिवहन विभाग के सारे अधिकारी मासिक बंधी आने के इंतजार की खुशी में लोटपोट हो रहे थे जबकि दूसरी तरफ मासिक बंधी पहुंचने से पहले ही ACB के अधिकारी जरुर उनके ठीकानों पर जा पहुंचे. और तूफान की तरह आए ACB अधिकारियों ने मानों सबके सपने तहस-नहस कर दिए हों. कई अधिकारियों और दलालों ने इस तूफान की चपेट में आने से बचने के लिए अपने स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाने की भी असफल कोशिश की, ताकि बच जाएं लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान सरकार के खाद्य मंत्री रमेश मीणा ने 29 अगस्त 2019 को कोटा-बूंदी मार्ग पर परिवहन निरीक्षक को वाहनों से अवैध वसूली करते रंगे हाथों नोटों की गड्डी के साथ पकड़ा था, इसके बाद राजस्थान के ही विधायक जोगिंदर सिंह अवाना ने एनएच-21 स्थित लुधावी टोल के पास बासी पर परिवहन निरीक्षकों पर वाहनों से वसूली करते हुए देखा और अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए भरतपुर कलेक्टर के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत की थी. इसके अलावा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वस्त सूत्रों भी उन्हें और सीएमओ को इस वसूली के खेल से लगातार अवगत करा रहे थे.

फीडबैक तो यहां तक मिला कि परिवहन विभाग का जिम्मा जिनकों सौंपा गया है वो 'बिल्ली को दूध की रखवाली सौंपने' जैसा है, तुरंत एक्शन नहीं लिया गया तो सरकार की छवी भी धूमिल होगी. नीचे से ऊपर तक हर कोई चांदी कूट रहा है, भ्रष्टाचार चरम पर है. बस फिर क्या था सूत्रों के मुताबिक सीएम के निर्देश पर ACB मुख्यालय के महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी को एक मास्टर प्लान बनाकर राजधानी जयपुर से इस भ्रष्ट्राचार के खुलासे का जिम्मा सौंपा गया.

'मिस्टर क्लीन' की छवी वाले सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर बड़ा एक्शन प्लान बना, और ऐसा एक्शन हुआ कि एसीबी के इस खुलासे से सब चौंक गए. भ्रष्ट्राचार के खिलाफ गहलोत के सबसे भरोसेमंद ACB ऑफिसर्स ने भी इतने गोपनीय तरीके से कार्रवाई करी कि किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी. हरि झण्डी मिलते ही काम शुरू हो चुका था और तभी से हर एक दलाल और परिवहन विभाग का अधिकारी ACB की रडार पर था, इनमें से कुछ लोगों को राजस्थान के परिवहन मंत्री का करीबी भी बताया गया. इसके बाद ACB मुख्यालय के महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी, एडीजी दिनेश एमएन, एएसपी चन्द्र प्रकाश शर्मा ने 18 टीमों का गठन कर ठीक उस वक्त RTO अधिकारियों और दलालों पर अचानक दबिश दे डाली जब मासिक बंधी नीचे से लेकर ऊपर तक पहुंचने ही वाली थी. यह मासिक बंधी हर माह की 16 तारीख को अधिकारियों तक पहुंचाई जाती थी. वाहन मालिकों को डरा-धमकाकर मासिक बंधी वसूलने पर परिवहन निरीक्षक उदयवीर सिंह को रंगे हाथों दलाल मनीष मिश्रा से 40 हजार की रिश्वत लेते ACB ने गिरफ्तार किया. 1 करोड़ 20 लाख रुपए भी ACB ने किए जब्त.

अभी भ्रष्टाचार के इस खेल में कई बड़ी मछलियों के नाम हैं, जिसमें महकमे के सबसे बड़े जिम्मेदार भी शामिल हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो इस भ्रष्टाचार के बारे में सब जानते थे लेकिन यह रैकेट इतना बड़ा था कि विरोध नहीं कर पाए. ACB हर उस व्यक्ति से पूछताछ की तैयारी में है जिस-जिस का नाम सामने आ रहा है. पर देखने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचार के इस खुलासे का THE END कहां जाकर होता है? क्या बड़ी मछलियों पर भी कार्रवाई हो पाएगी, wait and watch.

 

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राजनीति V\s ब्यूरोक्रेसी से खुलासा

सूत्रों की माने तो राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त रहे राजेश यादव में लम्बे समय से बन नहीं रही थी. दोनों में छत्तीस का आंकड़ा साफ नजर आता था. दोनों ही एक दूसरे के आदेशों में अड़ंगे लगाते नजर आते थे. इस बीच हाल में आईएएस राजेश यादव का तबादला हो गया. माना तो यह जा रहा था कि मंत्रीजी की नहीं मानते थे तो मंत्री जी ने तबादला करवा दिया लेकिन हकीकत यह थी कि तबादला पूरी प्लानिंग से हुआ ताकि जब कार्रवाई हो तो राजेश यादव पर इस भ्रष्टाचार की गंदगी के छींटे भी नहीं लगे. राजनीति V\s ब्यूरोक्रेसी की इस लड़ाई का ही नतीजा था कि जयपुर DTO महेश शर्मा मंत्री के बेहद करीबी थे, इतने करीबी कि राजेश यादव तक के आदेशों की अनदेखी करने में नहीं हिचकते थे. जो यादव को अक्सर नागवार गुजरता था. माना जा रहा है गृह विभाग के एक आला अधिकारी को राजेश यादव ने विभाग में चल रहे खेल का पूरा खुलासा पहले ही कर दिया था और उसी का नतीजा रहा कि सीएम से मंजूरी मिलते ही तुरंत एक्शन लिया गया. यह मंत्री को ब्यूरोक्रेसी द्वारा एक झटका देने की दिशा में भी अहम कदम बताया जा रहा है.

 

इस खेल में कौन-कौन:

ACB ने परिवहन निरीक्षक उदयवीर सिंह को रंगे हाथों दलाल मनीष मिश्रा से 40 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया. परिहवन विभाग में चौमूं डीटीओ विनय बंसल, परिवहन विभाग मुख्यालय के डीटीओ महेश शर्मा, जयपुर आरटीओ के परिवहन निरीक्षक शिवचरण मीणा, आलोक बुढानिया, नवीन जैन, रतनलाल, गजेन्द्र सिंह को कस्टडी में लिया गया. दलालों की बात करें तो पवन उर्फ पहलवान, रणवीर, विष्णु कौशिक, जसवंत सिंह यादव, विष्णु कुमार सहित एक महिला दलाल ममता को भी पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया गया.

 

'परिवहन विभाग में मासिक बंधी राजस्थान में कांग्रेस सरकार के लोक कल्याण की एक झलक है, वाकई सवा साल-बेमिसाल, क्या होगा हाल, अभी तो बाकी हैं चार साल... अभी तो (कांग्रेस) पार्टी शुरू हुई है.'

- सतीश पूनिया, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान बीजेपी

 

'परिवहन विभाग के 90 फीसदी अफसर कर्मचारी भ्रष्ट हैं, ऊपर तक मंथली पहुंचाते हैं. आबकारी को देख लो, खान विभाग को देख लो, पुलिस अफसरों को देख लो सब जगह भ्रष्टाचार है. मैं तो कहता हूं दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली है'

- राजेन्द्र गुढा, कांग्रेस विधायक

 

'इस तरह की कार्रवाई से दहशत का माहौल हो जाता है. ACB ने केवल एक ही इंस्पेक्टर को रंगे हाथों पकड़ा है. बाकी सबके घरों पर जांच कार्रवाई की गई. पैसा प्राइवेट बस ऑपरेटर के यहां से जब्त किया गया, इस कार्रवाई से विभाग के निर्दोष अफसरों को डरने की जरूरत नहीं है. परिवहन निरीक्षकों और अधिकारियों के काफी परिजन मुझसे आकर मिले, उन्होंने अपनी बात रखी है.'-

प्रताप सिंह खाचरियावास, मंत्री, परिवहन विभाग